भाजपा के इशारे पर चलते हैं कांग्रेस के कई बड़े नेता!



दुनिया में लगभग सभी देशों की गुप्तचर एजेंसियां हैं, जो अपने अपने देश के गुप्त मिशन को अंजाम देती हैं। भारत के पास रॉ है, तो पाकिस्तान के पास आईएसआई है। इसी तरह से अमेरिका की एफबीआई को जबरदस्त खुफिया ऐजेंसी माना जाता है। लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा कि एक करोड़ से भी कम जनसंख्या वाले इजराइल के पास 'मोसाद' नामक विश्व की सबसे बेहतरीन खुफिया एजेंसी है, जो अपने 100 प्रतिशत मिशन कम्पलीट करती है। इस ऐजेंसी की वैसे तो कई खासियत हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि इसके एजेंट दुश्मन देश की सेना, पुलिस और यहां तक की खुफिया एजेंसी के भीतर भी इस्राइल के एजेंट होते हैं। यानी जो देश की सबसे विश्वसनीय विंग होती है, उसी के अंदर भी घुसे हुए होते हैं। यही कारण है कि यह ऐजेंसी अपने सभी मिशन 100 फीसदी पूरे करने में कामयाब होती है।


आपको याद होगा एक बार कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए सोनिया गांधी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था। उसके बाद सोनिया गांधी का वो बयान कैसे कांग्रेस को ले डूबा था। 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था। उस चुनाव में 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में कड़ी टक्कर झेल रही बीजेपी को 117 सीटें मिलीं, ज‍बकि कांग्रेस 59 सीटें ही हासिल कर सकी। 


साल 2014 में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था- मोदी कांग्रेस दफ्तर के बाहर चाय बेचें। वह चायवाला क्या प्रधानमंत्री बनेगा! उसी चुनाव में राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी को जहर की खेती करने वाला बताया था। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाया और पहली बार भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना पाई। भाजपा को उस चुनाव में 282 सीट मिली, जबकि एनडीए को 303 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस पार्टी इतिहास की सबसे कम केवल 44 सीटों पर सिमट गई थी। 


साल 2017 में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को 'नीच इंसान' बता दिया था। मणिशंकर के इस बयान को भी नरेंद्र मोदी ने खूब भुनाया। गुजरात में मोदी ने प्रचार करते हुए इसको प्रदेश की अस्मिता से जोड़ दिया, जिसके बाद जनता ने कांग्रेस से मुंह फेर लिया। इसी तरह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 की एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला था और राफेल डील में घोटाला करने का आरोप लगाया था। उन्होंने तकरीबन हर जनसभा में 'चौकीदार चोर है' का नारा लगाया, लेकिन चुनाव परिणाम में भाजपा लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से 303 सीटों पर जीती। इस चुनाव में भी एनडीए को 353 सीट मिली।


नवंबर 2022 में गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विवादित बयान दिया था। खड़गे ने कहा, पीएम मोदी हर वक्त अपनी बात करते हैं। हर मुद्दे पर कहते हैं कि मोदी की सूरत को देखकर वोट दें। खड़गे ने सवाल किया, 'तुम्हारी सूरत कितनी बार देखें, पार्षद चुनाव में तुम्हारी सूरत देखें, विधानसभा चुनाव में भी तुम्हारी सूरत देखें, लोकसभा चुनाव में भी तुम्हारी सूरत देखें. हर जगह आपका ही चेहरा देखें, कितने चेहरे हैं आपके, क्या आपके रावण की तरह 100 मुख हैं क्या? बीजेपी ने इस बयान को मुद्दा बनाया और कांग्रेस को घेरा। नतीजतन, कांग्रेस को बुरी हार मिली और 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में बीजेपी ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीतीं।


इस तरह से कांग्रेस के कई नेता मोदी, भाजपा और संघ पर बयान देकर एक तरह से भाजपा को ही फायदा पहुंचाते हैं। भाजपा के नेता कहते भी हैं कि राहुल गांधी उनके स्टार प्रचारक हैं। जब भी राहुल गांधी इन तीनों पर हमला बोलते हैं, तभी भाजपा को फायदा होने लगता है। दिग्विजय सिंह से लेकर मणिशंकर अय्यर और राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी, सभी के बयानों से आज तक मोदी को लाभ ही मिला है। साल 2019 में कांग्रेस ने महागठबंधन किया था। उस अलाइंस की अगुवाई उस समय में आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू कर रहे थे। बाद में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन हुआ ही नहीं। उस गठबंधन में ही करीब चार दर्जन दलों ने अलाइंस करने की बात कही थी।


अब एक बार फिर से कांग्रेस ने विपक्ष का गठबंधन बनाना शुरू किया है। इसमें अभी तक 36 दल बताए जाते हैं। इसकी तीन मीटिंग भी हो चुकी है, लेकिन अभी सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला सामने नहीं आया है। इससे पहले ही डीएमके नेता और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को कोरोना, डेंगू, मलेरिया जैसी संज्ञा देकर खत्म करने का आव्हान किया है। साथ ही ए राजा ने भी कहा है कि सनातन धर्म एचआईवी और कुष्ठ रोग जैसा है, इसको खत्म कर देना चाहिए। दरअसल, डीएमके पार्टी कांग्रेस के इंडिया अलांइस गठबंधन का हिस्सा है। इन बयानों के बाद कई कांग्रेसी नेता भी विरोध कर रहे हैं तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कहा कि यदि डीएमके अलाइंस में रहेगी, तो वो शामिल नहीं होंगे।


यानी जिस महागठबंधन का दावा कांग्रेस कर रही थी, उस इंडी अलाइंस में फूट पड़ती दिखाई दे रही है। अभी तक तीन मीटिंग में केवल गठबंधन का नाम तय हुआ है, उससे साथ ही टूट फूट की बातें सामने आने लगी हैं। इससे पहले सीटों के बंटवारे को लेकर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, नीतिश कुमार, केसीआर राव ने कांग्रेस को सुझाव दिए थे, जिससे कई दल सहमत नहीं थे। लोकसभा चुनाव में अभी करीब 4 महीने बाकी हैं, लेकिन उससे पहले ही मोदी, भाजपा, संघ, हिंदू, सनातन धर्म पर उसी तरह से बयानबाजी और हमले होने लगे हैं, जैसे 2014 और 2019 के आम चुनाव से पहले हुए थे। 


ऐसा नहीं है कि उदयनिधि स्टालिन और ए राजा के बाद कोई बयान नहीं आएगा। राजनीति में हवा गर्म होने के साथ ही अभी बयानों की बहार आने वाली है। माना जाता है कि नरेंद्र मोदी की राजनीतिक सफलता का सबसे बड़ा राज ही विरोधी दलों द्वारा उनपर व्यक्तिगत हमले करना है। जितना विरोधी दलों के नेता मोदी पर व्यक्तिगत हमले करते हैं, मोदी पर जनता का उतरा ही भरोसा पक्का होता जाता है। 


शुरुआत में मैंने इजराइल की मोसाद का जिक्र किया था। वो इसलिए किया था, क्योंकि जैसे मोसाद के एजेंट दुश्मन देश की सेना, खुफिया एजेंसी, पुलिस और प्रशासन में ही प्लांट होते हैं, संभवत: ठीक ऐसे ही नरेंद्र मोदी के ऐजेंट भी विरोधी दलों में मौजूद होते हैं, जो इनके बड़े नेताओं को ऐसे बयान देने की राय देते हैं, जिससे मोदी, भाजपा, संघ को फायदा होता है। 2017 के गुजरात चुनाव से पहले वहां पर कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही थी, लेकिन अचानक से कांग्रेस नेताओं ने उल्टे सीधे बयान देने शुरू किए और भाजपा 117 सीटों पर पहुंच गई। 


अब राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव आने वाले हैं। इनको लेकर भाजपा, कांग्रेस समेत सभी दल तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही नेताओं के बयान भी आने लगे हैं। इन चुनाव में जो नेता निचले स्तर के बयान देगा, जनता उससे उतनी ही दूर होती चली जाएगी। कर्नाटक चुनाव में मोदी ने कहा था कि कांग्रेस नेताओं द्वारा बीते 9 साल में उनको 91 गालियां दी गई हैं। अब इस लिस्ट में कितनी गालियां जुड़ती हैं, विधानसभा चुनाव परिणाम के साथ ही आने वाले तीन महीने में यह भी देखने वाली बात होगी। 

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