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वसुंधरा-राठौड़ का टिकट कटेगा, यहां से जीतने वाला होगा सीएम!



विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने में कुछ ही दिन बचे हैं। चुनाव आयोग की टीम राजस्थान दौरे पर है और इसके बाद मिजोरम का दौरा करके अपनी रिपोर्ट सौंप देगी, उसके बाद कभी भी देश के पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा। मिजोरम के अलावा तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल है, जहां इस साल के नवंबर दिसंबर में चुनाव होने हैं। राजस्थान की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी में एक अजीब सी चुप्पी दिखाई दे रही है, जिसमें सचिन पायलट कैंप की खामोशी सबका ध्यान खींच रही है। ऐसा लगता है कि कोई बड़ा तूफान आने वाली है। सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे ही कांग्रेस पार्टी टिकटों की पहली सूची जारी करेगी, वैसे ही तूफान की शुरुआत हो जाएगी, जो मतदान तक अपना प्रचंड रूप दिखाता रहेगा। दूसरी ओर भाजपा में भी हाल ही में प्रदेश नेताओं को हिदायत दे दी गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने जयपुर में रातभर बैठकें करके बड़े नेताओं को साफ कर दिया है कि उनमें से कईयों के टिकट कटने वाले हैं। अमित शाह ने जिस तरह के संकेत दिए हैं, उससे साफ हो गया है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटने जा रही है। इससे पहले भाजपा ऐसा ही फॉर्मूला गुजरात में सफलतापूर्वक लागू कर चुकी है।

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अमित शाह ने बैठक में साफ कहा है कि जो भी वरिष्ठ मीटिंग में मौजूद हैं, वो पक्का नहीं समझें कि उनको चुनाव लड़ाया ही जाएगा। इस मैराथन बैठक में भाजपा के अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनियां, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, राज्यवर्धन राठौड़ जैसा नेता मौजूद थे। इनमें से दो या दो से अधिक चुनाव लड़ने वालों में वसुंधरा राजे, राजेंद्र राठौड़, अर्जुनराम मेघवाल ही थे, बाकी या तो दो चुनाव ही लड़े हैं, या एक ही चुनाव जीते हैं। वरिष्ठता का पैमाना यदि चुनाव लड़ना और जीतना है, तो ये दो ही नेता वरिष्ठ हैं, बाकी को कनिष्ठ माना जा सकता है। और यदि 70 साल से ऊपर वालों को वरिष्ठ माना जाए तो भी वसुंधरा और राठौड़ के अलावा अर्जुनराम मेघवाल ही हैं, जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बाकी सीपी जोशी, डॉ. सतीश पूनियां, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, राज्यवर्धन राठौड़ तो 70 साल से कम भी हैं और अभी तक दो ही चुनाव लड़े या जीते हैं। इनमें से भी सीपी जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्यवर्धन राठौड़ ने अभी तक दो ही चुनाव लड़े हैं और दो ही जीते हैं, बाकी डॉ. सतीश पूनियां ने 3 चुनाव लड़े हैं और एक चुनाव जीता है। इसी तरह से कैलाश चौधरी ने तीन लड़े हैं, जिसमें से दो जीते हैं।

वसुंधरा की बात करें तो अब तक 11 चुनाव लड़ चुकी हैं, जिसमें से 10 जीते हैं। इसी तरह से राजेंद्र राठौड़ ने 8 लड़े हैं और 7 जीते हैं। अर्जुनराम मेघवाल ने तीन लड़े हैं और तीन ही जीते भी हैं। अब समझने वाली बात यह है कि आखिर अमित शाह ने किन वरिष्ठों को चुनाव से दूर रहने की हिदायत दी है? तमाम वरिष्ठताओं के आधार पर बात करें तो वसुंधरा राजे सबसे बड़ी हैं, इसी तरह से दूसरे नंबर पर राजेंद्र राठौड़ हैं, और तीसरे नंबर पर अर्जुन राम मेघवाल हैं। इसके बाद उम्र के हिसाब से सतीश पूनियां, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, सीपी जोशी और राज्यवर्धन राठौड़ हैं। पिछले करीब 4 साल से भाजपा यही कहती आ रही है कि अगला चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा, पिछले दिनों खुद पीएम मोदी ने भी जयपुर की रैली में साफ कहा है कि सबकी पहचान कमल का फूल है और कोई भी सीएम चेहरा नहीं होगा। इससे साफ है कि 2002 से 2018 तक जो वसुंधरा राजे हमेशा सीएम फेस रही हैं, वो इस बार नहीं होंगी। इसके अलावा राजेंद्र राठौड़ 7 बार विधायक बन चुके हैं, जबकि तीन बार मंत्री रह चुके हैं। ये दोनों ही नेता वरिष्ठता के पैमाने पर खरे उतरते हैं। वैसे भी यदि पार्टी ने 70 पार नेताओं के टिकट काटे तो इन्हीं दो नेताओं के टिकट कटेंगे।

अब सवाल यह उठता है कि यदि भाजपा की सरकार बनी तो सीएम कौन होगा? सीएम की रेस में आज जिन नामों पर चर्चा हो रही है उनमें वसुंधरा, राठौड़ के अलावा सतीश पूनियां, गजेंद्र सिंह, अर्जुन राम, कैलाश चौधरी, राज्यवर्धन और दीया कुमारी के अलावा लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला का नाम भी लिया जा रहा है। वसुंधरा को टिकट मिला तो झालरापाटन से लड़ेंगी। राजेंद्र राठौड़ को मिला तो चूरू या विद्याधर नगर से लड़ेंगे। इसी तरह से सतीश पूनियां की आमेर से जमकर तैयारी चल रही है। सतीश पूनियां की वजह से आमेर सीट इस बार प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन चुकी है। हालांकि, उनकी सीट बदलने की चर्चा चल रही है, लेकिन आमेर में उनकी जबरदस्त सक्रियता साफ बता रही है कि सतीश पूनियां सीट बदलने वाले नहीं हैं। दूसरा नाम गजेंद्र सिंह का है, जो सांसद हैं और जोधपुर की सूरसागर सीट से तैयारी कर रहे हैं। यहां पर अभी भाजपा की सूर्यकांता व्यास विधायक हैं। उनकी उम्र अधिक होने के कारण टिकट कटना पक्का माना जा रहा है। इसी तरह से अर्जुनराम मेघवाल भी सीट तलाश रहे हैं। कैलाश चौधरी बायतु से तैयारी कर रहे हैं। राज्यवर्धन भी टिकट मांग रहे हैं तो दीया कुमारी की तीन सीटों चर्चा चल रही है। ओम बिरला पहले कोटा दक्षिण से विधायक रह चुके हैं, जहां फिर चुनाव लड़ सकते हैं।

कहने का मतलब यह है कि भाजपा की सरकार बनी तो फिर आमेर, सूरसागर, कोटा दक्षिण, चूरू, विद्याधर नगर, हवा महल, झोटवाड़ा जैसी सीट से चुनकर आने वाला जनप्रतिनिधि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री हो सकता है। यह भी बात सुनी है कि भाजपा के बड़े नेताओं को सीएम अशोक गहलोत के सामने चुनाव लड़ने की चुनौती भी अमित शाह ने दी है। सीएम की रेस में दौड़ रहे नेताओं को अमित शाह ने कहा है कि इतना ही दम है तो अशोक गहलोत के सामने चुनाव लड़कर उनको हराओ, ताकि प्रदेश आपका दम देखे। अमित शाह ने इस मीटिंग से पहले दीया कुमार से 10 मिनट अलग बात कर बहुत कुछ कह दिया है। साफ संकेत है कि दीया कुमारी को वसुंधरा राजे की जगह पार्टी में मजबूती प्रदान की जा रही है, ताकि भविष्य की महिला लीडरशिप को तैयार किया जा सके। 

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