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गोविंद डोटासरा ने एक सीट गंवा दी. Sikar Lok Sabha chunav 2024



भाजपा 370 और एनडीए (NDA) 400 पार के नारे के साथ आगे बढ़ रहे पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को रोकने के लिए कांग्रेस (congress) के इंडिया अलाइंस (India) ने भी कमर कस ली है। इसके लिए कांग्रेस ने देश के साथ ही राजस्थान में भी अलाइंस की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। पार्टी की ओर से बताया गया है कि अभी दो सीटों पर अलाइंस की बात चल रही है, लेकिन वीर भूमि सीकर लोकसभा (Sikar Constituency )  सीट अलाइंस के तहत कांग्रेस ने सीपीआई (CPIM) को दे दी है। 

सीपीआई की ओर से अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि अमराराम (Amaram) को टिकट दिया जा सकता है, जो सीपीआई के प्रदेश मुखिया हैं। सीकर के अलावा नागौर सीट आरएलपी (RLP Nagaur) और बांसवाड़ा भारत आदिवासी पार्टी को देने की बात चल रही है। हालांकि, भारत आदिवासी पार्टी ने अपने विधायक राजकुमार रोत को बांसवाड़ा से अपना उम्मीदवार बना दिया है। यदि कांग्रेस की सीपीआई की तरह ही आरएलपी और बाप के साथ गठबंधन होता है तो भाजपा के तीसरी बार टारगेट—25 पूरा होना कठिन हो जाएगा।

लोकसभा सीटों की जानकारी की इस कड़ी में आज हम बात करेंगे शेखावाटी की सीकर लोकसभा सीट (Sikar Lok Sabha History) की, जहां पर पिछले दो बार से भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ जीत रही है। राजस्थान में इस क्षेत्र का अपना अलग ही महत्व है। जिले के हिसाब से बात की जाए तो झुंझुनू के बाद सीकर देश में सैनिकों के मामले में दूसरे स्थान पर आता है। सीकर वीरों की भूमि होने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान रखने वाला जिला है। यह वह लोकसभा क्षेत्र है, जिसने देश में जाट राजनीति को नए आयाम दिए हैं। यहां की राजनीति में पनपे कई नेता देश के उच्च पदों पर पहुंचे हैं, जिनमें भारत के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल और लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ सरीखे नेता शामिल हैं। यह सीट आजकल कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के कारण चर्चा में है, जो कांग्रेस के बड़े नेता बनने की तरफ अग्रसर हैं।

सीकर लोकसभा सीट लंबे समय से जाट बाहुल्य सीट है। 1952 से लेकर अब तक हुए चुनाव की बात करें तो सीकर सीट पर जाट नेताओं का ज्यादा दबदबा रहा है। अपने गठन के बाद अधिकतर चुनाव में भाजपा ने सीकर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करते हुए अपना कब्जा जमाया है। वर्तमान में सीकर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती सांसद के रूप में लोकसभा में सीकर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो सीकर से लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उससे पहले सुभाष महरिया सांसद रहे हैं, जो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने थे।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के सीकर जिले के चुनाव परिणाम को अगर देखें तो सीकर जिले की आठ विधानसभा में से पांच पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है तो भाजपा की झोली में सिर्फ तीन सीटें ही आई हैं। माना जाता है कि भाजपा की आपसी फूट के चलते जिले में भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़ा। अलाइंस के कारण कांग्रेस सीपीआई एक हो चुकी हैं, ऐसे में अगर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल को रोका नहीं किया तो आगामी लोकसभा चुनाव पर भी इसका विपरीत असर पड़ सकता है।

पिछले 10 लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो भाजपा ने पांच बार जीत दर्ज की है, तो एक बार भाजपा समर्थित जनता दल और चार बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार जीत दर्ज कर अपना परचम लहराया है। भाजपा ने लगातारी तीसरी बार सुमेधानंद सरस्वती को टिकट दिया है।

सीकर लोकसभा सीट पर 1952 में राम राज्य परिषद के नंदलाल शर्मा ने पहली जीत दर्ज की। 1957 और 62 के चुनाव में कांग्रेस के रामेश्वर टांटिया, 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के गोपाल साबू, 1971 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीकृष्ण मोदी, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के जगदीश प्रसाद माथुर, 1980 के चुनाव में जनता पार्टी सेक्युलर के चौधरी कुंभाराम आर्य जीते। चौधरी कुंभाराम आर्य देश में जमींदारी उन्मूलन के लिए जाने जाते हैं। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के बलराम जाखड़, 1989 में जनता दल के चौधरी देवीलाल जीतकर वीपी सिंह की सरकार में 2 साल तक देश के उप प्रधानमंत्री तक बने। 1991 के चुनाव में कांग्रेस के बलराम जाखड़ जीते। बलराम जाखड़ दो बार लोकसभा अध्यक्ष बने। 1996 में कांग्रेस के डॉ. हरि सिंह, 1998, 1999 व 2004 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुभाष महरिया, 2009 के चुनाव में कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला जीतकर केंद्र में मंत्री बने थे। इसके बाद 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुमेधानन्द सरस्वती ने जीत का परचम लहराया है।

जातिगत आधार की बात की जाए तो सीकर लोकसभा क्षेत्र राजस्थान में परंपरागत रूप से जाट राजनीति का गढ़ है। यहां सबसे ज्यादा जाट मतदाताओं की संख्या है, इसके बाद दूसरे नंबर पर एससी-एसटी, तीसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर हैं। चौथे नंबर पर राजपूत मतदाताओं की संख्या है।

आगामी लोकसभा चुनाव में सीकर से भाजपा की ओर से वर्तमान सांसद सुमेधानंद सरस्वती को फिर से मैदान में हैं। कांग्रेस की बात की जाए तो पहले यह माना जा रहा था कि यहां से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को उतारा जाएगा, लेकिन कांग्रेस ने यह सीट गठबंधन तहत सीपीआई को दे दी है।

अब दोनों ओर से प्रमुख चेहरे सामने आ गए हैं। इसलिए यह समझना जरूरी है कि कौन सा दल भारी रहने की संभावना है। करीब एक साल पहले डोटासरा और भाजपा के राजेंद्र राठौड़ के बीच सोशल मीडिया पर अदावत शुरू हुई थी, जिसका परिणाम राठौड़ तारानगर से हारकर भुगत चुके हैं। उस हार का ठीकरा उन्होंने चूरू सांसद राहुल कस्वां पर फोड़ा और कहा जा रहा है कि राठौड़ ने जिद करके राहुल कस्वां का टिकट कटवा दिया। राहुल कस्वां ने भी इस बात को अपनी अस्मिता बनाकर समाज के सामने झोली फैला दी है। यदि चूरू में जाट समाज ने राहुल कस्वां को एक तरफा समर्थन दे दिया तो भाजपा के देवेंद्र झाझड़िया अपने पहले ही चुनाव में बलिदान हो जाएंगे। हालांकि, झाझड़िया भी जाट समाज से हैं, लेकिन समाज की अस्मिता से कस्वां ने जोड़ दिया है। 

ठीक इसी तरह से सीकर सीट पर गोविंद सिंह डोटासरा की अस्मिता दांव पर है। यहां पर यदि कांग्रेस हारी तो डोटासरा ही जिम्मेदार माने जाएंगे, यदि भाजपा हारी तो इसके लिए काफी हद तक राजेंद्र राठौड़ द्वारा फैलाया गया जातिवाद का जहर होगा, जिसके कारण सुमेधानंद सरस्वती को परिणाम भुगतना होगा। पिछले चुनाव के समीकरण के हिसाब से बात की जाए तो 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रताप सिंह को 2.90 लाख वोटों से हराया था। यहां पर तक सुभाष महरिया निर्दलीय उम्मीदवार थे। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुभाष महरिया को करीब 3 लाख वोटों से करारी मात दी। इस चुनाव में सीपीआई के अमराराम भी मैदान में थे, जिनको 31462 वोट मिले। इस हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस और सीपीआई मिलकर भी भाजपा से मुकाबला नहीं कर पाएंगी। कहा यह भी जा रहा है कि केवल 31 हजार वोटों के लिए ही कांग्रेस ने कॉमरेडों के आगे सरेंडर कर दिया है।

किंतु फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा के बढ़ते क्रेज को देखते हुए भाजपा इस सीट को हल्के में नहीं ले रही है। खासकर अग्निवीर योजना के बाद इस क्षेत्र के युवाओं में भी खासा रोष माना जा रहा है, लेकिन जिस तरह से सुमेधानंद सरस्वती ने काम किया है, उसके अनुसार उनकी जीत में कोई रोड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। उसके ऊपर नरेंद्र मोदी की योजनाओं के कारण युवा वर्ग में मोदी के प्रति बढ़ते आकर्षण ने कांग्रेस को चिंतित कर रखा है। देखना यह होगा कि तारानगर की तरह सीकर लोकसभा सीट पर भी डोटासरा के फटकारे चलते हैं, या सौम्य छवि के सुमेधानंद तीसरी बार जीत हासिल कर मंत्री पद पर अपना दावा ठोक पाते हैं।

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