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इसलिए नहीं बन रहा भजनलाल सरकार का मंत्रिमंडल!



राजस्थान में सरकार बदल गई, लेकिन मंत्रिमंडल नहीं बन पा रहा है। परिणाम 3 दिसंबर को आया था, उसके बाद 15 दिसंबर को सीएम और दो डिप्टी सीएम को शपथ दिलाई, किंतु उसके बाद आज दिन तक मंत्री नहीं बन पाए हैं। भाजपा नेताओं ने भी अब इसको लेकर एक तरह से चुप्पी साध ली है। सबको भाजपा आलाकमान, यानी मोदी, शाह, नड्डा से इशारे का इंतजार है।

परिणाम के 26 दिन बाद भी मंत्रिमंडल नहीं बनने को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा है कि 'जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार दी, लेकिन भाजपा मंत्री नहीं बना पा रही है, सरकार के कामकाज ठप्प पड़े हैं, सरकार कहां है, इस बात का किसी को पता नहं है।'

अब सवाल यह उठता है कि अखिर बिना रुकावट पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी इतने दिन उपरांत मंत्री क्यों नहीं बन पा रहे हैं? आखिर क्या वजह है कि 115 विधायकों वाली सरकार को मंत्री बनाने में इतना समय लग रहा है। दरअसल, भाजपा के नेताओं का मानना है कि राज्य में 20 साल बाद लीडरशिप बदली है, इसलिए पूरा सरकारी तंत्र बदलना होगा। जो नेता अब तक मंत्री बनते आए हैं, उनको लग रहा है कि अब उनकी सीनियरटी के आधार पर उनको फिर से मंत्री बनाया जाएगा, किंतु भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मंशा कुछ और ही नजर आ रही है।

वसुंधरा राजे की दो सरकारों में मंत्री रहे अधिकांश विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में लगह नहीं मिलेगी, उनकी जगह उनको मंत्री बनाया जाएगा, जो लगातार जीत रहे हैं, लेकिन मंत्री नहीं बनाए गए हैं। इसके साथ ही करीब 40 फीसदी वो विधायक मंत्री बनेंगे, जो पहली या दूसरी बार जीतकर आए हैं। इसी तरह से क्षेत्रवार मुद्दा भी बड़ी चुनौती है, जिसको भी संतुलित किया जाएगा। जाति के आधार पर भले ही वोट नहीं मिलने का दावा किया जाता हो, लेकिन वास्तव में देखा जाए तो चुनाव में जातिगत आधार पर वोटिंग एक बड़ा मुद्दा होता है।

राजस्थान में राजपूत, जाट, ब्राह्मण, एससी—एसटी, बणिया जातियों का अधिकांश वोट भाजपा को मिला है। जातिगत आधार पर सीटों के जीतने से ही पता चलता है कि सबसे अधिक वोट राजपूत, जाट और ब्राह्मण समुदाय का भाजपा को मिला है। इसके साथ ही एससी—एसटी की सीटें भी खूब मिली हैं। 

सीएम ब्राह्मण जाति से बनाया गया है, जबकि एक डिप्टी सीएम राजपूत और एक एससी वर्ग से बनाया गया है। साथ ही जयपुर से ही तीना चुने गए हैं। इसलिए अब जाति और क्षेत्र, दोनों का संतुलन बिठाया जाएगा। माना यह जा रहा है कि पूर्वी राजस्थान से चार से पांच मंत्री बनाए जाएंगे। इसी तरह से दक्षिणी राजस्थान से भी इतने ही मंत्री बनने हैं। पश्चिमी राजस्थान में करीब 12 जिले हैं, जहां से भी कम से कम 5 मंत्री बनेंगे। ठीक ऐसे ही शेखावाटी में कमजोर रही भाजपा 5 मंत्री बनाकर लोकसभा चुनाव में लाभ लेने का प्रयास करेगी।

राजस्थान में 200 विधायकों की विधानसभा है। जिनमें से संविधान के अनुसार 15 फीसदी, यानी 30 सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है। इन 30 में सीएम और दोनों डिप्टी सीएम भी शामिल हैं। भाजपा के नेताओं की मानें तो पहला मंत्रिमंडी छोटा होगा, जिसमें 15 से 18 मंत्री बन सकते हैं। उसके बाद लोकसभा चुनाव के उपरांत मंत्रिमंडल में विस्तार किया जा सकता है। जब मंत्री नहीं होते हैं तो सभी विभागों के मुखिया सीएम ही होते हैं। इस समय भजनलाल शर्मा के पास ही राज्य के सभी विभाग हैं। 

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