राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पार्टी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने सोमवार को नोटिस थमा दिया है। दरअसल, पिछले दिनों एक वीडियो सामने आया था, जिसमें डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कहा था कि उनकी भजन लाल सरकार ही उनका फोन टैप करवा रही है, उनके पीछे सीआईडी लगा रखी है, उनको झुकाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन वो न झुकेंगे न टूटेंगे।
इस बयान के सामने आने के बाद दूसरे दिन राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस ने दिनभर हंगामा किया, और सदन को ठीक से चलने नहीं दिया। गृह राज्यमंत्री जवाहर बेढ़म ने फोन टैपिंग मामले पर सफाई दी कि किसी भी मंत्री का फोन टैप नहीं किया जा रहा है, फोन टैप केवल खूंखार अपराधियों का किया जाता है।
इसके बाद भी कांग्रेस संतुष्ट नहीं है। अब 19 तारीख को राज्य विधानसभा में वित्तमंत्री दिया कुमारी द्वारा सालाना बजट पेश किया जाएगा, उस दिन भी कांग्रेस हंगामा जारी रखने का प्लान बना रही है।
इस बीच भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को नोटिस थमा दिया है। नोटिस में किरोड़ी को जवाब देने के लिए तीन दिन का समय किया गया है। कहा गया है कि उन्होंने बयान देकर भाजपा के संविधान का उल्लंघन किया है, क्यों न उनपर पार्टी संविधान के अनुसार सख्त कार्यवाही की जाए?
इस पर लिखित बयान जारी ककर किरोड़ी ने कहा है कि उनको सोमवार तक नोटिस नहीं मिला है, यदि मिलेगा तो उसी के अनुरुप जवाब दिया जाएगा। गौरतलब है कि किरोड़ी लाल मीणा के तीखे तेवर लोकसभा चुनाव के पहले से ही लगातार जारी हैं।
इससे पहले 2008 में भी मंत्री रहते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन के समय मंत्री पद छोड़कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उन्होंने राजपा से चुनाव लड़ा। साल 2013 में उनकी पार्टी से चार विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे।
हालांकि, करीब 9 साल बाद 2017 में भाजपा में किरोड़ी लाल ने वापसी की थी। माना जा रहा है कि किरोड़ी लाल मीणा भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं, वो भजन लाल शर्मा सरकार के मंत्रीमंडल में काम नहीं करना चाहते हैं।
इसी वजह से उन्होंने लोकसभा चुनाव में दौसा सीट से भाजपा प्रत्याशी कन्हैया लाल मीणा के चुनाव हारने पर अपने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। वास्तव में देखा जाए तो सामान्यत: भाजपा अपने किसी भी बागी नेता को पार्टी से बाहर निकालकर उसे सियासी तौर पर शहीद होने का अवसर नहीं देती। ऐसे मामलों को भाजपा अगले चुनाव तक उसे यूं ही अधर में लटकाकर रखती है, जब तक ऐसे नेता का क्रेज खत्म हो जाता है या फिर वो खुद ही पार्टी छोड़ देता है।
इससे पार्टी को नुकसान नहीं होकर बागी नेता को ही नुकसान उठाना पड़ता है। असल बात यह है कि डॉ. सतीश पूनिया ने पार्टी अध्यक्ष के रुप में, किरोड़ी लाल मीणा ने सड़कों पर और राजेंद्र राठौड़ सदन में कांग्रेस सरकार के समय जमकर संघर्ष किया था, जिसके कारण कांग्रेस हारी और भाजपा को सत्ता मिल पाई थी।
लेकिन किरोड़ी को भाजपा सरकार में मन मुताबिक पद नहीं मिला है, जबकि सतीश पूनियां और राजेंद्र राठौड़ चुनाव हार गये थे। आपको लगता है भाजपा किरोड़ीलाल को पार्टी से बाहर करेगी, या फिर पार्टी के नोटिस के कारण खुद किरोड़ी ही पार्टी छोड़ देंगे?
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