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बिना द्रौणाचार्य कैसे तैयार होंगे अर्जुन- रवींद्र सिंह भाटी



मंगलवार को सदन में खेल मामलों पर बहस के दौरान रवींद्र सिंह भाटी ने सदन में अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए कहा की आज से ठीक तीन दिन बाद, 26 जुलाई को, पेरिस ओलंपिक की भव्य शुरुआत होने जा रही है। इस महानतम आयोजन में दुनिया के 10,500 बेहतरीन खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें हमारे देश के भी 117 वीर खिलाड़ी शामिल हैं। 

भाटी ने खा मी उन्हें अत्यंत दुख और आश्चर्य है कि इस गर्वित क्षण में हमारे प्रदेश, राजस्थान, से मात्र 2 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। जबकि हरियाणा, जो क्षेत्रफल और जनसंख्या में राजस्थान से छोटा है, से 22 और पंजाब से 20 खिलाड़ी इस दल में शामिल हैं। यह हरियाणा की सरकारों की खेल और खिलाड़ियों के प्रति सकारात्मक रवैये और सोच का ही परिणाम है।

भाटी ने सदन में कहा की सरकारों की उदासीनता का यह परिणाम है कि केवल 2 खिलाड़ी ही ओलंपिक में भाग ले रहे हैं, और वे भी अपने व्यक्तिगत खर्च पर प्रशिक्षित हुए हैं। हमारी राज्य सरकार का इसमें कोई विशेष योगदान नहीं रहा। यह अत्यंत दुखद है कि हमारे राज्य में खेल चलाने की जिम्मेदारी जिनके पास है, उनके पास खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक ही नहीं हैं। 

भाटी ने कहा कि प्रदेश में खेल परिषद के पास केवल 248 खेल प्रशिक्षक के पद स्वीकृत हैं, जिसमें से मात्र 66 कोच ही कार्यरत हैं। इतने बड़े प्रदेश के लिए यह संख्या न के बराबर है। कई खेल ऐसे हैं जिनमें पूरे प्रदेश में एक भी कोच नहीं है। 

भाटी ने अपने वक्तव्य में आगे कहा की प्रदेश की सरकारों की खेल और खिलाड़ियों के प्रति उदासीनता के कारण आज तक राजस्थान से एक भी ओलंपिक पदक विजेता नहीं हुआ है। ओलंपिक रजत विजेता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जैसे खिलाड़ी, जो हमारे खेल मंत्री भी हैं, उन्होंने भी हालिया खेल बजट में इस ओर ध्यान नहीं दिया कि बिना द्रोणाचार्य के अर्जुन तैयार नहीं हो सकते। 

राज्य खेल परिषद के पास कोच नहीं हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बजट में घोषणा होती है कि पंचायत स्तर पर स्टेडियम बनाएंगे लेकिन जिला स्तर पर भी हमारे पास पर्याप्त स्टेडियम नहीं हैं। आज जिला स्तर पर ना हमारे पास खेल का इंफ्रास्ट्रक्चर है, ना ही कोचों की स्थिति संतोषजनक है। 

खेल मंत्री को संबोधित करते हुए भाटी ने कहा की, आप एक ओलंपिक पदक विजेता हैं, आपको तो राजस्थान के खिलाड़ियों की पीड़ा को समझना चाहिए। आपके पैतृक शहर बीकानेर के सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में रह रहे जूनियर खिलाड़ी जो भविष्य में देश और प्रदेश का नाम रोशन करने की आस लेकर आते हैं, उन्हें पिछले 16 साल से भोजन भत्ता में एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया है। 50 डिग्री तापमान में उन नन्हे खिलाड़ियों को केवल एक पंखे में रहना पड़ रहा है, कूलर तक की सुविधा उन नन्हे खिलाड़ियों के पास नहीं है। 

भाटी ने कहा कि यह शर्म की बात है कि यह तुगलकी फरमान देने वालों के खिलाफ हमारी सरकार और खेल मंत्री को कोई पीड़ा नहीं हुई क्योंकि आपके घरों और ऑफिस में घनघन एसी चल रहे हैं। लेकिन सोचिए, इस भीषण गर्मी में कोई कैसे केवल एक पंखे में रह सकता है और कैसे खिलाड़ी बन सकता है?

भाटी ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा की खेल और खिलाड़ियों के भविष्य के प्रति गहरी और परिवर्तनकारी सोच के साथ नई रणनीति तैयार की जाए। ताकि भविष्य में हम पड़ोसी राज्यों की तरह विश्व के पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें।

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