रामगोपाल जाट
राजस्थानी की राजधानी जयपुर से 110 किलोमीटर दिल्ली हाइवे पर बडियाली ढाणी कीरतपुरा में बीते पांच दिन से एक 3 वर्षीय चेतना बोरवेल में 120 फीट नीचे है। शासन—प्रशासन दिनरात लगा हुआ है। देशी—विदेशी जुगाड़ों से कई बार प्रयास करने के बाद भी करीब 100 घंटे से बच्ची बोरवेल से बाहर नहीं निकाली जा सकी है। जिला कलेक्टर नहीं बता पा रही हैं कि बच्ची की हालत कैसी है, जबकि परिजनों का हाल खराब है, उन्होंने प्रशासन पर घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि एक फरवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही मामलों पर आदेश जारी कर सभी सरकारों को कहा था कि सूखे कूएं, बोरवेल इत्यादि को ढ़कना प्रशासन की जिम्मेदारी है। इस तरह के सभी बोरवेल को कंटीले तारों से तारबंदी या लोहे की वेल्डिंग करके बंद किया जाना चाहिए। उस आदेश को 10 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक भी हर महीने ऐसे मामले सामने आ ही जाते हैं। इससे पहले 9 दिसंबर को दौसा में भी 5 साल के आर्यन को चार दिन बाद बोरवेल से निकाला तो गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
अब चेतना भी पांच दिन से बोरवेल में है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से फैल साबित हो रहा है। शुरुआत में प्रशासन ने अपने साधन लगाए, उसके बाद देशी जुगाड़ करके 30 फीट तक खींचा गया, लेकिन वहां पर अटक गई। तब से पांच—छह तरह के संसाधनों का इस्तेमाल कर निकालने का प्रयास किया गया है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। इसके बाद 26 दिसंबर को गुरुग्राम से पाइलिंग मशीन मंगवाई गई। हालांकि, गुजरात से टीम आने के बाद ही पाइलिंग मशीन को शुरू किया गया, लेकिन आखिरकार वो भी विफल हो गई। इसके बाद बोरवेल के 20 फीट पास ही रेट मशीन से गड्डा खोदा जा रहा है। शुक्रवार तक गड्डा खोदा जा चुका था, लेकिन बोरवेल तक नहीं पहुंचा जा सका है।
शुक्रवार को बरसात होने के कारण खुदाई में भी दिक्कतें आई हैं। इस बीच बार—बार काम रोकना पड़ा है। हालांकि, देर रात तक काम चल रहा है और दिन में ही कैमरे से बनाए वीडियो में चेतना के शरीर में हलचल दिखाई दे रही है। इसके कारण प्रशासन को अभी भी उम्मीद है कि चेतना को जिवित बचाया जा सकता है। सवाल यह उठता है कि एक तरफ हम चांद पर जा रहे हैं, दूसरी ओर जमीन में 120 फीट नीचे से बच्ची नहीं निकाला जा सका है।
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