महाराणा प्रताप के वंशज आमने-सामने क्यों?



रामगोपाल जाट 

देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महान योद्धा महाराणा प्रताप के वंशज आज आमने-सामने हैं। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के वंशज समत्ति विवाद को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। 

पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह महाराणा के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह ने स्वयं का राजतिलक करने की घोषणा की थी, लेकिन उनके पिता के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ ने यहाँ चित्तौड़गढ़ में धूणी माता और एकलिंग जी के दर्शन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। जबकि विश्वराज सिंह ने घोषणा की थी कि उनका राजतिलक होने के बाद वो धूणी माता के दर्शन करेंगे और उसके उपरांत उनके कुल देवता एकलिंग जी के दर्शन करने जाएँगे।

इससे पहले सोमवार को अरविंद सिंह मेवाड़ ने धूणी माता और एकलिंग जी उनके ट्रस्ट के पास हैं, जहाँ उनकी अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। समाचार पत्रों में प्रकाशित कर बताया गया था कि कुछ लोग ख़ुद को महाराणा प्रताप का उत्तराधिकारी बताते हैं और राजतिलक कर उक्त स्थानों पर प्रवेश करने की कोशिश कर सकते हैं। 

यह भी कहा गया कि कुछ असामाजिक तत्व इन क्षेत्रों में जबरन प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं, इसलिए कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को इसके लिए सूचित किया गया है। ग़ौरतलब है कि महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह भाई थे, लेकिन उनके पिता भगवत सिंह मेवाड़ ने सन 1984 में वसीयत कर कहा था कि धूणी माता एवं एकलिंग जी की सम्पूर्ण संपत्ति अरविंद सिंह के ट्रस्ट को सुपुर्द कर दी थी, जबकि वो छोटे बेटे थे।

किंतु अब उनके बड़े बेटे का निधन होने पर उनके पुत्र विश्वराज सिंह ने स्वयं को महाराणा घोषित कर दिया। सोमवार को राजतिलक करवाने के बाद उन्होंने धूणी माता एवं एकलिंग जी के दर्शन करने की घोषणा कर थी, जो इस वंश की राजतिलक के उपरांत की एक परम्परा रही है। 

राजतिलक कराने के बाद विश्वराज सिंह जब सिटी पैलेस जा रहे थे तो वहाँ का दरवाजा बंद कर दिया गया। इसके बाद विश्वराज सिंह और उनके परिवार समेत समर्थक वहीं पर धरने पर बैठ गए। देर रात तक कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौजूद रहे। 

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