पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा भाजपा में शामिल, अब हुड्डा परिवार पर नजरें



राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के सियासी दल बदलने का सिलसिला तेज हो गया है। राजस्थान में नागौर से पूर्व सांसद और दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा सोमवार को बीजेपी में शामिल हो गईं। ज्योति मिर्धा भीजेपी में शामिल होने के लिए दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय में पहुंची जहां, उनका दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। इसके बाद उनको पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में नागौर की किसी सीट से उनको टिकट दिया जा सकता है।

इसके साथ ही पूर्प आईपीएस अधिकारी सवाई सिंह चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि सवाई सिंह को भाजपा खींवसर से चुनाव लड़ा सकती है। दरअसल, सवाई सिंह चौधरी ने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर खींवसर से चुनाव लड़ा था।


ज्योति मिर्धा के भाजपा में जाने को कांग्रेस को एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, आजादी के बाद से ही राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। यहां कि किसान समुदाय में मिर्धा परिवार उन परिवारों में गिना जाता रहा है, जिनका कांग्रेस की राजनीति में खास दबदबा माना जाता है। राजस्थान से संबंधित हर चुनाव में इस समुदाय की अहम भूमिका होती है। नागौर से लगातार दो चुनाव हार चुकीं ज्योति मिर्धा राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मिर्धा को भाजपा—आरएलपी के संयुक्त उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल ने हराया था।। उससे पहले साल 2009 में ज्योति नागौर से कांग्रेस की सांसद रही हैं। नागौर जाट बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर मिर्धा के बीजेपी में जाने के बाद किसान वोटर्स को साधने में पार्टी को आसानी होगी।


आपको याद होगा साल 2019 में कांग्रेस ने नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा था। उनके सामने भाजपा—राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी रालोपा मुखिया हनुमान बेनीवाल के सामने हार गईं थी। हाल ही में हनुमान बेनीवाल ने दावा किया है कि वह इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस के साथ कोई अलाइंस नहीं करेंगे। 


राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में हनुमान बेनीवाल बड़े नेता माने जाते हैं। नागौर के खींवसर से वह तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। अभी नागौर से सांसद हैं। अभी उनका पूरा फोकस विधानसभा चुनाव पर है, लेकिन ज्योति मिर्धा के भाजपा में जाने से नागौर में भाजपा मजबूत होगी। इसके साथ ही हरियाणा के हुड्डा परिवार की बहू होने के कारण अब हुड्डा परिवार के अगले कदम पर नजरें हैं। हुड्डा परिवार भी काफी समय से कांग्रेस में असहज महसूस कर रहा है। 


किसान वर्ग को अपने साथ जोड़ने के सिलसिले में भाजपा ने यह कदम उठाया है। माना जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल के नहीं होने के कारण पार्टी नागौर में खुद को कमजोर महसूस कर रही थी। ज्योति मिर्धा के शामिल होने से संभवत: पार्टी को कुछ राहत मिलेगी। हालांकि, अभी तक हनुमान बेनीवाल को लेकर भाजपा ने कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि अब भाजपा भी बेनीवाल के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। 

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