अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी लाने के बाद दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि, नई पॉलिसी एक अप्रैल से लागू होगी, और किन देशों पर लागू होगी, इसका निर्धारण भी नहीं किया गया है। ऐसे में भारत जैसे देशों में हल्ला मचाने की जरूरत भी नहीं है। बीते कुछ बरसों में भारत और अमेरिका के बीच कारोबार रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंच गया है।
भारत का दुनिया में सबसे अधिक व्यापार अमेरिका के साथ हो रहा है और वो भी लाभकारी कारोबार हो रहा है। पिछले साल अप्रैल-नवंबर के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसमें 52.89 अरब डॉलर का निर्यात और 29.63 अरब डॉलर का आयात हुआ। यानी भारत को 23.26 अरब डॉलर का व्यापार लाभ रहा। 2021-24 के पांच वर्षों में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। इसके साथ ही अमेरिका उन देशों में से है, जिनके साथ भारत का कारोबारी लाभ है।
2023-24 में 119.71 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसमें से 77.51 अरब डॉलर का निर्यात और 42.19 अरब डॉलर का आयात हुआ। यानी बीते वित्त वर्ष में भारत को अमेरिका से 35.31 अरब डॉलर का फायदा रहा है। जब किसी देश के साथ आयात अधिक और निर्यात कम होता है तो उसे व्यापार घाटा, यानी ट्रेड डेफिसियेट कहा जाता है। इसके विपरीत यदि निर्यात अधिक होता तो व्यापार लाभ होता है, जिसको ट्रेड गैन कहते हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अकॉर्डिंग 2024 के फाइनांस ईयर में भारत और चीन के बीच करीब 118.4 अरब डॉलर का बिजनेस रहा है।
चीन से इंपोर्ट 101 अरब डॉलर और एक्सपोर्ट केवल 16.6 अरब डॉलर रहा है। यानी भारत को चाइना से करीब 84.6 अरब डॉलर का ट्रेड डेफिसियेट रहा है। बीते साल की पहली छमाही में यूएई को भी होने वाले निर्यात में भी करीब 25 फीसदी का बड़ा उछाल आया है।
भारत और रूस के बीच 2024 में करीब 66 बिलियन डॉलर का ट्रेड हुआ। हालांकि, रूस और चीन के व्यापार की तुलना में करीब एक-चौथाई ही है। फिर भी भारत और रूस का व्यापार बीते पांच बरसों में पांच गुना बढ़ा है। पिछले साल के शुरुआती 9 महीनों ही में दोनों देशों के व्यापार में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
फाइनासं ईयर 2024 के आंकड़ों के अनुसार भारत ने ब्रिटेन को 7.32 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है, जो पिछले साल के मुकाबले 12.38 प्रतिशत अधिक है। उससे पहले भारत ने 6.51 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने फ्रांस को 7.14 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया, जबकि 2023 में 7.62 बिलियन डॉलर का निर्यात किया।
भारत वर्ल्ड के 190 कंट्रीज को लगभग 7500 वस्तुएँ एक्सपोर्ट करता है, जबकि 140 देशों से करीब 6000 वस्तुएँ इंपोर्ट करता है। बीते वित्त वर्ष में भारत ने 318.2 बिलियन डॉलर के मूल्य का सामान निर्यात किया, जबकि 462.9 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट किया। पिछले कुछ सालों में भारत का व्यापार घाटा लगातार घट रहा है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का ट्रेड डेफिसियेट घटकर 78.1 बिलियन डॉलर रह गया है, जो 2022—23 में करीब 142.7 बिलियन डॉलर था। इस तरह से एक ही वित्त वर्ष में व्यापार घाटा कम होकर 80 बिलियर डॉलर से नीचे आ गया। इसका मुख्य कारण अमेरिका और यूरोप को भारत के तेल का निर्यात होना रहा है।
साथ ही मोबाइल और इलेक्ट्रिक आइटम के आयात में कमी रहा है। जैसे—जैसे एक्सपोर्ट बढ़ेगा और इंपोर्ट कम होगा, वैसे ही भारत का रुपया मजबूत होगा। अभी व्यापार घाटा होने के कारण देश पर काफी विदेशी ऋण है, जिसे कम करने में काफी समय लगेगा। ये लोन कई दशकों तक कारोबारी घाटा होने के कारण हुआ है, जिसे खत्म करने के लिए लंबे समय तक ट्रेड गैन की स्थिति रहनी चाहिए।
टैरिफ बढ़ाकर अमेरिका सोच रहा है कि भारत जैसे देशों के साथ उसका इंपोर्ट कम होगा और एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा, लेकिन भारत पहले से ही अमेरिका को केवल जरूरी सामान एक्सपोर्ट करता है। इसके उपर कितना भी टैरिफ लगाए, कम होने वाला नहीं है। चाइना जैसे देशों को इसका सबसे अधिक नुकसान होने वाला है।
आपको लगता है कि भारत को अमेरिकी टैरिफ के जवाब में उतना ही टैरिफ लगा देना चाहिए, या अमेरिका जैसा कर रहा है, वो ठीक है।
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