राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के टिकट वितरण से पहले सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच एक बार फिर से विवाद होता दिखाई दे रहा है। सीएम गहलोत ने पायलट कैंप के विधायकों पर 10—10 करोड़ लेने के आरोप लगाकर विवाद करने का प्रयास किया है। दरअसल, खुद गहलोत ही कहते हैं कि राजनीति में जो होता है, वो दिखाई नहीं देता है और जो दिखाई देता है, वो होता नहीं है। अशोक गहलोत के ताजा बयान को उनकी कहावत की कसौटी पर कसें तो सहज ही जान पड़ता है कि इस बयान के पीछे सच वो नहीं है, जो उन्होंंने कहा है, सच यह है कि अशोक गहलोत अपने लोगों को टिकट दिलाने में कमजोर पड़ रहे हैं, इसलिए फिर से उस विवाद को उछालकर पायलट कैंप को उकसाना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस आलाकमान को भी याद दिलाना चाहते हैं कि पायलट कैंप के विधायक वो ही हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की थी, ताकि आलाकमान की नजर में पायलट अविश्वसनीय हो जाएं और उनके साथियों के टिकट कट सकें।
असल में देखा जाए तो आचार संहिता के बाद अशोक गहलोत हमेशा की तरह बेहद कमजोर नजर आ रहे हैं। इन दिनों उनके पास केवल पार्टी के काम के अलावा कुछ काम नहीं है। वो अपने साथ के तमाम सवा सौ विधायकों को टिकट दिलाकर उनकी वफादारी का ईनाम दिलाना चाहते हैं, लेकिन उसमें सचिन पायलट कैंप रुकावट आ रहा है। पायलट कैंप के 22—22, निर्दलीयों के सामने हारे हुए कांग्रेसी, वाम दलों के अलावा बसपा और बीटीपी के विधायाकों के सामने हार हुए कांग्रेस प्रत्याशी फिर से टिकट मांग रहे हैं, लेकिन अशोक गहलोत इनके टिकट काटना चाहते हैं।
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