रामगोपाल जाट
राजस्थान सरकार को एक साल पूरा हो रहा है। इस अवसर पर सरकार अपने कामकाज का ब्योरा जनता के सामने रखने का विचार बना रही है तो पहले ही साल में निवेश के लिए राइजिंग राजस्थान निवेश समिट के आयोजन का भी भव्य हो चुका है। साथ ही ईआरसीपी प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने के लिए खुद पीएम मोदी से परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम तय किया गया है।
इस बीच सरकार के लिए विपक्ष जहां पूरी तरह से कमजोर, बेबस और लाचार होने के साथ ही कई धड़ों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन भजनलाल सरकार के कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा अपनी ही सरकार के लिए सचिन पायलट साबित हो रहे हैं।
लोकसभा चुनाव परिणाम के तुरंत बाद 4 जुलाई को इस्तीफा दे चुके किरोड़ीलाल मीणा ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पहले एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांंग करने पर उसकी जांच एसओजी ने की और भर्ती रद्द करने की अनुशंषा कर दी। इसके बाद मंत्रियों की कमेटी ने भी रद्द करने को कहा तो डीजीपी ने भी भर्ती परीक्षा को गलत माना। अब परीक्षा को रद्द करने की फाइल खुद सीएम के पास पड़ी है।
इसी तरह से पिछले महीने हुए उपचुनाव में किरोड़ीलाल के भाई जगमोहन मीणा दौसा से चुनाव हार गये तब से किरोड़ीलाल ने कुछ लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। किरोड़ीलाल का कहना है कि उनके भाई को कुछ जयचंदों ने हराया है। लोगों ने विश्वास देकर विष देने का काम किया है, उनकी जानकारी भी किरोड़ी के पास है और जल्द ही इस मामले को लेकर खुलासा करने का दावा भी कर रहे हैं।
अब राज्य सरकार राइजिंग राजस्थान का आयोजन कर निवेश के मार्ग खोलने का दावा कर चुकी है, लेकिन एसआई भर्ती परीक्षा समेत कई परीक्षाओं में धांधली को लेकर प्रदेश के युवा धरने, प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार के लिए यह आयोजन नाक का सवाल बन चुका था। खुद पीएम मोदी इसमें आए हैं तो सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। इसी महीने की 17 तारीख को भी पीएम मोदी जयपुर में एक सभा कर ईआरसीपी का उद्घाटन करने वाले हैं।
इधर, जयपुर में कुछ दिन पहले आधी रात को महेश नगर थाना प्रभारी कविता शर्मा ने एक लड़की को उठा लिया और एक घंटे तक पूछताछ करती रही। इसी सूचना जब किरोड़ीलाल को मिली तो वो मौके पर पहुंचे और लड़की को पुलिस के चंगुल से छुड़ा लिया। इसको लेकर विवाद हो गया।
किरोड़ी ने आरोप लगाया कि थानाधिकारी कविता शर्मा फर्जी सर्टिफिकेट से खेल कोटे में इंस्पेक्टर लगी है, जिसकी जांच हो चुकी है और चार्जशीट भी दी जा चुकी है, लेकिन कविता को बर्खास्त करने के बजाए उसको फील्ड पोस्टिंग मिली हुई है।
इस मामले को लेकर भी किरोड़ी ने सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। किरोड़ी का आरोप है कि कुछ अधिकारी हैं, जो नहीं चाहते हैं कि सीएम और उनके बीच दूरियां कम हों और सरकार ठीक से चले। इस वजह से सीएम को गलत फीडबैक दिया जा रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि सीएम भजनलाल शर्मा को गलत फीडबैक दिया जा रहा है या वो खुद ही नहीं चाहते हैं कि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की बात सुनी जाए और उन बातों का समाधान किया जाए? सवाल यह उठता है कि कौन वो अधिकारी हैं, जो सीएम और एक सीनियर मंत्री के बीच दूरियां पैदा कर सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जिन अधिकारियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उनके पीछे दोनों पूर्व सीएम हैं, जो चाहते ही नहीं हैं कि सरकार ठीक से चले और काम करे। इसी वजह से इन आरोपित अधिकारियों द्वारा सीएम और मंत्री के बीच कलह को अंजाम दिया जा रहा है।
किरोड़ीलाल मीणा कह चुके हैं कि भाजपा उनकी मां है और भजनलाल उनके भाई हैं, उनके खिलाफ वो कभी कोई काम नहीं करेंगे, लेकिन सिस्टम में बैठे अधिकारी और पुलिस के अफसर जानबूझकर सरकार को बदनाम करने काम काम कर रहे हैं।
किरोड़ी ने तो साफ कहा है कि संवादहीनता ठीक बात नहीं है, उनके लगाए आरोपों को लेकर सीएम को उनसे बात करनी चाहती, अधिकारी गलत फीडबैक दे रहे हैं और इसी तरह से सरकार के बीच कलह की नौबत आ रही है।
आपको याद होगा 11 जुलाई 2020 की घटना, जब तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी ही अशोक गहलोत सरकार से बगावत कर दी थी। उसके बाद एक महीने तक सियास ड्रामा चला और कांग्रेस आलाकमान को दखल देना पड़ा था। हालांकि, एक बार सचिन पायलट को चुप कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने लगातार साढे तीन साल तक अशोक गहलोत को चेन से सोने भी नहीं दिया था।
तब सचिन पायलट को बगावत के बाद बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने कभी कोई धरना नहीं दिया, प्रदर्शन नहीं किया, केवल 11 मई 2023 को एक बार अनशन कर धरना दिया था।
अब जुलाई से किरोड़ीलाल मीणा इस्तीफा देकर बैठे हैं, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हो रहा है। किरोड़ीलाल मीणा पहले तो नाराज थे ही, लेकिन जैसे ही उनके भाई को कुछ लोगों ने धोखे से हराने का काम किया, तब से वो और अधिक गुस्सा हो गये।
जनता के बीच रहकर जनता की आवाज उठाने वाले किरोड़ी लाल बीते 50 साल से राजनीति में हैं और हमेशा जनता के लिए संघर्ष करने का काम करते आए हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि किरोड़ीलाल को सत्ता पसंद है ही नहीं, वो विपक्ष में रहकर ही खुश रहते हैं।
आपको याद होगा वसुंधरा राजे की पहली सरकार के समय जब गुर्जर आरक्षण आंदोलन हुआ था, तब वसुंधरा राजे द्वारा आरक्षण मामले में रुख स्पष्ट नहीं करने पर नाराज होकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उनको पार्टी से बाहर कर दिया गया, जो 9 साल बाद भाजपा में लौटे थे।
तब राजस्थान में भाजपा सत्ता से बेदखल हो चुकी थी। ऐसे ही 2018 से 2023 तक किरोड़ी लाल मीणा ने गहलोत की कांग्रेस सरकार में जमकर संघर्ष किया, जिसके कारण माहौल बना और आज राजस्थान में भाजपा की सरकार है, लेकिन इसके बाद भी किरोड़ीलाल का संघर्ष समाप्त नहीं हो रहा है।
लोगों का मानना है कि भाजपा आलाकमान नहीं चाहता है कि किरोड़ीलाल मीणा सत्ता से बाहर रहे। पीएम मोदी और किरोड़ीलाल के बीच पुरानी दोस्ती है, ऐसे में मोदी भी नहीं चाहते हैं कि किरोड़ीलाल मीणा को मंत्री पद से मुक्त किया जाए, लेकिन राजस्थान में कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि किरोड़ी सत्ता में रहें और भजनलाल सरकार आराम से चल सके।
यही वजह है कि सत्ता के करीब बैठे अधिकारियों द्वारा सीएम और मंत्री के बीच संवादहीनता बनाई जा रही है। यदि यही कम्यूनिकेशन गैप बना रहा तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब दोनों के बीच कभी नहीं मिटने वाली दूनियां बन जाएं और चार साल बाद जब 2028 में चुनाव हों तो जिन किरोड़ीलाल मीणा की वजह से भाजपा सत्ता में आई है, वही किरोड़ी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का सबसे बड़ा कारण बन जाएं।
सत्ता का चेहरा मुखिया, यानी सीएम होता है, जिसे अपने मंत्रियों, सत्तापक्ष के विधायकों और विपक्ष को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में समय रहते यदि भजनलाल ने किरोड़ीलाल को मनाकर सत्ता के साथ नहीं रख पाए तो हो सकता है आने वाले चार साल के लिए किरोड़ी अपनी ही सरकार के सचिन पायलट बन जाएं तो चार साल तक सत्ता को ठीक से चलने ही नहीं दें।
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