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बीजेपी की वॉशिंग मशीन भ्रष्ट को ईमानदार बना देती है!



42 साल पहले गठित भाजपा आज दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी बन गई है। भारत के अधिकांश राज्यों की सत्ता भाजपा के पास है तो बीते 10 साल से केंद्र की सत्ता में पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ भाजपा कई बड़े कानून बना रही है। दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, जापान जहां रूस और इजराइल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लड़ने वालों को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, वहां केवल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीदें बची हैं। देखा जाए तो दल के अनुसार भाजपा विश्व का सबसे ताकतवर दल बन चुका है, किंतु इसके बाद भी कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेताओं को तोड़कर खुद में शामिल किया जा रहा है। बीते 10 साल में कांग्रेस सहित अन्य दलों के हजारों नेता और कार्यकर्ता भाजपा जॉइन कर चुके हैं। 


सोशल मीडिया पर अक्सर कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन करने वाले नेताओं को निशाने पर लिया जाता है। ऐसा क्या कारण है कि बीजेपी जॉइन करने वाले नेताओं को लोग ट्रोल करते हैं? कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले नेताओं पर कांग्रेसी नेता ही बयान देते हैं कि भाजपा में शामिल होने से महा भ्रष्ट नेता वॉशिंग मशीन में धुलकर ईमानदारी हो जाते हैं। सवाल यह उठता है कि बीजेपी जॉइन करने से नेता भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त कैसे हो जाते हैं? आज मैं आपको ऐसे ही कई नेताओं की कुंडली खोलकर बताऊंगा जो कांग्रेस या दूसरे दलों में थे तब इनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपी थे, केंद्रीय एजेंसियां दिनरात इनके पीछे पड़ी हुई थीं, लेकिन जैसे ही ये भाजपा में शामिल हुए तो उनकी जांच पर फुल स्टॉल लग गया। 


राजस्थान के पूर्व मंत्री और बड़े कांग्रेसी नेता माने जाने वाले महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने हाल ही में बीजेपी जॉइन कर ली। भाजपा में शामिल होते ही मालवीय ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया तो कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मालवीय के जाने से कांग्रेस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष बने टीकाराम जूली ने कहा कि यदि उनको नेता प्रतिपक्ष बनना था तो एक बार बोलते, वो कुर्सी छोड़ देते। विधानसभा चुनाव से पहले मालवीय ने कहा था कि जब तक उनके शरीर में खून और पानी है, तब तक वो कांग्रेस छोड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते। मालवीय ने  कांग्रेस पर तमाम आरोप भी लगाए हैं। माना तो यह जा रहा है कि उनको नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज थे, लेकिन हकीकत यह नहीं है। हकीकत यह है कि अशोक गहलोत सरकार के दौरान जल संसाधन मंत्री होते महेंद्रजीत सिंह मालवीय पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। मालवीय भाजपा में शामिल हुए हैं, उसके ही नेता उनपर गंभीर आरोप जड़ रहे थे। उनके भाजपाई बनने के बाद अब कोई नेता इनपर एक शब्द नहीं बोल रहा है। महेंद्रजीत मालवीय पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की है। विधानसभा चुनाव से पहले ज्योति मिर्धा, सुभाष महरिया, सुभाष खंडेला, गिर्राज मलिंगा जैसे कई नेता भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़े हैं।  


हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भाजपा में गए हैं। कांग्रेस के टिकट पर चव्हाण दो बार सांसद, चार बार विधायक और एक बार एमएलसी रहे हैं। इसके साथ ही 2015 से 2019 तक चार साल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। चव्हाण आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में आरोपी हैं, उनके खिलाफ ईडी—सीबीआई जांच कर रही हैं। 8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक महाराष्ट्र के सीएम रहे अशोक चव्हाण को इसी घोटाले की वजह से कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उस वक्त महाराष्ट्र सरकार ने युद्ध में शहीद सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के स्टाफ के लिए रिहायशी बिल्डिंग बनाने का फैसला लिया था। इसे कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी नाम से बनाया गया। एक आरटीआई से खुलासा हुआ कि इसके फ्लैट अफसरों और नेताओं को बहुत कम कीमत पर दे दिए गए। 8 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पेश कर यूपीए की सरकार में हुए जो बड़े घोटाले बताए, उसमें भी आदर्श घोटाले का जिक्र था। इसी 13 फरवरी को अशोक चव्हाण ने बीजेपी ज्वाइन की और अगले ही दिन 14 तारीख को भाजपा ने उनको राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया।



महाराष्ट्र से ही यहां के मौजूदा डिप्टी सीएम अजित पवार का नाम 70,000 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले के आरोपियों में शामिल था। घोटाला 1999 से 2009 तक अजित पवार के सिंचाई मंत्री रहते हुआ था पवार 1991 में पहली बार बारामती से सांसद बने बने थे। 1995 से वो लगातार बारामती से विधायक हैं। सिंचाई घोटाले के आरोप में एसीबी ने नवंबर 2018 में अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया था। 23 नवंबर 2019 को अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर बीजेपी से गठबंधन कर लिया और डिप्टी सीएम बन गए। हालांकि, ये गठबंधन 80 घंटे ही चल पाया और बीजेपी की सरकार गिर गई। इसके बाद अजित पवार वापस अपनी पार्टी एनसीपी में लौट गए। इस दौरान अक्टूबर 2020 में सिंचाई घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गईं। अक्टूबर 2022 को ईओवी ने कोर्ट में कहा कि वे फिर से घोटाले की जांच करना चाहते हैं। ईडी ने भी महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में अजित पवार के खिलाफ केस दर्ज किया और पूछताछ के लिए नोटिस भेजा। 2 जुलाई, 2023 को अजित पवार एनसीपी तोड़कर मौजूदा शिंदे सरकार में शामिल हो गए। इस बार भी उन्हें डिप्टी सीएम का पद मिला। उसके बाद केस दर्ज होने के बावजूद ईडी ने उन्हें कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।


महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार में इसी पद पर थे। भुजबल 1973 में पहली बार शिवसेना से पार्षद बने थे। इसके बाद 1991 में शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए, हालांकि 1999 में कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में चले गए। भुजबल अजित पवार के साथ 2 जुलाई 2023 को महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार का हिस्सा बने। भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने भुजबल पर महाराष्ट्र सदन घोटाले का आरोप लगाया था। किरीट सोमैया की शिकायत पर छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल को 2016 में गिरफ्तार भी किया गया था। भुजबल 18 महीने जेल में रहे। सबूत न मिलने पर 9 सितंबर 2021 को उन्हें बरी कर दिया। 2019 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनपर अब भी 7 केस दर्ज हैं, जिसमें धोखाधड़ी और डकैती जैसे गंभीर मामले हैं।


महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे करीब तीन साल पहले तक कांग्रेस में थे, तब भाजपा नेता उन्हें राज्य का सबसे भ्रष्ट नेता कहते थे। इन्होंने शिवसेना से राजनीति शुरू की थी। फरवरी 1999 में नारायण राणे महाराष्ट्र के सीएम बने थे। इसके बाद 3 जुलाई 2005 को शिवसेना छोड़ कांग्रेस में चले गए थे। 15 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 2016 में बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने ईडी के जॉइंट डायरेक्टर सत्यव्रत कुमार को लेटर लिखकर राणे और उनके परिवार की कंपनियों की जांच की मांग की थी। नारायण राणे पर अविघना ग्रुप के मालिक और बिल्डर कैलाश अग्रवाल के साथ मिलकर 300 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था। ईडी ने मामले में जांच शुरू की और कांग्रेस छोड़ने से पहले नारायण राणे को पूछताछ के लिए नोटिस भी दिया था। राणे ने 21 सितंबर 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। फिर महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से एक संगठन बनाया और 15 अक्टूबर 2019 को इसका विलय भाजपा में कर दिया। इससे पहले 9 अप्रैल 2019 को ED ने अविघणा समूह के खिलाफ चल रही जांच बंद कर दी थी। ईडी ने अपनी प्राइमरी रिपोर्ट में कहा कि अविघणा ग्रुप और नारायण राणे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत नहीं मिले हैं। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि राणे को बीजेपी में लाने के लिए केस बंद किया गया।


प्रवीण दरेकर ने अक्टूबर 2016 में भाजपा ज्वाइन की। उससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में थे। साल 2019 से 2022 तक महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता रहे। उससे पहले 2009 से 2014 तक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायक रहे प्रवीण दरेकर पर 2015 में मुंबई कोऑपरेटिव बैंक में 123 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा था। केस की जांच एफओबी को सौंपी गई। प्रवीण दरेकर पर आम आदमी पार्टी के नेता धनंजय शिंदे की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि दरेकर खुद को मजदूर बताकर लेबर फेडरेशन का चुनाव लड़ते रहे और अध्यक्ष चुने गए। ऐसा करके उन्होंने सरकार और मुंबई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को धोखा दिया है। उनके कार्यकाल में 123 करोड़ रुपए की गड़बड़ी हुई। 2016 में दरेकर बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें पार्टी ने विधान परिषद भेज दिया। 2022 में दरेकर को क्लीन चिट मिल गई। अभी मुंबई कोऑपरेटिव बैंक सोसायटी के अध्यक्ष हैं।


कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में मंत्री रहे विजय कुमार गावित पर 2004 से 2012 के बीच आदिवासी विकास विभाग की योजनाओं में 6000 करोड़ रुपए के गबन का आरोप था। महाराष्ट्र के एंटी करप्शन ब्यूरो ने गावित के खिलाफ जांच शुरू की और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। विजय कुमार गावित 1995 से 2014 तक लगातार अलग अलग विभागों में मंत्री रहे। 2014 में गावित बीजेपी में शामिल हो गए। उनकी बेटी डॉ. हिना गावित को बीजेपी ने नंदूरबार लोकसभा सीट से टिकट दिया था। 15 अप्रैल 2015 को महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने सबूतों के अभाव में विजय कुमार गावित को क्लीन चिट दे दी है।


महाराष्ट्र के बड़े नेता माने जाने वाले बबनराव पचपुते एनसीपी छोड़कर 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर में बीजेपी में शामिल हो गए थे। फिलहाल वे अहमदनगर की श्रीगोंडा सीट से विधायक हैं। 2019 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के मुताबिक बबनराव पर 27 क्रिमिनल केस दर्ज हैं। बबनराव पर बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने आरोप लगाया था कि भारी रिटर्न देने के नाम पर राज्य में 26 पोंजी स्कीम चलाकर बबनराव ने 10 लाख लोगों को ठगा। उन पर हत्या की कोशिश जैसे आरोप भी हैं, पर बीजेपी में जाने के बाद बीते 10 साल में उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।


एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना में शामिल मंत्री संजय राठौड़ को भाजपा ने अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनाया था। साल 2004 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा में चुने गे थे। इसके बाद 2014 से 2019 तक राजस्व मंत्री रहे। संजय राठौड़ का नाम पुणे की टिकटॉक स्टार पूजा चव्हाण के सुसाइड केस में आया था। मरने से पहले पूजा ने संजय से फोन पर बात की थी। संजय राठौड़ तब वन मंत्री थे। उन्होंने 28 फरवरी 2021 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। संजय राठौड़ तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार में मंत्री थे। 30 जून 2022 को राठौड़ ने भी नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मंत्री पद की शपथ ली। कुछ ही समय बाद 10 जुलाई 2022 को एकनाथ शिंदे ने पत्रकारों को बताया कि संजय राठौड़ को महाराष्ट्र पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है।


24 मई 2022 को शिंदे गुट की शिवसेना के नेता और बीएमसी के पूर्व चेयरमैन यशवंत जाधव व उनकी विधायक पत्नी यामिनी जाधव को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, यानी फेमा के तहत ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। इससे पहले 25 फरवरी 2022 को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी जाधव के घर पर रेड की थी। इसके बाद महाराष्ट्र में सरकार बदली, तो जाधव और उनकी पत्नी भाजपा के साथ आ गए। इसके बाद उन्हें ईडी ने कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही इनकम टैक्स की टीम उनके घर पहुंची। जाधव अभी बृहन्मुंबई नगर निगम की स्थाई समिति के अध्यक्ष हैं।


इसी तरह से पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे शुभेंदु अधिकारी कभी ममता सरकार में कद्दावर मंत्री थे। अधिकारी पहली बार वर्ष 2006 में कांथी साउथ सीट से पहली बार विधाय बने थे। साल 2009 और 2014 में टीएमसी के सांसद बने। वर्ष 2016 में नंदीग्राम सीट से विधायक का चुनाव जीतकर परिवहन मंत्री बने। इसी दौरान सीबीआई ने शारदा घोटाले में उनसे पूछताछ शुरू की। आरोप था कि उन्होंने शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से फेवर लिया था। शुभेंदु अधिकारी बाद में पत्रकार सैमुअल मैथ्यू के नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने के आरोप में फंसे थे। साल 2017 में ईडी ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि शुभेंदु जब टीएमसी में थे, तब एजेंसियां उनके खिलाफ जांच कर रही थीं। 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में जाते ही उन्हें क्लीन चिट मिलने लगी। नारदा स्टिंग मामले में ईडी ने सितंबर 2021 में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें शुभेंदु अधिकारी का नाम नहीं था। 2022 में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद बंगाल पुलिस ने उनके खिलाफ शारदा घोटाले में जांच शुरू की। शुभेंदु अधिकारी अभी पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता, यानी नेता प्रतिपक्ष हैं।


आसनसोल के पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी ने 2011 में टीएमसी के साथ अपना करियर शुरू किया था। वो 2015 में आसनसोल के मेयर चुने गए। उनको सीबीआई ने नवंबर 2020 में कोयला तस्करी केस में आरोपी बनाया था। इसके बाद ईडी ने प्रिवेंशन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर उनके खिलाफ जांच शुरू की। 2 मार्च 2021 को जितेंद्र तिवारी टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उनके भाजपा में शामिल होने से पहले केंद्र में मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो ने इसका विरोध किया था। सुप्रियो ने कहा था कि कोयला चोर और तस्करों को पार्टी में लाने से नुकसान होगा। तब बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पर लिखा था कि कोयला तस्करी केस में सीबीआई की कार्रवाई के बाद कुछ नेता भाजपा में आने की जुगत लगा रहे हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। इसके बावजूद भाजपा आलाकमान ने जितेंद्र तिवारी की एंट्री को हरी झंडी दे दी थी।


मुकुल रॉय 2012 में यूपीए सरकार में टीएमसी सांसद के तौर रेल मंत्री बने थे। 2015 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय पर पैसे लेकर शारदा घोटाले में फंसी चिटफंड कंपनी का फेवर करने का आरोप लगा था। मार्च 2017 को कोलकाता हाईकोर्ट ने केस सीबीआई को सौंप दिया। जांच शुरू ही हुई थी कि मुकुल ने नवंबर 2017 को भाजपा ज्वाइन कर ली। उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। 2019 में मुकुल रॉय ने दावा किया कि सीबीआई ने इस मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी है और गवाह के तौर पर सिर्फ पूछताछ की थी। सीबीआई से क्लीन चिट के बाद 2021 में मुकुल रॉय भाजपा छोड़कर फिर से तृणमूल में शामिल हो गए।


2010 में टीएमसी के टिकट पर कोलकाता के मेयर रह चुके सोवन चटर्जी 2014 में हुए नारदा स्टिंग ऑपरेशन के आरोपी थे। सीबीआई उनके खिलाफ जांच कर रही थी। 14 अगस्त 2019 को सोवन चटर्जी भाजपा में शामिल हो गए। करीबन दो साल तक भाजपा में रहे। विधानसभा चुनाव का टिकट न मिलने पर नाराजगी जताते हुए 21 मार्च 2021 को उन्होंने भाजपा छोड़ दी। इसके बाद 22 मई 2021 को उन्हें सीबीआई ने हाउस अरेस्ट कर लिया था। हालांकि, एक दिन में ही उन्हें जमानत मिल गई थी। कांग्रेस और तृणमूल ने आरोप लगाया कि भाजपा में रहने के दौरान सोवन पर कार्रवाई नहीं हुई। पार्टी छोड़ते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


गुजरात में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर 2015 में भाजपा सरकार के दौरान राजद्रोह समेत 30 केस दर्ज हुए थे। इसकी वजह से हार्दिक को तड़ीपार भी रहना पड़ा था। 12 मार्च 2019 कांग्रेस में शामिल हुए और 16 महीने बाद ही कार्यकारी अध्यक्ष बन गए। हार्दिक पटेल 2022 में गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस का आरोप है कि राजद्रोह केस में बचने के लिए हार्दिक ने भाजपा ज्वाइन की है। अब ज्यादातर केस में वे बरी हो चुके हैं। देशद्रोह केस में गुजरात हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2023 को उनका अरेस्ट वारंट खारिज कर दिया। जनवरी 2024 में सबूत न मिलने पर हार्दिक को हेट स्पीच के एक केस से बरी कर दिया गया था। हार्दिक अभी वीरमगाम से बीजेपी के विधायक हैं।


कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार में वित्त मंत्री रहे देश के तेज तर्रार मुख्यमंत्रियों में से एक हिमंत बिस्वा सरमा को सीबीआई ने शारदा चिटफंड घोटाले में आरोपी बनाया था। हिमंत बिस्वा सरमा पर आरोप था कि उन्होंने शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से हर महीने 20 लाख रुपए लिए, ताकि ग्रुप का कामकाज बेरोकटोक चलता रहे। अगस्त 2014 में हेमंत के गुवाहाटी वाले घर पर सीबीआई ने रेड मारी थी। सीबीआई की एक टीम गुवाहाटी के एक मीडिया हाउस के दफ्तर में भी गई। इस संस्थान की प्रमुख हेमंत बिस्वा सरमा की पत्नी रिनिकी भूयान सरमा हैं। सीबीआई ने हेमंत बिस्वा से आखिरी बार 27 नवंबर 2014 को पूछताछ की थी। इसके बाद उन्होंने अगस्त 2015 में भाजपा ज्वाइन कर ली। तब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने हेमंत बिस्वा की फाइल बंद कर दी है। हेमंत बिस्वा सरमा अभी असम के मुख्यमंत्री हैं। मजेदार बात यह है कि भाजपा में शामिल होने के बाद सीबीआई ने उन्हें कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।


2008 में कर्नाटक में पहली बार भाजपा की सरकार बनी और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। येदियुरप्पा पर 2011 में 40 करोड़ रुपए लेकर अवैध खनन को शह देने का आरोप लगा। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। मई 2012 में हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया। 2012 में येदियुरप्पा भाजपा छोड़कर अलग हो गए। 2013 का चुनाव उन्होंने अलग कर्नाटक जनता पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा। जिससे BJP को बहुत नुकसान पहुंचा और पार्टी सिर्फ 40 सीटें जीत पाई। उससे पहले 2008 के चुनाव में भाजपा को 110 सीटें मिली थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा वापस भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद 2016 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने येदियुरप्पा समेत 13 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। येदियुरप्पा के दो बेटे भी इस केस में आरोपी थे।


बीते 10 साल के दौरान कांग्रेस से सैंकड़ों नेता भाजपा में ज्वाइन चुके हैं। एक पार्टी से दूसरी पार्टी में शामिल होना कोई नहीं बात नहीं है। संविधान के अनुसार एक तिहाई बहुमत के साथ पार्टी तक का विलय हो जाता है। यदि कोई अकेला जाता है तो उसको सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होता है। नई बात यह है कि कांग्रेस में होते जिन नेताओं पर भाजपा आरोप लगाती है या जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार में ईडी, सीबीआई की जांच चल रही होती है, उनको भाजपा में शामिल होते ही क्लीन चिट कैसे मिल जाती है? ऐसे में विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की बात करने वाली BJP दागियों को अपनी वॉशिंग मशीन में धोकर पार्टी में शामिल कर रही है। उनके खिलाफ चल रही जांच ठंडे बस्ते में डाली जा रही है। इसका मतलब यह है कि वास्तव में दागी नेताओं के भाजपा में जाते ही आरोप मुक्त होने के आरोप निराधार नहीं है।

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