राजस्थान में विधानसभा चुनाव में मतदान का दिन करीब आ गया है। ऐसे में विपक्ष में बैठी भाजपा राज्य की सत्ता पर काबिज गहलोत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए चक्रव्यूह रचने में कामयाब होती नजर आ रही है। पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बन चुका है और इसकी वजह है कि भाजपा का धारधार चुनावी अभियान।
भाजपा विधानसभा चुनाव में हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है और इसलिए अशोक गहलोत सरकार को चौतरफा घेर रही है। बीजेपी के शीर्ष नेता एक तरफ गहलोत सरकार पर रैलियों में हमलावर हो रहे हैं तो दूसरी तरफ संगठन ग्राउंड से लेकर सोशल मीडिया तक पर पूरी मुस्तैदी से जुटा हुआ है। चुनाव में भगवा दल ने अशोक गहलोत और कांग्रेस को चक्रव्यूह में फंसा दिया है और जीत के लिए मजबूत किलेबंदी कर ली है। बीते 25 साल से अशोक गहलोत पर जाट विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं, इससे पार पाने के लिए कांग्रेस के बैनर प्रदेशभर में लगवा चुकी है। कुछ दिन पहले तक इन पोस्टर—बैनर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बड़े-बड़े फोटो लगे थे, लेकिन अचानक से कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति बदलकर सारे पोस्टर एक रात में बदल दिए हैं।
अशोक गहलोत को जाट विरोधी तो माना ही जाता है, पिछले दिनों 9 सितंबर को जब आचार संहिता लगी थी, उसके ठीक कुछ समय पहले गहलोत ने केसरी सिंह राठौड़ को आरपीएससी सदस्य बनाकर जाट समाज को बुरी तरह से नाराज कर दिया है। इसके बाद अब कांग्रेस के नए पोस्टर्स से राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा गायब कर दिए गए हैं। उनकी जगह राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ले ली है। डोटासरा की तस्वीरें हटाने के पीछे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जाट विरोधी होने का आरोप लग रहे हैं। बीते 25 साल से गहलोत पर जाट विरोधी या जाट नेताओं को निपटाने के आरोप लगते रहे हैं। इस वजह से गहलोत को अपनी ही पार्टी में जाट समाज से आने वाले अपने ही नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है।
दूसरी तरफ अशोक गहलोत को सचिन पायलट गुट का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट के समर्थकों द्वारा अशोक गहलोत के खिलाफ नारेबाजी खुलकर सामने आ रही है। चुनावी कार्यक्रमों में ये नारे गुर्जर समाज के युवा लगा रहे हैं। इस नारे की शुरुआत अशोक गहलोत के करीबी विधायक दानिश अबरार के खिलाफ हुई थी। कांग्रेस का एक बड़ा गुट पायलट के साथ है, लेकिन अशोक गहलोत के खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है। फूड पैकेट वाली योजना को लेकर लोगों का गुस्सा ग्राउंड पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस योजना में खराब गुणवत्ता की शिकायतें आम हैं, ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान मुझे ऐसे कई लोग मिले, जो फूड पैकेट की खराबी को लेकर बोल रहे थे।
महिलाओं में भी इस योजना में मिर्च, हल्दी, धनिया, नमक पाउडर में खराबी को लेकर बेहद गुस्सा है। कई वीडियो में महिलाएं साफ तौर पर इसका विरोध करती नजर आ रही हैं।अशोक गहलोत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूरे पांच साल में गहलोत ने कार्यकर्ताओं की चिंता नहीं की, उन्होंने मेहनत करके सरकार बनाई, उनको राजनीतिक नियुक्ति नहीं दी, बल्कि अधिकारियों को चेयरमैन और अध्यक्ष बनाया। गहलोत के बेटे वैभव का ही कहना है कि वो अधिकारियों से ही घिरे रहते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के गहलोत गुट के प्रत्याशी और उनके करीबी मंत्री गांवों में घुसने से पहले भगाए जा रहे हैं।
हाल ही में लाल डायरी के वायरल 4 पन्नों में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत द्वारा कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ से कहा है कि पापा अधिकारियों की ही सुनते हैं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दूर कर देते हैं। लाल डायरी के पन्नों में वैभव के हवाले से लिखा गया है कि उनके पिता अशोक गहलोत के होते हुए कांग्रेस बुरी तरह से हारेगी। इस बीच भाजपा ने पूरी ताकत से चुनाव अभियान को कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार से जो जोड़ दिया है। 'कर्ज में किसान', 'भ्रष्टाचार खुलेआम, 'अपराध बेलगाम, 'पेपर लीक से युवा परेशान, 'बहन बेटियों का अपमान' को लेकर राजस्थान की सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार को बीजेपी घेर रही है।
बीजेपी ने डिजिटल तंत्र को भी बूथ स्तर तक खड़ा कर दिया है, जहां से कांग्रेस पर हमला किया जा रहा है। भाजपा के फेसबुक पर पौने तीन मिलियन फॉलोअर्स हैं, जबकि ट्विटर पर 9 लाख फॉलोअर्स हैं। पूरे प्रदेश में पार्टी के द्वारा 66 हजार वाट्सअप ग्रुप संचालित हैं। इसी प्रकार प्रदेशभर में 70 लाख वाट्सग्रुप बनाकर उसके माध्यम से लोगों को पार्टी से कनेक्ट कर दिया गया है। सात संभाग में आधुनिक कॉल सेंटर्स के साथ हर विधानसभा में अलग से कॉल सेंटर तैयार किए हैं, ताकि जनता और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क हो सके। इसी प्रकार नव मतदाता अभियान चलाकर करीब 25 लाख नए मेंबर बनाए हैं।
संगठन ने बूथ लेवल पर सोशल मीडिया के माध्यम से सभी 200 विधानसभाओं में अपने पैर फैलाए हैं। नमो वॉलिंटियर अभियान, आकांक्षा पेटी अभियान, सामाजिक संपर्क अभियान के तहत ओबीसी, एसटी व एससी वर्ग में घुसपैठ की है। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, बूथ व घरों तक कार्यकर्ता पहुंचकर पार्टी की नीतियों व केंद्र की योजनाओं की जानकारी पहुंचा रहे हैं। विस्तारकों को भी पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है। राजस्थान भाजपा के बड़े नेता जहां केंद्र के साथ तालमेल बनाकर धुंआधार प्रचार में जुटे हैं, जबकि सभी प्रमुख नेताओं के साथ समन्वय बनाने की नीति पर चल रहे संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर अपने माइक्रोमैनेजमेंट से राजस्थान विजय करने में जुटे हैं।
कुल मिलाकर भाजपा का इलेक्शन वॉर मैनेजमेंट सबसे बड़े चुनावी युद्ध में तब्दील हो चुका है। डिजिटल वॉर के माध्यम से भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को बाहर करने की योजना को अमलीजामा पहना दिया है। अब देखना यह होगा कि इस चुनाव में भाजपा कितनी सीटों पर विजय हासिल कर कांग्रेस को कहां तक रोक पाती है।
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