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उपद्रव के बाद नेताओं के बयानों और मंत्री के मैदान में कूदने का असर क्या हुआ?

रामगोपाल जाट 
राजस्थान में सात सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान टोंक जिले के देवली—उनियारा सीट पर कथित तौर पर हुए फर्जी मतदान के बाद विवाद में अब राजनीति हावी हो गई है। सोशल मीडिया पर दो धड़े एक दूजे को झूठा करार दे रहे हैं, जबकि समरावता गांव में बीती रात को हुए नुकसान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रास्ते में जहां—तहां जली हुई गाड़ियां, जले घर, पेड़ और खेतों की बाड़ जलकर खाक हो चुकी हैं। विवाद के बाद पूरी रात गांव में पुलिस प्रशासन और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थकों के बीच जमकर बवाल मचा। पुलिस देर रात का नरेश को पकड़ने के लिए गांव में दबिश देती रही, जबकि खुद नरेश के अनुसार उनको समर्थकों ने गांव से पांच किलोमीटर दूर पहुंचाकर पुलिस से बचा लिया।

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गुरुवार सुबह पुलिस ने गांव वालों को समझाइश की तो साथ ही नरेश को पकड़ने के लिए जाब्ता भी लगाया। इस दौरान नरेश ने मीडिया से बातचीत कर अपना पक्ष रखा। उनके अनुसार एसडीएम अमित चौधरी ने समरावता गांव में बहिष्कार के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समेत तीन जनों को वोटिंग करवाने का काम किया है। इसके बाद मीणा ने एसडीएम चौधरी को थप्पड़ मार दिया। हालांकि, पुलिस ने मीणा को बूथ से बाहर निकालकर मामला तब शांत करवा दिया, लेकिन रात 8 बजे तक वोटिंग होती रही। रात को 9:30 बजे पुलिस ने मीणा को हिरासत में ले लिया, लेकिन उनके समर्थकों और गांव वालों ने पुलिस को घेरकर उन्हें छुड़ा लिया। बाद में उनको गांव से दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। 



रात को हुआ बवाल
इस घटना के बाद पुलिस और मीणा के समर्थकों में जमकर विवाद हुआ। जिसमें उपद्रवियों ने गांव के कई घर जला दिए, गाड़ियों में आग लगा दी और महिलाओं तथा बच्चों से मारपीट के भी आरोप हैं। रातभर ड्रामा चलता रहा। पुलिस को रातभर मीणा का पता नहीं चला। सुबह मीणा ने पत्रकारों को बुलाकर पूरी जानकारी दी और कहा कि यदि उनको मौका मिलता तो एसडीएम चौधरी को और बुरी तरह से मारते। नरेश मीणा को अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने एसडीएम पर फर्जी मतदान करवाने और पुलिस द्वारा उन पर अत्याचार करने के आरोप लगाए गए। 

नरेश मीणा को गिरफ्तार किया
सुबह पुलिस ने नरेश मीणा को पकड़ लिया। पकड़ने के बाद मीणा ने चलते हुए ही पत्रकारों को कहा है कि उन्होंने सरेंडर नहीं किया है। इसका वीडियो वायरल हुआ तो मीणा के समर्थक और भड़क गये और टोंक—सवाई माधोपुर हाईवे जाम कर दिया। साथ ही आगजनी की और राहगीरों को जाने नहीं दिया गया। यहीं पर अलीगढ़ में उपद्रव को शांत करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया, जिसके बाद हाईवे को खोल दिया गया। 



मंत्री मीणा ने संभाला मोर्चा
इधर, राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने देवली पहुंचकर समरावता गांव का जायजा लिया और पुलिस से पूरी जानकारी जुटाई। हालांकि, उनके पहुंचने से पहले नरेश मीणा को अरेस्ट करने पर नाराज भी दिखे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार किरोड़ी मीणा ने गांव वालों से बात कर मुआवजा दिलाने का भी आश्वासन दिया। 

अशोक गहलोत ने लगाए गंभीर आरोप
इसके बीच कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बयान देकर कहा कि नरेश मीणा को किसने चुनाव लड़ाया है, इसके ऊपर पीसीसी की पूरी नजर है, जो विवाद हुआ, वो नहीं होना चाहिए था, सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है और राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो गई है। गहलोत के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी कितनी गंभीर है।



किरोड़ी को मानता है अपना गुरु
नरेश मीणा ने राजस्थान विवि के छात्रसंघ चुनाव से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। उन्होंने महासचिव का चुनाव जीता था। नरेश शुरू से ही गुस्सैल स्वभाव का रहा है। उसने कई मौकों पर कहा है कि किरोड़ी लाल मीणा उनके राजनीतिक गुरु हैं। एक समय वह किरोड़ी की पार्टी रही राजपा का सदस्य भी था। बाद में किरोड़ी जब भाजपा में पुन: शामिल हो गए तो नरेश ने भी सचिन पायलट के अध्यक्ष रहते कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।

मुरारी लाल मीणा पर लगाए गंभीर आरोप
मंत्री रहते मुरारी लाल मीणा ने अपनी बेटी निहारिका जोरवाल को राजस्थान विवि का चुनाव लड़ाया, जिसे नरेश मीणा ने पूरा सहयोग किया था। बाद में निहारिका चुनाव हार गईं तो नरेश मीणा ने मीडिया से बात करते हुए चुनाव खर्च के बाद बचे हुए पैसों को वापस देने की बात कही थी। उसके बाद विधानसभा चुनाव में टिकट मांगा था, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला तो छबड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ा। तब भी प्रशासन के साथ उनकी झड़प हुई थी। लोकसभा चुनाव में दौसा से टिकट मांगा, लेकिन कांग्रेस मुरारीलाल मीणा को प्रत्याशी बनाया। तब नरेश ने मुरारीलाल पर भी कई आरोप लगाए थे। हालांकि, बाद में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन इस उपचुनाव में नरेश ने दम भरा। कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय मैदान में कूद गया।

15 मुकदमे दर्ज, 7 में फरार
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार नरेश मीणा पर 15 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या तक का भी है। इनमें से 7 मामले में अनुसंधान पूरा हो चुका है और गिरफ्तार होना बाकी है। अब पुलिस ने पकड़ लिया है तो जल्द ही जेल से बाहर आना कठिन है। दूसरे मामलों में भी नरेश को पकड़ा जा सकता है।



4 एफआईआर, 60 को दबोचा
समरावता मामले में नरेश समेत समर्थकों पर 4 एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 60 जनों को पकड़ा है। पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान के अनुसार बाकी आरोपियों को भी पकड़ा जाएगा। आगे विवाद बढ़ने की आशंका के चलते पुलिस बल तैनात किया गया है। स्थानीय स्तर पर आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है। 

पुलिस ने जलाए घर
स्थानीय निवासियों के अनुसार पुलिस ने ही समरावता गांव के कई घरों में आग लगाई थी, जबकि गाड़ियां भी जलाईं और उनके घरों से बाहर निकालकर पीटा गया। पुलिस ने तमाम आरोपों को निराधार बताया है। झड़प के दौरान एक पत्रकार और कैमरामैन को भी चोटें आईं और कैमरा भी टूट गया। 



लोगों को किरोड़ी से आश है
नरेश मीणा के समर्थकों का कहना है कि इस मामले में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा पर ही भरोसा है। पुलिस और प्रशासन पर कोई विश्वास नहीं है, जबकि सरकार को नाकाम बताया जा रहा है। लोगों के आरोप हैं कि भाजपा की सरकार ने चुनाव जीतने के लिए पूरा विवाद करवाया है, फर्जी वोटिंग करवाई और नरेश मीणा को फंसाने का काम किया है। नरेश मीणा के समर्थकों और समरावता गांव के लोगों का कहना है कि यदि किरोड़ी लाल मीणा कोई विश्वास देंगे तो ही भरोसा किया जाएगा, अन्यथा पुलिस का कोई विश्वास नहीं किया जाएगा। 

नरेश को जयपुर ले गई पुलिस
सूत्रों के मुताबिक़ नरेश मीणा को पकड़ने के बाद पुलिस जयपुर ले गई। इसके कारण उसके समर्थकों में गुस्सा भी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार यदि टोंक में रखा जाता तो विवाद बढ़ सकता था, इसलिए उसे जयपुर लाया गया है। हालांकि बाद में पता चला कि पुलिस ने नरेश को टोंक में ही रखा है।


नरेश ने दी चेतावनी
इस बीच नरेश मीणा के एक्स अकाउंट से चेतावनी जारी की गई है कि पुलिस उनके समर्थकों पर बर्बरतापूर्वक बर्ताव बंद करे, अन्यथा ये आग पूरे प्रदेश में फैल जाएगी। सवाल यह उठता है कि यदि नरेश को पुलिस ने पकड़ लिया है तो फिर ये बयान कौन जारी कर रहा है और किसके कहने से जारी किए जा रहे हैं?

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