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कांग्रेस में जंग किस बात की चल रही है?

 


कांग्रेस पार्टी वैसे तो देश की सबसे पुरानी पार्टी है और संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भी है, लेकिन अधिकांश राज्यों में भाजपा का शासन है और केंद्र में भी लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार है। हरियाणा की 90 सीटों पर एक अक्टुबर को चुनाव होगा, जबकि जम्मू—कश्मीर 90 विधानसभा सीटों के लिए 18, 25 सितंबर और 1 अक्टुबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। दोनों राज्यों में 4 अक्टुबर को मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम आएगा। जम्मू कश्मीर में बीते 6 साल से राष्ट्रपति शासन है तो हरियाणा में 10 साल से भाजपा शासन में है। हरियाणा राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर कुल 89 लाख मतदाता हैं, जिसके चुनाव पर पूरे देश की नजर है। जबकि जम्मू कश्मीर में करीब 87 लाख से अधिक वोटर हैं, जो काफी समय बाद अपने मताधिकार का उपयोग कर पाएंगे।


भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएम पद से मनोहर लाल खट्टर को हटाकर एंटी इनकंबेंसी दूर करने का प्रयास किया है, तो साथ ही राजस्थान के बड़े नेता डॉ. सतीश पूनियां को प्रदेश प्रभारी बनाकर यहां के करीब 30 फीसदी जाट वोट बैंक को साधने पर भी फोकस किया है। हरियाणा में बीते दो विधानसभा चुनाव में जाट बनाम अन्य जातियां करके भाजपा सत्ता पाने में कामयाब रही है। हालांकि, पिछले चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, लेकिन 7 सीटों वाले दुष्यंत चौटाला को साथ लेकर सरकार बना ली थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दुष्यंत चौटाला के साथ अलाइंस खत्म करके भाजपा ने नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया, जो सैनी वोटर्स को साधने का सीधा संबंध माना गया। बीते 10 साल में हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन, किसान आंदोलन और बीते साल महिला पहलवानों के आंदोलन के कारण भाजपा कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। इसके चलते कांग्रेस पार्टी अपने लिए काफी स्कोप देख रही है।


किंतु खुद कांग्रेस पार्टी भी यहां पर तीन—चार गुटों में बंटी दिखाई दे रही है, जिसके कारण भाजपा अलग तरह की रणनीति बनाकर चल रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने बिंदू चौधरी और उनकी बहन को अपने पाले में लेकर जाट वोट में सेंधमारी करने का प्रयास किया है। बिंदु चौधरी हरियाणा के पूर्व सीएम बंसीलाल चौधरी के बेटे की बहू है। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी भाजपा में हैं, तो साथ ही कुलदीप बिश्नोई को भी भाजपा पाले में ले चुकी है। कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। कुमारी शैलजा हरियाणा की सबसे बड़ी दलित नेता मानी जाती हैं। इन तीनों में लड़ाई इस कदर जारी है कि भूपेंद्र हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला एक दूसरे पर खुलेआम जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। भूपेंद्र हुड्डा ने सुरजेवाला पर हमला बोलते हुए ट्वीटर पर उनको 'मीठा चमचा' और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी चैलेंज करते हुए लपेटे में ले लिया। इसके बाद सुरजेवाला भी भड़क गए, लेकिन अंततः: एक बात साफ हो गई है कि हरियाणा में भी राजस्थान के अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तरह लड़ाई चल पड़ी है। 


बात यदि भूपेंद्र हु्ड्डा के करियर करें तो वो 10वीं, 11वीं, 12वीं, 14वीं लोकसभा में रोहतक से जीतकर सांसद बने थे। इसके अलावा 4 बार से विधायक भी हैं। मार्च 2005 से 2014 तक लगातार 10 साल भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के सीएम भी रहे हैं। उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी लोकसभा सांसद हैं और दोनों बाप—बेटे यहां कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए जुटे हुए हैं। दीपेंद्र हुड्डा को इस बार सीएम पद का दावेदार बताया जा रहा है। भाजपा की 10 साल से सरकार होने के कारण एंटी इनकंबेंसी है और इसका फायदा कांग्रेस को निश्चित रूप से ही मिलेगा, लेकिन उसे सत्ता मिलने का रास्ता भाजपा की रणनीति पर ही मिलेगा। माना जा रहा है कि राज्य में जाट समाज भाजपा से नाराज है, इसलिए भाजपा ने डॉ. सतीश पूनियां को प्रदेश प्रभारी बनाकर नाराजगी कम करने का प्रयास भी किया है। 


भाजपा अभी से भूपेंद्र हुड्डा के शासनकाल में गुड़गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन की खरीद—फरोख्त और इसमें प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ डीएलएफ जमीन घोटाला करने के मामले को प्रमुखता से उठा रही है तो कांग्रेस ने भाजपा के 10 साल के शासन को अब तक का सबसे बुरा शासन बताया है। डीएलएफ घोटाले को लेकर भाजपा मुखर है, लेकिन पार्टी के पास अपनी सरकार के कामकाजों को जनता के सामने रखने का भी दबाव है। वास्तव में देखा जाए तो हरियाणा में कांग्रेस को शासन तभी मिल सकता है, जब हुड्डा परिवार को पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह फ्री हैंड दिया जाएगा, अन्यथा कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के भरोसे सत्ता नहीं पा सकती। इसके अलावा किसान आंदोलन को प्रमुखता से उठाने, महिला पहलवान आंदोलन में शामिल महिला पहलवानों को टिकट देकर मैदान में उतारने और भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर करेगी तो ही सत्ता मिलने की संभावना बन सकती है। 


भाजपा की बात की जाए तो लगातार तीसरी बार सत्ता प्राप्त कर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी यह दिखाना चाहेगी कि राज्य की सबसे बड़ी आबादी के नेता को सीएम नहीं बनाकर उसने जो रणनीति अपनाई थी, वह लगातार तीसरी बार कारगर साबित हुई है। देखा जाए तो भाजपा 2014 के बाद से इस रणनीति पर काम कर रही है कि जिस राज्य में सबसे बड़ी जाति की आबादी होती है, उसको अनदेखा कर छोटी जातियों से सीएम बनाया जाता है। भाजपा ऐसा हरियाणा के अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कर चुकी है। हालांकि, पिछले कुछ समय से इस नीति को फिर से बदला जा रहा है, जिसका नतीजा गुजरात में देखा जा चुका है। गुजरात में भाजपा ने पटेल समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया जो उसे अब तक की सबसे बड़ी जीत मिली है। हरियाणा में भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएम तो बदला, लेकिन फिर भी सबसे बड़ी आबादी को अनदेखा ही किया है, जिसके कारण वहां पर राजनीतिक हालात भाजपा के पक्ष में होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। 


अब तक भूपेंद्र हुड्डा कह रहे हैं कि उनका आम आदमी पार्टी के साथ कोई अलाइंस नहीं हो रहा है, लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के बाद भी पूरे दमखम से चुनाव की तैयारी कर रही है, उससे कांग्रेस चिंतित जरूर होगी। भले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपने वादे पूरे नहीं किये हों, लेकिन हरियाणा में भी फ्री घोषणाएं करके सत्ता पाने के लिए काम किया जा रहा है। ऐसे में यदि हरियाणा में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के बीच अलाइंस नहीं होता है तो भाजपा को निश्चित रूप से फायदा होगा। वैसे इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा को लगातारी तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलाइंस कर सकती है। 


हरियाणा में राजनीतिक उठापटक जोरों पर है। आने वाले महीनों में यहां की सियासत पूरे उफान पर होगी। इसलिए हरियाणा की राजनीति में होने वाले हर छोटे—बड़े घटनाक्रम को लेकर मैं समय—समय पर वीडियो लेकर आता रहूंगा। यदि आपको हरियाणा की राजनीति में इंटरेस्ट है तो आप चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए और बैल आइकन के बटन को भी दबा लीजिए। साथ ही वीडियो आपको पसंद आया हो तो इसको लाइक करके कमेंट कर वीडियो को अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर दीजिए। 

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