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किसान कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता, महिला सुरक्षा, पत्रकार सुरक्षा कानून कहां हैं?





—50 लाख तक का चिरंजीवी बीमा, व्यापारियों को 5 लाख तक बिना ब्याज, 10 लाख नौकरियां जैसे वादों के साथ कांग्रेस फिर मैदान में उतरी

आपको याद होगा साल 2018 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को 'जन घोषणा पत्र' नाम दिया था। अब पांच साल बाद कांग्रेस अपना दूसरा घोषणा पत्र लाई है, जिसको भी 'जन घोषणा पत्र—2' नाम दिया गया है। कांग्रेस ने वादा किया है कि सत्ता रिपीट हुई तो अगले पांच साल में चिरंजीवी बीमा को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया जाएगा। युवाओं को 10 लाख नई नौकरियां दी जाएंगी और व्यापारियों को बिना ब्याज के 5 लाख रुपये तक केसीसी की तर्ज पर ऋण दिया जाएगा।

अब आप पांच साल पहले के वादों को याद कीजिए! कांग्रेस ने कहा था कि 10 दिन में किसानों को सम्पूर्ण कर्ज माफ किया जाएगा। जबकि वादा आज तक पूरा नहीं किया गया। ठीक इसी तरह से महिला सुरक्षा का वादा किया गया था, लेकिन इसके ठीक विपरीत पांच साल में प्रदेश महिला अत्याचार का गढ़ बन गया। बेरोजगारों को 3500 रुपये महिना बेरोजगारी भत्ता देने का वादा आज तक अधूरा ही है। ऐसे ही पत्रकार सुरक्षा कानून की बात की गई थी, लेकिन पत्रकारों को सबसे अधिक धमकाने का काम खुद सीएम गहलोत ने ही किया है।



एमएसपी के लिए कानून बनाने का वादा किया गया है, लेकिन अभी सरकार केवल 20 फीसदी तक ही खरीद कर रही है। यदि कानून बना तो किसान से व्यापारी एमएसपी से कम नहीं खरीद पाएंगे, जिससे किसान की फसल पड़ी की पड़ी रह जाएगी। इससे पहले जब किसान आंदोलन हुआ था, तब भी एमएसपी कानून बनाया था, लेकिन उसके तहत अब तक एक भी कारोबारी पर एक प्रतिशत भी कार्यवाही नहीं हुई है।

बीपीएल और उज्जवला गैस सिलेंडर केवल 400 में देने का वादा किया गया है, लेकिन प्रदेश अभी सवा 6 लाख करोड़ के बोझ तले दबा है। ऐसे में कितना फोकट में बांटा जाएगा, यह भी एक सवाल है। नफरती भाषण वालों को दंडित करने का प्रावधान का वादा कैसे पूरा होगा, जब खुद कांग्रेसी ही नफरत की भाषा बोल रहे हों।

जातिगत जनगणना का वादा किया गया है, जबकि इसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई है। हकीकत यह है कि जनगणना कराने का काम केवल केंद्र सरकार का है, राज्य सरकार केवल सर्वे करवा सकती है। इसको जनगणना बोलकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।

शिक्षा के ढांचे को बर्बाद कर चुकी सरकार ने वादा तो किया है कि 12वीं तक आरटीई कानून लागू किया जाएगा, लेकिन यह काम केंद्र सरकार का है। इस तरह के कानून केवल केंद्र सरकार ही बना सकती है। मनरेगा की संख्या 150 करने का वादा कैसे पूरा होगा, जब सरकार के पास देने को पैसा ही नहीं है।

पुरानी पेंशन स्कीम के लिए कानून बनाने का वादा किया है। वास्तविकता यह है कि राज्य सरकार के पास ओपीएस के लिए पैसा ही नहीं है। इसके लिए प्रतिवर्ष कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त चाहिए। कांग्रेस ने वेतनमान को लेकर भी भ्रम फैलाने का काम किया है।

कांग्रेस ने पांच साल में सिर्फ सत्ता की लड़ाई के अलावा कुछ नहीं किया, जबकि अब फिर से वादे करके जनता को गुमराह करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के वादों को जनता कितना गंभीरता से लेती है?

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