जयपुर। राजस्थान सरकार गौशालाओं को चारे के लिए 9 के बजाए 12 महीने अनुदान देने पर विचार कर रही है। गोपालन विभाग द्वारा सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जिसपर सीएम स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। यदि सरकार इस प्रस्ताव को मान लेती है तो इसी साल से गौशालाओं को 12 महीने तक चारे के लिए अनुदान मिलना शुरू हो जाएगा।
जानकारी में आया है कि गोपालन विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है कि प्रदेश में संचालित सभी गौशालाओं को 12 महीने तक अनुदान राशि दी जाए, ताकि 3 महीने तक गौशाला संचालन में दिक्कत नहीं आए। सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। यदि सरकार ने इस प्रस्ताव को मान लिया तो इसी साल से प्रदेशभर की गौशालाओं को पूरे 12 महीने के लिए अनुदान राशि मिलना शुरू हो जाएगा।
दरअसल, तत्कालीन वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार ने 2013 से 2018 के कार्यकाल के दौरान पहली बार राज्य की गौशालाओं को अनुदान देने का निर्णय किया था। तब सरकार ने साल में 6 महीने तक अनुदान देना शुरू किया था, जिसको पिछली कांग्रेस सरकार ने 3 महीने का अनुदान बढ़ाकर 9 महीने तक कर दिया था, लेकिन फिर भी गौशाला संचालकों को 3 महीने के लिए दानदाताओं पर निर्भर रहना पड़ता है। अब सरकार अनुदान राशि पूरे 12 महीने देने पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि शराब बिक्री और जमीनों की रजिस्ट्री पर गौसेस लगता है। इसके लिए शराब पर लिए जाने वाले टैक्स का 20 फीसदी और पंजीयन का 10 प्रतिशत लिया जाता है। इससे राज्य सरकार को करीब 1200 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत का मानना है कि,'इस राशि में से गौशालाओं को दिए जाने वाले अनुदान के बाद सरकार के पास करीब 100 करोड़ रुपये बचते हैं। यदि सरकार अनुदान राशि पूरे 12 महीनों के लिए देती है तो गौसेस की राशि कम पड़ती है। तीन महीने के लिए करीब 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता है।'
यदि सरकार पूरे 12 महीने अनुदान देगी तो शराब और जमीनों की रजिस्ट्री से होने वाली आय को बढ़ाना होगा या सरकार को मिलने वाली राशि में गौसेस को बढ़ाना होगा। गोपालन विभाग ने अपनी ओर से प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। वित्त विभाग की अनुमति के बाद उसके ऊपर निर्णय लिया जाएगा। गायों को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाली भाजपा से इस मामले में सकारात्मक निर्णय लेने की उम्मीद है।
Post a Comment