सतीश पूनियां अजमेर, राजेंद्र राठौड़ राजसमंद और रामलाल जयपुर ग्रामीण से लोकसभा में



राजस्थान समेत पांच राज्यों में चुनाव समपन्न होने और सरकार बनने के बाद अब भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजस्थान की 25 सीटों को लगातार तीसरी बार जीतने के लिए भाजपा की रणनीति बनने जा रही है। राज्य सरकार को टास्क दे दिया गया है। मोदी की गारंटी को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा। राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, सीएए जैसे चुनावी मुद्दे निपटा दिए गए हैं, जिनके सहारे वोट हासिल किया जाएगा। 

सबसे पहले 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी। इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं, लेकिन उसके साथ ही पंजाब से एक बार फिर किसान आंदोलन शुरू हो चुका है। इससे पहले 2021 में 13 महीने किसान आंदोलन सफल हो चुका है। ऐसे में भाजपा की रणनीति को सफल बनाने के लिए किसान आंदोलन को पंजाब में ही ठंडा करना होगा, अन्यथा दिल्ली तक पहुंच गया तो फिर से सरकार को झुकना पड़ेगा, जो लोकसभा चुनाव के लिहाज से शुभ संकेत नहीं है।

कारण यह है कि भाजपा पिछले दो बार से लगातार हिंदीभाषी राज्यों में करीब करीब पूरी सीटें जीत रही है, लेकिन किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के मुद्दे पर भाजपा को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। इस वजह से इन राज्यों में जो वर्तमान सांसद हैं, उनमें से आधे से अधिक टिकट बदले जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसी कड़ी में राजस्थान भाजपा के सांसदों की भूमिका बदलने का काम शुरू कर दिया गया है। 

जिसके चलते राज्य के 6 लोकसभा सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया। इनमें से तीन सांसद विधायक बने हैं और उनमें से भी दो कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। सिरोही सांसद देवजी पटेल, अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी और झुंझुनूं सांसद नरेंद्र खींचड़ विधानसभा चुनाव हार गए। इसके साथ ही राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को भी विधायक का चुनाव लड़ाया गया, जो सवाई माधोपुर से जीतकर कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं। 

दरअसल, भाजपा ने 2019 में 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। नागौर की सीट गठबंधन के तहत आरएलपी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी थी। उस चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटों पर 2014 की तरह जीत दोहराई थी। अब तीन सांसद विधायक बन चुके हैं, जबकि बेनीवाल भी विधायक बन चुके हैं। 

हालांकि, बेनीवाल अपनी पार्टी से विधायक बने हैं, लेकिन नागौर, राजसमंद, जयपुर ग्रामीण और अलवर की लोकसभा सीटों से विधायक बनने के कारण राज्य के ये संसदीय क्षेत्र खाली हो चुके हैं। अब इन सभी सीटों पर नए एमपी उम्मीदवार उतारे जाएंगे। सवाल यह उठता है कि इन सीटों पर किन नेताओं को टिकट दिया जाएगा?

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई नेता चुनाव हारे हैं, जिनमें से सतीश पूनियां, राजेंद्र राठौड़ और रामलाल शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। तीनों ही नेताओं को लेकर भाजपा खासी चिंतित नजर आ रही है। दरअसल, चुनाव से कुछ समय पहले तक सतीश पूनियां भाजपा अध्यक्ष थे, जबकि राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष थे। इसी तरह से रामलाल शर्मा भाजपा के मुख्य प्रवक्ता के नाते मीडिया के समक्ष पार्टी का पक्ष रखने वाले सबसे मुखर चेहरा थे। ऐसे में तीनों ही नेताओं को भाजपा की जीत में रीढ़ की हड्डी माना जाता है। 

ना केवल भाजपा के अच्छे नेता, बल्कि कांग्रेस के भी संविधान प्रेमी नेताओं ने सतीश पूनियां और राजेंद्र राठौड़ की हार पर दुख जताया था। कांग्रेस के नेता भी जानते हैं कि विधानसभा के भीतर संविधान के ज्ञाता विधायक होने चाहिए। इसलिए आज भी नेता यही कहते हैं कि यदि ये दोनों नेता सदन में होते तो बात ही अलग थी, लेकिन जब नहीं हो सका तो फिर अब इनको लोकसभा या राज्यसभा भेजने की तैयारी चल रही है। 

भाजपा के लोग दावा कर रहे हैं कि इनको टिकट देने और राज्यसभा भेजने की बात केवल राज्य संगठन तक सीमित नहीं है, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व भी इसको लेकर गंभीर है। बड़ी बात यह है कि विधानसभा चुनाव की पराजय के साथ ही खुद ​अमित शाह ने सतीश पूनियां को फोन कर हार से निराश होने के बजाए आगे की तैयारी करने की बात कही है। 

ठीक इसी तरह से राजेंद्र राठौड़ को भी कहा गया है कि संगठन की नजर में आप प्राथमिकता में हैं, इसलिए चिंता करने के लिए संगठन के लिए काम करें, आपकी चिंता संगठन कर रहा है। इसका मतलब साफ है के दोनों को संगठन लोकसभा या राज्यसभा चुनाव लड़ाकर संसद में ले जाना चाहता है। 

अब सवाल यह उठता है​ कि यदि दोनों को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा तो फिर सीटें कौनसी होंगी? चर्चा चल रही है कि राजसमंद और जयपुर ग्रामीण सीट पर इन दोनों को एडजस्ट किया जाएगा। राजसमंद सीट से दीया कुमारी फ्री हो चुकी हैं, इसलिए राजेंद्र राठौड़ को लड़ाया जाएगा, जबकि आमेर को अपने क्षेत्र में रखने वाली जयपुर ग्रामीण सीट पर सतीश पूनियां को टिकट दिया जाएगा। 

किंतु बदली हुई परिस्थितियों में सीट को लेकर निर्णय बदला जा सकता है। चर्चा यही भी चल रही है​ कि सतीश पूनियां को अजमेर सीट से लड़ाया जा सकता है और राजेंद्र राठौड़ को जयपुर ग्रामीण से टिकट दिया जा सकता है। यदि सतीश पूनियां को अजमेर से लड़ाया जाएगा तो फिर इसका मतलब भागीरथ चौधरी का टिकट काटा जाएगा, उनको किसी दूसरी सीट पर भेजा जा सकता है कि या फिर उनको राज्यसभा में भेजकर खानापूर्ति की जा सकती है। 

दरअसल, राजस्थान की तीन राज्यसभा सीट इसी साल अप्रैल में खाली हो रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री भुपेंद्र यादव और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की सीटों पर अप्रैल में चुनाव होगा। वर्तमान में भाजपा के पास 115 और कांग्रेस के पास 69 विधायक हैं। एक सीट के लिए 51 वोट चाहिए। 

ऐसे में संभावना है कि तीन में से दो भाजपा और एक सीट कांग्रेस जीत जाएगी। भाजपा इन दोनों सीटों पर किसे चुनाव लड़ाएगी, यह देखने वाली बात होगी। यदि भुपेंद्र यादव को यदि राज्यसभा में रिपीट नहीं किया जाएगा तो फिर उनको लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसके लिए अलवर की सीट सबसे उपयुक्त  मानी जा रही है, जो बाबा बालकनाभ के तिजारा से विधायक बनने के बाद रिक्त हो चुकी है। 

तीसरा नाम रामलाल शर्मा का है, जो हाल के विधानसभा चुनाव में चौमूं से चुनाव हारे हैं। उनको भी कहीं से लोकसभा में भेजा जा सकता है। इन तीनों को ही एडजस्ट करने के बाद भाजपा सेफ जॉन में होगी। असल में देखा जाए तो पूरे पांच साल तक चार भाजपा नेताओं की वजह से ही सत्ताधारी कांग्रेस परेशान रही है, या कहें कि सत्ता ही इनकी वजह से मिली है। 

पहला नाम पार्टी के साढ़े तीन साल अध्यक्ष रहे सतीश पूनियां का, जो सरकार से हमेशा सड़कों पर संघर्ष करते रहे, दूसरा नाम राजेंद्र राठौड़ का है, जो नेता प्रतिपक्ष बनकर सदन में सरकार को घेरते रहे, तो मीडिया में पार्टी का पक्ष रखने और कांग्रेस को हर मामले में बयानों के माध्यम से घेरने का काम मुख्य प्रवक्ता बनकर ​रामलाल शर्मा ने किया। 

इसी क्रम में चौथा नाम किरोड़ीलाल मीणा का है, जिन्होंने पेपर लीक से लेकर वीरांगनाओं के लिए लड़ाई लड़न से लेकर पुजारियों की मौत के मामले में सबसे अधिक धरने और प्रदर्शन किए। इनमें से केवल किरोड़ीलाल मीणा ही जीत पाए हैं, भाजपा की सरकार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बाकी तीनों को भी उनकी मेहनत का पुरस्कार दिया जाएगा। 

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