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राजस्थान की 7 सीटों का सबसे सटीक विश्लेषण

 


राजस्थान की सातों सीटों के उपचुनाव की तलवारें खिंच चुकी हैं। झुंझुनू की बात की जाए तो यहां ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव लड़ रही है, जबकि सामने भाजपा के राजेंद्र भांभू हैं। यहां पर पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा तीसरे उम्मीदवार हैं। प्रचार से साफ लग रहा है कि गुढ़ा ने मुकाबला कड़ा कर दिया है। ठीक से कह पाना कठिन है कि कौन जीत रहा है। खींवसर सीट पर बेनीवाल परिवार की तीसरा चेहरा उतरा है। 

बेनीवाल के करीबी रेवंतराम डांगा भाजपा के उम्मीदवार हैं, जबकि ज्योति मिर्धा से लेकर कांग्रेसी दिव्या मदेरणा भी कनिका बेनीवाल को हराने का अथक प्रयास कर रही हैं। राजपूत पहली बार खुलकर बेनीवाल के साथ दिखाई दे रहे हैं। यहां पर बेहद नजदीकी मुकाबला हो रहा है। रामगढ़ में भाजपा—कांग्रेस के ज्यादा जाति—धर्म की लड़ाई है। अभी तक भाजपा का कोई हिंदूवादी नेता खुलकर नहीं बोला है, जिसके कारण वोटों का तुष्टिकरण नहीं हो पाया है। फिलहाल कांग्रेस भारी दिखाई दे रही है। 

दौसा में किरोड़ी लाल मीणा की इज्जत दांव पर लगी है तो सचिन पायलट का उपरी मन से प्रचार करना भाजपा के पक्ष में जा रहा है। यहां पर सीएम भजनलाल की साख भी दांव पर है। मतदाता चुप है, तो समर्थक माहौल बनाने में लगे हैं। दौसा में भी मुकाबला नजदीकी हो गया है। देवली—उनियारा में भाजपा भारी दिख रही है, जबकि निर्दलीय नरेश मीणा जितना वोट लेंगे, उतना ही भाजपा को फायदा होगा। चौरासी में आदिवासी ईसाइयों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। 

यहां भाजपा ही मुकाबले में है, कांग्रेस जमानत बचाने की जुगत लगा रही है। भाजपा का वोट घर से निकलेगा तो ही लड़ाई हो पाएगी, अन्यथा बाप की जीत पक्की है। सलूंबर में भाजपा सहानुभूति की लहर पर सवार है, तो बाप कांग्रेस को हराने का इंतजाम कर रही है। यहां पर ईसाई बन चुके आदिवासी ही जीत—हार तय करेंगे। 

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