राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव चल रहे हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में 25 तारीख को वोटिंग होनी है। इन सभी 5 राज्यों में परिणाम 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा। यानी 3 दिसंबर के बाद नई सरकारों का गठन हो जाएगा। इस बीच सभी राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है। राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के साथ रालोपा के रूप में तीसरा मोर्चा बना हुआ है, जिसके कारण कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना चुका है। रालोपा ने आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर करीब 125 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
इस चुनाव में अपराध, जातिवादी, सम्प्रदायवाद, महंगाई के साथ ही कांग्रेस सरकार की फ्री घोषणाओं के सहारे चुनाव जीतने की कोशिशें जारी हैं। पिछले दिनों राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के दो वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें वो कह रहे हैं कि जीएसटी, यानी वस्तु एवं सेवा कर के कारण राजस्थान में डीजल—पेट्रोल अधिक महंगे हैं, जिससे आमजन के लिए महंगाई बढ़ रही है। जबकि हकीकत यह है कि डीजल—पेट्रोल तो आजतक भी जीएसटी के दायरे में हैं ही नहीं। दोनों ईंधनों पर राज्य सरकारों द्वारा द्वारा ही वैल के रूप में टैक्स वसूला जाता है। यानी राज्य सरकारें ही तय करती हैं कि डीजल—पेट्रोल पर कितना कर लगाना है। इसके बाद भी हमेशा की भांति अपनी नासमझी दिखाते हुए राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा कह रहे हैं कि जीएसटी के कारण डीजल—पेट्रोल महंगे हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो हमारे जनप्रतिनिधियों के लिए स्टार प्रचारक बने हुए हैं, उनकी समझ और ज्ञान का स्तर कितनी अधिक गहरा है।
यह बात सही है कि डीजल—पेट्रोल के कारण किसी भी देश या प्रदेश में महंगाई पर बहुत असर पड़ता है। जितनी भी प्रकार की आवागमन की सेवाएं हैं, वो इन्हीं की बढ़ती कीमतों के कारण प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि जब भी किसी राज्य में ईंधन के भाव बढ़ते हैं, तो वहां पर महंगाई बढ़ने लगती है। यह बात और है कि पिछली तिमाही में भारत ने महंगाई को दूर कर दिया है। बीती तिमाही के दौरान भारत में महंगाई शून्य से नीचे चली गई है।
अब आप राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले वैट की धारणा को समझने का प्रयास कीजिए। पूरे भारत की बात की जाए तो राजस्थान सरकार ईंधन के उपर सबसे अधिक वैट वसूलती है, जिसके कारण डीजल—पेट्रोल राजस्थान में सर्वाधिक महंगा है। इसके कारण आमजन को यातायात महंगा हो रहा है तो ट्रक—बस वाले हर दिन दूसरे राज्यों से ईंधन खरीद रहे हैं। राजस्थान के ट्रक—बस चालक मजबूरी में पड़ोसी राज्यों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों से ईंधन खरीद करते हैं। जिसके कारण राजस्थान को हर दिन करोड़ों रुपयों की राजस्व हानि हो रही है।
योगी आदित्यनाथ के यूपी में जहां डीजल आज की तारीख में करीब 89 रुपये लीटर मिल रहा है, जबकि राजस्थान में 6 रुपये बढ़कर करीब 95 रुपये प्रति लीटर में बिक रहा है। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में पेट्रोल का भाव भी 96 रुपये और राजस्थान में वही पेट्रोल 108 रुपये में बिक रहा है। इसके चलते राजस्थान, यूपी की सीमा पर राजस्थान के सभी पेट्रोल पंप बंद पड़े हैं। पडोसी के राज्य में सीमापार जहां हर दिनों करोड़ों रुपयों को कलेक्शन हो रहा है तो राजस्थान के पंप सूखे पड़े हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश से होते हुए बिहार और उत्तराखंड के अलावा झाडखंड तक जाने वाले ट्रक और बसों वाले उत्तर प्रदेश में घुसते ही ईंधन खरीद लेते हैं। राजस्थान में प्रवेश करने से पहले टंकी फुल करवाकर ही आते हैं। यूपी से एक बार टंकी भरवाने के बाद मुश्किल से राजस्थान से डीजल खरीदना पड़ता है।
इसी तरह से हरियाणा में पेट्रेाल 96.57 रुपये लीटर है, जबकि राजस्थान में 108 रुपये लीटर बिक रहा है। यानी भाप में करीब 12 रुपये लीटर का अंतर है। यही हाल डीजल का है, इसके चलते बस, ट्रक चालक हरियाणा से टैंक फुल करवाते हैं और वापस वहीं जाकर टंकी भरवाते हैं। गुजरात की बात की जाए तो पेट्रोल 96.19 रुपये लीटर है, जबकि एक किलोमीटर बाद राजस्थान में 109 रुपये लीटर मिलता है। यानी राजस्थान वालों को लगभग 13 रुपये लीटर का नुकसान हो रहा है। गुजरात सीमा पर राजस्थान के सभी पेट्रोल पंप ठप पड़े हैं। डीजल की बात की जाए तो गुजरात में 92.62 रुपये है, जबकि 94.67 रुपये लीटर बिक रहा है। इसका मतलब डीजल में भी राजस्थान वाले 2 रुपये प्रति लीटर का नुकसान खा रहे हैं।
राजस्थान के पड़ोसी राज्यों में डीजल और पेट्रोल के दाम काफी कम होने के कारण राज्य से लगती हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं पर राजस्थान के सभी पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं। चार कदम आगे ही पेट्रोल पंपों पर लाइनें लगी हैं, जबकि चार कदम पीछे राजस्थान में पंप खाली पड़े हैं। इन पांच सालों में अधिकांश पर ताले लटक चुके हैं। आप यदि राजस्थान—हरियाणा की बॉर्डर पर शाहजहांपुर जांएगे तो पता चलेगा कि हरियाणा में सड़क के दोनों किनारे दुकानों की तरह कतार से पेट्रोल पंप खुले हुए हैं, जबकि राजस्थान में घुसते ही कई किलोमीटर में एक भी पंप दिखाई नहीं देता है।
वर्तमान में चुनाव चल रहे हैं। करीब दो साल पहले केंद्र सरकार ने लगभग 10 फीसदी वैट कम किया था। उसके बाद यूपी, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों ने भी वैट कम किया, लेकिन राजस्थान सरकार ने एक पैसा कम नहीं किया। राज्य की कांग्रेस वाली अशोक गहलोत की सरकार ने केंद्र की तरह राज्य का वैट कम करने के बजाए महंगे डीजल—पेट्रोल का मोदी सरकार पर ठीकर फोड़ा है। सीएम गहलोत बार—बार राग अलापते हैं कि केंद्र सरकार को वैट कम करना चाहिए, जबकि सर्वाधिक वैट राजस्थान सरकार वसूल रही है। हाल ही में पीएम मोदी ने कहा है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी तो वैट की समीक्षा कर जनता को राहत पहुंचाई जाएगी।
अब 25 तारीख को मतदान है, उसके बाद 3 दिसंबर को मतगणना होगी और परिणाम जारी किया जाएगा। महंगा डीजल—पेट्रोल के कारण महंगाई की मार झेल रही राज्य की जनता किसे वोट करेगी, यह देखने वाली बात होगी। गहलोत और कांग्रेस सत्ता रिपीट होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान में महंगाई, अपराध, तुष्टिकरण जैसे मुद्दों पर वोट होते दिखाई दे रहे हैं।
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