भाजपा ने क्यों काटे आधे टिकट?



भाजपा ने राजस्थान की 15 सीटों समेत देश की 195 लोकसभा सीटों के टिकट बांट दिए हैं। इन सीटों में कई सारे पैरामीटर रखे गए हैं। देश की बात की जाए तो करीब 80 फीसदी टिकट रिपीट किए गए हैं। पहली सूची में खुद नरेंद्र मोदी अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के टिकट रिपीट किए गए हैं, जबकि राजस्थान के सभी तीनों मंत्री फिर से मैदान में उतारे गए हैं।

हालांकि, पार्टी ने पहली सूची के 15 में 7 टिकट बदले हैं, जिनमें अलवर सीट भी है, जहां के सांसद बालकनाथ तिजारा से विधायक बन चुके हैं। तो विधायक का चुनाव हारने वाले सिरोही—जालौर सांसद देवजी पटेल का टिकट काटा गया है, उनकी जगह लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा गया है।

पाली से पीपी चौधरी लगातार तीसरी बार मैदान में उतरे हैं, जबकि नागौर से पूर्व कांग्रेस ज्योति मिर्धा को टिकट दिया गया है। ज्योति मिर्धा 2009 में यहां से सांसद का चुनाव जीत चुकी हैं। इसके बाद 2014 और 2019 में भी लड़ीं, लेकिन चुनाव हार गईं। पिछले चुनाव में मिर्धा हनुमान बेनीवाल के सामने हार गई थीं। तब भाजपा और बेनीवाल का गठबंधन हुआ था। हालांकि, किसान आंदोलन के दौरान गठबंधन टूट गया था और उसके बाद विधानसभा चुनाव में हनुमान ने अकेले चुनाव लड़ा था, जिसमें वे विधायक बने थे।

हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के गठबंधन की बात अंतिम दौर में है। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की अगुवाई में बेनीवाल ने दो सीट पर सहमति दे दी है। नागौर से बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल या नारायण बेनीवाल को उतारा जाएगा तो बाड़मेर—जैसलमेर से उम्मेदाराम बेनीवाल को टिकट मिलेगा, लेकिन यह टिकट कांग्रेस का होगा।

अलवर सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को दी है, जहां पहले बालक नाथ सांसद थे। यहां भाजपा लगातार तीसरी बार नया उम्मीदवार उतार रही है। भूपेंद्र यादव को आगे भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष या केंद्रीय में कैबिनेट मंत्री बनाना तय माना जा रहा है। भूपेंद्र यादव पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

इसी तरह से बांसवाड़ा सीट भी भाजपा ने पूर्व मंत्री महेंद्रजीत मालवीय को टिकट दिया है। पिछले दिनों मालवीय भाजपा में शामिल हुए थे। पिछली गहलोत सरकार में जल संसाधन मंत्री थे, लेकिन चुनाव बाद उनके नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावना के बाद भी उनका नंबर नहीं आया। इसके कारण मालवीय काफी नाराज थे। पाला बदलने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका भी केंद्र में मंत्री बनने का नंबर लग सकता है। इस क्षेत्र में मालवीय बड़ा नाम हैं। हालांकि, मालवीय हमेशा कांग्रेसी नहीं थे। शुरुआत के दिनों में मालवीय एबीवीपी के छात्र नेता थे। बाद में वो कांग्रेस में चले गए थे। मालवीय को टिकट मिलने के बाद यहां पर वर्तमान सांसद कनकमल कटारा ने विरोध तेज कर दिया है। साथ ही अर्जुन राम बामनिया का विरोध भी सामने आ रहा है। ऐसे में मालवीय की राह बहुत ​कठिन है।

चूरू सीट पर राहुल कस्वां की जगह पैरा ओलंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है। राहुल कस्वां दूसरी बार सांसद थे। उससे पहले उनके पिता राम सिंह कस्वां भी सांसद रह चुके हैं। राहुल कस्वां नाराज हैं और उनके कांग्रेस में जाने की पूर संभावना बताई जा रही है। यदि राहुल कस्वां कांग्रेस में जाते हैं तो भाजपा के लिए यह सीट बेहद कठिन होने वाली है।

उदयपुर में भाजपा ने वर्तमान सांसद अर्जुन लाल मीणा हैं, जिनका टिकट काटा गया है, उनकी जगह आरटीओ में डिप्टी कमिश्नर मन्नालाल रावत को टिकट दिया है। रावत काफी समय से संघ से जुड़े हुए थे, यहां पर भी भाजपा के वर्तमान सांसद का विरोध दिखाई दे रहा है। मतलब भाजपा की राह उदयपुर में भी आसान नहीं है।

अब जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनू, दौसा, धौलपुर—करोली, टोंक—सवाईमोधपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद और श्रीगंगानगर सीट पर उम्मीदवार तय होने बाकी हैं। जिनमें से जयपुर ग्रामीण और राजसमंद सीट खाली है तो अजमेर, झुंझुनू के सांसद चुनाव हारने के कारण उनको भी टिकट कट सकते हैं। इन 10 में से भी अधिकांश टिकट बदलने की संभावना है। डॉ. सतीश पूनियां और राजेंद्र राठौड़ को टिकट मिलने की भी पूरी संभावना है। 

Post a Comment

Previous Post Next Post