दिल्ली-एनसीआर को 27 साल बाद जीतने वाली भाजपा बेहद उत्साहित है। पार्टी ने कहा है कि अगले 10 से 15 दिन के भीतर दिल्ली का मुख्यमंत्री चेहरा तय कर लिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि भाजपा दिल्ली जैसे राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है, जहां से पूरे देश को एक संदेश जाएगा।
पार्टी के दावेदारों की बात करें तो नई दिल्ली से जीतकर अरविंद केजरीवाल को पटखनी देने वाले परवेश वर्मा को पहले नंबर पर बताया जा रहा है। परवेश वर्मा वैसे भी नैसर्गिक दावेदार हैं, क्योंकि भाजपा की ओर से परवेश के अलावा रमेश बिधूड़ी को सीएम का चेहरा माना जा रहा था। परवेश वर्मा सीएम बनते हैं तो दो साल बाद यूपी चुनाव में भाजपा को पश्चिमी यूपी के जाट बहुल क्षेत्र में फायदा होना तय है।
रमेश बिधूड़ी के चुनाव हारने के कारण रेस से बाहर बताए जा रहे हैं, हालांकि फिर भी उनका दावा है, क्योंकि भाजपा हारने के बाद भी उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य को सीएम और डिप्टी सीएम बना चुकी है।
दूसरा दावा कैलाश गहलोत का बताया जा रहा है, जो पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी से जीतकर मंत्री रहे थे। दिल्ली की 17 सीटों पर जाट समाज का दबदबा बताया जाता है, जिनमें से 10 सीटों पर भाजपा जीती है, एक सीट आम आदमी पार्टी को मिली है।
ऐसे में कैलाश गहलोत दूसरे दावेदार हो सकते हैं।
तीसरा दावा कपिल मिश्रा का है, जो भाजपा के फायर ब्रांड नेता हैं। वो भी पहले आम आदमी पार्टी में रहते थे, लेकिन 2020 से पहले वो भाजपा में शामिल हो गये थे। उनको भी सीएम की रेस में माना जा रहा है, जो दिल्ली के ही निवासी हैं।
इसी तरह से बांसुरी स्वराज भी सीएम की रेस में हैं। उनकी मां सुषमा स्वराज भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। बाद में वो विदेश मंत्री भी रहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनको निधन हो गया था।
सिख समुदाय से आने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम भी सीएम के दावेदारों में है। उनको सीएम बनाए जाने से भाजपा को दो साल बाद पंजाब में होने वाले चुनाव में फायदा हो सकता है। सिख समाज को साधने के लिए भाजपा सिरसा को सीएम बना सकती है।
इसी तरह से विजेंद्र गुप्ता का नाम भी सामने आ रहा है। विजेंद्र गुप्ता को सीएम बनाने का लाभ दिल्ली निवासी होने से होगा, साथ ही बणिया समाज से केजरीवाल के तोड़ के रूप में भी उनको आगे किया जा सकता है।
इन नामों के अलावा हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा जैसे राज्यों की तरह चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है। मोदी के आने के बाद भाजपा इस तरह के प्रयोग करती रही है। जन नेताओं में योगी आदित्यनाथ के अलावा आजतक भाजपा ने किसी को सीएम नहीं बनाया है।
पार्टी के दावेदारों की बात करें तो नई दिल्ली से जीतकर अरविंद केजरीवाल को पटखनी देने वाले परवेश वर्मा को पहले नंबर पर बताया जा रहा है। परवेश वर्मा वैसे भी नैसर्गिक दावेदार हैं, क्योंकि भाजपा की ओर से परवेश के अलावा रमेश बिधूड़ी को सीएम का चेहरा माना जा रहा था। परवेश वर्मा सीएम बनते हैं तो दो साल बाद यूपी चुनाव में भाजपा को पश्चिमी यूपी के जाट बहुल क्षेत्र में फायदा होना तय है।
रमेश बिधूड़ी के चुनाव हारने के कारण रेस से बाहर बताए जा रहे हैं, हालांकि फिर भी उनका दावा है, क्योंकि भाजपा हारने के बाद भी उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य को सीएम और डिप्टी सीएम बना चुकी है।
दूसरा दावा कैलाश गहलोत का बताया जा रहा है, जो पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी से जीतकर मंत्री रहे थे। दिल्ली की 17 सीटों पर जाट समाज का दबदबा बताया जाता है, जिनमें से 10 सीटों पर भाजपा जीती है, एक सीट आम आदमी पार्टी को मिली है।
ऐसे में कैलाश गहलोत दूसरे दावेदार हो सकते हैं।
तीसरा दावा कपिल मिश्रा का है, जो भाजपा के फायर ब्रांड नेता हैं। वो भी पहले आम आदमी पार्टी में रहते थे, लेकिन 2020 से पहले वो भाजपा में शामिल हो गये थे। उनको भी सीएम की रेस में माना जा रहा है, जो दिल्ली के ही निवासी हैं।
इसी तरह से बांसुरी स्वराज भी सीएम की रेस में हैं। उनकी मां सुषमा स्वराज भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। बाद में वो विदेश मंत्री भी रहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनको निधन हो गया था।
सिख समुदाय से आने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम भी सीएम के दावेदारों में है। उनको सीएम बनाए जाने से भाजपा को दो साल बाद पंजाब में होने वाले चुनाव में फायदा हो सकता है। सिख समाज को साधने के लिए भाजपा सिरसा को सीएम बना सकती है।
इसी तरह से विजेंद्र गुप्ता का नाम भी सामने आ रहा है। विजेंद्र गुप्ता को सीएम बनाने का लाभ दिल्ली निवासी होने से होगा, साथ ही बणिया समाज से केजरीवाल के तोड़ के रूप में भी उनको आगे किया जा सकता है।
इन नामों के अलावा हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा जैसे राज्यों की तरह चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है। मोदी के आने के बाद भाजपा इस तरह के प्रयोग करती रही है। जन नेताओं में योगी आदित्यनाथ के अलावा आजतक भाजपा ने किसी को सीएम नहीं बनाया है।
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