भारत दुनिया का पहला देश है, जिसने अपने नागरिकों की यूनिक आईडेंटीफिकेशन के लिए आधार कार्ड बनाया। आधार जैसा आईडेंटी कार्ड दुनिया में किसी दूसरे देश के पास नहीं है। इसकी तरह से अपने सवा सौ करोड़ नागरिकों के लिए आसान पेमेंट सिस्टम 'यूपीआई' शुरू किया।
आज पूरी दुनिया में भारत अकेला देश है, जो वर्ल्ड के टोटल डिजीटल पेमेंट का 40 प्रतिशत से अधिक डिजीटल पेमेंट करता है। यूपीआई की सफलता से अमेरिका, चाइना, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे विकसित देश चकित हैं। इसी कड़ी में भारत अब यूएलआई ला रहा है।
आधार, यूपीआई और यूएलआई की 'नई त्रिमूर्ति' भारत की डिजिटल जर्नी में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। भारत ने अप्रैल 2016 में डिजीटल पेमेंट सिस्टम, यूपीआई लॉन्च किया था, जो आज दूनिया में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा सिस्टम बन गया है।
एनपीसीआई द्वारा संचालित यूपीआई को रिजर्व बैंक के डायरेक्शन में बैंकों की ओर से पूरा सपोर्ट मिला है। पूरे विश्व में यूपीआई एक मजबूत, चार्जेज फ्री, पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम बन गया है। दुनियाभर में यूपीआई हैरानी के साथ बहुत दिलचस्पी पैदा कर रहा है। यूएलआई डिजीटल की दिशा में आगे बढ़ने का कदम साबित होगा, क्रेडिट रेटिंग के लिए लगने वाले टाइम को खत्म करे देगा।
खासकर स्मॉल कस्टमर और ग्रामीण क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। यूएलआई सिस्टम गवर्नमेंट सोर्सेज से नॉलेज लेकर डिजिटल जानकारी के लिए ‘प्लग एंड प्ले’ के हिसाब से काम करेगा। इससे कई टेक्निकल इंटीग्रेशन की जटिलता कम हो जाएगी।
यूएलआई के कारण बैंकों से लोन लेने वालों को डॉक्यूमेंट्स देने की जरूरत नहीं होती। उन्हें कर्ज की Uninterrupted Supply का लाभ मिलेगा। यूएलआई ग्राहक के Financial and non-financial details तक पहुंचकर डिजिटल नॉलेज से विभिन्न सेक्टर्स, खासकर एग्रीकल्चर और एमएसएमई के लिए लोन की मांग को पूरा किया जाएगा।
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