सचिन पायलट ने मंच से ही पूर्व मंत्री प्रताप सिंह की रड़क निकाल दी


रामगोपाल जाट 

 कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जयपुर में पार्टी के मंच से ही कांग्रेस की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास की परोक्ष रूप जमकर रड़क निकाल दी। उन्होंने कहा कि खाचरियावास ने बहुत बड़ी ताक़त दिखाई है, इसलिए हम सब उनके नेतृत्व में कांग्रेस की ओर से राज्य की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। पायलट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रताप सिंह खाचरियावास ने जिला अध्यक्ष रहते हुए जो प्रदर्शन किए थे, उनके बारे में उन्होंने मंच से ही विस्तार पूर्वक बताया कि वे कैसे जबरदस्त काम करते थे। 

सचिन पायलट एक साल में पहली बार राजस्थान कांग्रेस के सबसे बड़े प्रदर्शन में पहुँचे थे। हालांकि, सत्ताविहीन होने के बावजूद कांग्रेस ने इससे पहले एक साल में इतना बड़ा प्रदर्शन किया भी नहीं था। गौरतलब है कि इस समय सचिन पायलट कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं, जबकि अशोक गहलोत महज एक विधायक हैं। प्रताप सिंह खाचरियावास अभी कुछ भी नहीं हैं और गोविंद सिंह डोटासरा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। 

बगावत करने के बाद 13 जुलाई  2020 को जब सचिन पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया था, तब गहलोत के आशीर्वाद से गोविंद डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। डोटासरा के नेतृत्व में पहले दिसंबर 2023 विधानसभा का मुख्य चुनाव हारने और नवंबर में हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इस वजह से डोटासरा को पीसीसी अध्यक्ष पद से हटाने की मांग तेज हो गई है।   

यही वजह है कि अब प्रताप सिंह खाचरियावास खुद को कांग्रेस अध्यक्ष के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानते हुए पायलट के नेतृत्व में किए गए अपने पुराने संघर्ष को याद दिला रहे हैं। सचिन पायलट इस बात को अच्छे से जानते हैं कि प्रताप सिंह किस लक्ष्य पर निशाना साध रहे हैं। आपको याद होगा जब पायलट पार्टी अध्यक्ष थे तब उन्होंने ने ही प्रताप सिंह को जिला अध्यक्ष बनाया था, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रताप सिंह पाला बदलकर गहलोत के साथ चले गए थे। कहा तो यह भी जाता है कि गहलोत के पास प्रताप सिंह के भ्रष्टाचार की सीडी थी, जिसके चलते वो मजबूरीवश गहलोत के साथ रहे।

गौरलतब है कि जब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार से बगावत की थी, खाचरियावास ने बड़े दंभ भाव के साथ कहा था कि, जब सचिन पायलट निकर पहनते थे, तब वो राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष बन गए थे। इसके साथ ही यह भी कहते थे कि वे अशोक गहलोत सरकार के अधिकृत प्रवक्ता हैं और इस नाते वे जो कुछ भी बोलते हैं वही सरकार का असल पक्ष होता है। 

किंतु, सचिन पायलट जानते हैं कि जो व्यक्ति जरूरत के समय पाला बदलकर सियासी दुश्मन के पाले में जा सकता है वो कभी भी पीठ में छुरा भोंक सकता है। असल बात तो यह है कि सचिन पायलट अगले विधानसभा चुनाव से पहले खुद के कैम्प को बेहद मज़बूत और गहलोत गुट को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। इसी कड़ी में एक-एक करके गहलोत गुट के नेताओं को निपटाने का काम करते रहते हैं।

पीसीसी चीफ होने के बावजूद डोटासरा बेहद औसत दर्जे के नेता साबित हुए हैं, जो अपने जिले सीकर तक सिमटकर रह गए हैं। सचिन पायलट को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटे पाँच साल होने को है, लेकिन आज भी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें ही अपना नेता मानते हैं। छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव होने के बावजूद सचिन पायलट राजस्थान में अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली से अधिक सक्रिय रहते हैं। 

सचिन पायलट के द्वारा प्रताप सिंह खाचरियावास समेत तमाम विरोधी नेताओं पर हमले करने का लक्ष्य साफ तौर पर समझा जा सकता है। दरअसल, सचिन पायलट ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो पूरे राजस्थान में समान रूप से लोकप्रिय हैं। प्रदेश में पायलट के मुक़ाबले कांग्रेस का कोई दूसरा नेता इतना लोकप्रिय नहीं है। 

युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासियों समेत सभी वर्गों में पायलट को चाहने वालों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी है। यह बात राजस्थान कांग्रेस के अन्य नेताओं को परेशान करती है। जब भी सचिन पायलट राजस्थान दौरे पर होते हैं तो हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उनके साथ खड़े होते हैं।

खाचरियावास ने अपने स्वार्थ के लिए भले ही 2020 में सचिन पायलट को धोखा दिया हो लेकिन अब वो जानते हैं कि पार्टी में सचिन पायलट का भविष्य बेहद उज्जवल है और इसलिए जब तक पायलट का करीबी नहीं बना जाएगा, तब तक आगे की राजनीति नहीं की जा सकती है।

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