भाजपा के वरिष्ठ नेता और इस्तीफा दे चुके कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भाजपा की भजनलाल सरकार के लिए आत्मघाती दस्ता बन चुके हैं, जिन्होंने भजनलाल की पर्ची सरकार की नाक में दम कर रखा है। किरोड़ीलाल वैसे तो इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन जब तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हो जाता, तब तक वो मंत्री ही हैं।
इसी के चलते पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा रद्द करने मा मुद्दा उठाया और इसके बाद सरकार ने लीपापोती करते हुए मंत्रियों की एक कमेटी बना दी। इस कमेटी में संयोजक जोगाराम पटेल हैं और बाकी सदस्य मंत्री हैं। ये सभी मिलकर इस बात का परीक्षण करेंगे कि जिस एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने के लिए एसओजी ने अनुशंसा की है, उसको रद्द किया जाए या फिर नहीं।
मजेदार बात यह है कि एसआई भर्ती को रद्द करने के लिए शुरू से ही किरोड़ीलाल मीणा सरकार से मांग करते रहे हैं। उन्होंने ही एसओजी को इस भर्ती परीक्षा रद्द करने के लिए तमाम जरूरी दस्तावेज दिए और उन्हीं के आधार पर जांच कर एसओजी ने दर्जनों एसआई दबोच लिए। आज कई ट्रेनी एसआई जेल में हैं, जबकि उन्हीं किरोड़ीलाल मीणा को इस कमेटी में नहीं लिया गया।
इससे किरोड़ी इतने नाराज हुए कि सरकार के खिलाफ खुलकर बगावत कर दी है। उन्होंने साफ कहा है कि यह कमेटी सिर्फ लीपापोती करने के लिए बनाई गई है, इस कमेटी को न तो इस भर्ती परीक्षा के बारे में जानकारी है और न ही इसे रद्द करने का अधिकार है, जो फिर कमेटी बनाकर लीपापोती क्यों की जा रही है।
डॉ. किरोड़ी ने यह भी कहा है कि चाहे फर्जी डॉक्टर का मामला हो या अन्य किसी भी तरह की गड़बड़ी हो, हर बार उन्होंने सबूतों के साथ सीएम को अवगत करवाया है, लेकिन सरकार कुछ भी नहीं कर रही है।
ऐसा नहीं है कि किरोड़ी ने पहली बार किसी मामले को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि दर्जनों ऐसे घटनाक्रम सामने आ चुके हैं, जब किरोड़ी के कारण भाजपा की भजनलाल सरकार सवालों के घेरे में है। किरोड़ी ने आरएएस भर्ती 2018, 2021 को भी सवालों में लिया है और सरकार से इनकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
सीबीआई जांच की मांग भी किरोड़ी की नई नहीं है, बल्कि गहलोत सरकार के दौरान से ही कर रहे हैं। तब भाजपा भी पेपर लीक को लेकर सीबीआई जांच की मांग करती रही है, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद भाजपा चुप है, जबकि भजनलाल की वीक सरकार एक भी ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।
एक तरफ तो किरोड़ी ने इस्तीफा देकर आधे अधूरे विभागों के सरकारी दायित्वों से मुक्ति पा रखी है, तो दूसरी ओर अपनी जनता को साफ संदेश दिया है कि उनके समर्थकों द्वारा उनका कहना नहीं मानने के कारण उन्होंने अपने वादे के मुताबिक मंत्री पद छोड़ दिया है। अब एक विधायक की हैसियत से जनता के तमाम सरकारी काम कर रहे हैं, तो साथ ही आवश्यक होने पर मंत्री के काम भी कर रहे हैं।
किसी भी सत्ता के खिलाफ विपक्ष का काम विपक्षी दलों के द्वारा किया जाता है। राजस्थान में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस है, लेकिन कांग्रेस तीन जगह बंटी हुई है, जो विपक्ष की भूमिका केवल सोशल मीडिया पर ही कर पा रही है। दूसरी तरफ जनता के तमाम मुद्दों पर किरोड़ीलाल मुखर हैं, यानी सरकार में रहकर सरकारी काम भी कर रहे हैं और सरकार में रहकर ही विपक्ष का काम भी कर रहे हैं।
राजस्थान की सरकार बने 300 दिन बीत चुके हैं, लेकिन विपक्ष की ओर से केवल बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं कर पाया है। जबकि किरोड़ीलाल ने मंत्री का काम भी किया, पार्टी के लिए प्रचार भी किया और जरूरत पड़ने पर जनता के कामों के लिए सरकार के खिलाफ भी खड़े हैं।
जो काम विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष डोटासरा और पूर्व सीएम गहलोत नहीं कर पा रहे हैं, सरकार के सामने वो संकट किरोड़ीलाल पैदा कर रहे हैं, जबकि ये सब काम विपक्ष को करना था। विपक्ष में डोटासरा भी किरोड़ी के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। यानी विपक्ष को भी अपनी राजनीति चलाने के लिए किरोड़ी का सहारा लेना पड़ रहा है।
पेपर लीक मामलों को उठाने के मास्टर बन चुके किरोड़ीलाल ने तमाम भर्ती परीक्षाओं की जांच सीबीआई से कराने, आरपीएससी का पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं। जबकि यही बातें पहले भाजपा किया करती थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा अध्यक्ष, प्रभारी या अन्य कोई प्रवक्ता इसको लेकर एक शब्द नहीं बोलता, केवल किरोड़ीलाल इस बात पर अडिग हैं, कि तमाम मांगों पर काम होना चाहिए।
देखिये होता क्या है कि जब कोई विपक्षी नेता सरकार से किसी विषय पर कार्यवाही करने की मांग करता है तो उसे जनता नाजायज भी मानने लगती है, लेकिन जब सरकार का मंत्री ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, तो जनता को लगता है कि यह बात बिलकुल सच है। क्योंकि जो विपक्षी वोटर होता है, वो भी तो यही चाहता है कि सरकार की कमियां उजागर होनी चाहिए।
रैलियां करने, भाषण देकर आकर्षित करने के लिए तो सचिन पायलट काफी हैं, लेकिन अध्यक्ष होने के नाते डोटासरा को धरने देने चाहिए, अनशन करना चाहिए, प्रदर्शन करना चाहिए, इन तमाम चीजों में कांग्रेसी नेता फैल हो रहे हैं। विपक्ष के मुद्दों को कांग्रेसी नेता नहीं उठा रहे हैं, लेकिन मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने झंडा बुलंद कर रखा है। इसके कारण सरकार की नाक दम हो रखा है।
सरकार और भाजपा के नेता न तो किरोड़ीलाल के खिलाफ बोल पा रहे हैं और न ही उनके खिलाफ कार्यवाही कर पा रहे हैं। असल बात यह है कि आज राजस्थान भाजपा में या राजस्थान की भाजपा सरकार में एक भी जिम्मेदार ऐसा नहीं है, जो किरोड़ीलाल की इस बगावत के बाद भी उनके ऊपर कार्यवाही कर सके।
इसके चलते भाजपा के बड़े नेता किरोड़ीलाल मीणा भाजपा की पर्ची सरकार के लिए आत्मघाती दस्ता बन चुके हैं, जिनके कारण भाजपा की सरकार ही कटघरे में खड़ी है और बिना मेहनत करे कांग्रेस इसका पूरा मजा ले रही है।
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