आखिरकार एक सप्ताह के इंतजार के बाद कांग्रेस विधायक और बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने लाल डायरी के राज खोलने शुरू कर दिए हैं। गुढ़ा की लाल डायरी के अभी केवल तीन पन्ने खुले हैं, जिसमें अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी अविनाश पाण्डे से लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का नाम शामिल है। होने को तो डायरी में सचिन पायलट का नाम भी है, लेकिन पायलट को लेकर किसी तरह का आरोप या हिसाब किताब का जिक्र नहीं है। सीएम अशोक गहलोत के दो ओएसडी देवाराम सैनी और सौभाग का नाम भी डायरी के खुलासे में सामने आया है। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के हिसाब को लेकर तीन पन्नों की जानकारी गुढ़ा के द्वारा पत्रकारों को दी गई है। इसके साथ ही अर्ल्बट हॉल के सामने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जो रंगारंग कार्यक्रम हुआ था, उसकी व्यवस्थाएं बनाए जाने का जिक्र भी लाल डायरी के पन्नों में दर्ज है।
राजेंद्र गुढ़ा ने सीएम अशोक गहलोत समेत कांग्रेस नेताओं पर एक बार फिर से महिलाओं के साथ बलात्कार करने के आरोप लगाते हुए सारे मंत्री परिषद का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है। गुढ़ा ने यह भी दावा किया है कि उनको सीएम कभी जेल में डाल सकते हैं, लेकिन यदि सीएम ने ऐसा किया तो वसुंधरा राजे की तरह अशोक गहलोत भी इतिहास के पन्नों में सिमट समा जाएंगे। गुढ़ा ने यह भी दावा किया है कि उनको वसुंधरा राजे ने 38 दिन जेल में डाला था, इसलिए अब वसुंधरा का चैप्टर क्लॉज हो चुका है, यही हाल अशोक गहलोत का होने वाला है। खास बात यह है कि जब लाल डायरी के राज खोलने के लिए पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के अस्पताल रोड स्थित मंत्री वाले बंगले पर प्रेस वार्ता शुरू हुई तो बंगले की बिजली काट दी गई है, किंतु वैकल्पिक व्यवस्था करके प्रेस वार्ता पूरी की गई। गुढ़ा ने कहा कि यदि वह जेल नहीं गये तो लाल डायरी को लेकर लगातार खुलासे होते रहेंगे, यदि उनको जेल में डाल दिया गया तो उनका बेटा या अन्य कोई विश्वसनीय व्यक्ति डायरी के पन्नों से राज उजागर करते रहेंगे।
राजेंद्र गुढ़ा ने डायरी पत्रकारों को दिखाई तो सही, और उसको लेकर जवाब भी दिए, लेकिन डायरी के पन्ने नहीं दिए गये। उन्होंने एक पन्ना पढ़कर भी सुनाया, जिसमें अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, सीपी जोशी, अविनाश पाण्डे, सचिन पायलट, भवानी सामोता, राजीव खन्ना, सीएम के ओएसडी देवाराम सैनी, सौभाग, आईएएस पी रमेश, चम्पा लाल, जुगल मीणा जैसे नामों का जिक्र किया गया है। गुढ़ा ने कहा है कि वह अपनी जुबान के पक्के हैं और डायरी के सभी राज वह किस्तों में पत्रकारों के सामने खोलते रहेंगे। उन्होंने सीपी जोशी और सरकार पर आरोप लगाया है कि जिस डायरी को वह टेबल करके रिकॉर्ड में लाना चाहते थे, उसको मंत्री छीन ले गए, लेकिन आरोपी मंत्रियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उनको ही सदन से निलंबित कर दिया गया।
लाल डायरी में अशोक गहलोत के “वैभव” और सीपी जोशी समेत सचिन पायलट का नाम है।
राजेंद्र गुढ़ा की प्रेस वार्ता के बाद कई तरह के गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सबसे पहले सीएम अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव गहलोत पर लगाए गये आरोपों की बात करें तो गहलोत खुद ही सबसे बड़े संकट में फंस रहे हैं। दरअसल, खेल संघों में, खासकर आरसीए में मोटे पैसे से अध्यक्ष और दूसरों पर पदों पर चुनाव को लेकर पहले भी कई तरह के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इस समय वैभव गहलोत आरसीए के अध्यक्ष हैं, जबकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी आरसीए के संरक्षक हैं। उससे पहले सीपी जोशी आरसीए के अध्यक्ष हुआ करते थे। कहा जाता है कि अशोक गहलोत द्वारा सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष का पद देने के पीछे की असली कहानी यह थी कि वह वैभव गहलोत को आरसीए का अध्यक्ष बनाकर राजनीति में सफल एंट्री कराना चाहते थे। उससे पहले वैभग गहलोत जोधपुर से लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हार गये थे।
आपको याद होगा जब आरसीए के चुनाव हो रहे थे, तब रामेश्वर डूडी ने भी आरसीए अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। उस दौरान विवाद होने पर डूडी ने अशोक गहलोत को धृतराष्ट्र की उपाधि तक दे दी थी। यह बात और है कि आजकल रामेश्वर डूडी राजस्थान एग्रो इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष हैं और अशोक गहलोत की ही भाषा बोलते हैं। उस समय यह आरोप भी लगे थे कि अशोक गहलोत ने अपनी सत्ता का दुरुपयोग करके अपने बेटे को आरसीए का अध्यक्ष बना दिया था। खुद डूडी ने भी कई गंभीर अरोप अशोक गहलोत पर लगाए थे। उसी दौरान के लिए कहा जाता है कि वैभग गहलोत को अध्यक्ष बनाने के लिए वोटर्स को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया था। लाल डायरी में कथित तौर पर धर्मेंद्र राठौड़ ने उसी चुनाव के हिसाब का जिक्र किया है। जिन भवानी सामोता का जिक्र किया गया है, वो आरसीए के सचिव हैं, जिसमें माध्यम से ही रुपयों के भुगतान का दावा किया गया है।
डायरी में अर्ल्बट हॉल पर व्यवस्थाएं देखे जाने के बारे में भी बताया गया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब 100 दिन बाद जयपुर पहुंची थी, तब 16 दिसंबर 2022 को अशोक गहलोत सरकार ने अर्ल्बट हॉल पर एक जोरदार रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में बॉलीवुड कलाकार सुनिधि चौहान ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का मन मोह लिया था। राजेंद्र गुढ़ा के अनुसार लाल डायरी में राहुल गांधी के उस कार्यक्रम की व्यवस्थाएं देखने का जिक्र धमेंद्र राठौड़ ने किया है। दरअसल, दिसंबर 2022 में ही वैभव गहलोत दूसरी बार निर्विरोध आरसीए के अध्यक्ष बने थे, जब नांदू गुट ने अध्यक्ष पद से अपना दावा वापस ले लिया था।
इसलिए राजेंद्र गुढ़ा का यह दावा सही जान पड़ता है कि वैभव गहलोत को अध्यक्ष बनाने के लिए करोड़ों रुपयों का लेनदेन हुआ था। क्योंकि जब अचानक से नांदू गुट ने अध्यक्ष पद से अपना दावा वापस ले लिया था, तब भी ऐसे आरोप लगे थे कि सत्ता और पैसे के दबाव में कोई भी आरसीए अध्यक्ष का चुनाव लड़ने को आगे नहीं आ रहा है। असल में आरसीए अध्यक्ष के चुनाव में वो लोग वोट करते हैं, जो जिला क्रिकेट संघ के सचिव होते हैं। राजस्थान में 33 जिलों के 33 सचिवों के अलावा राज्य के 3 इंटरनेशनल खिलाड़ियों को भी वोटिंग राइट मिले हुए हैं। इस तरह से आरसीए चुनाव में 36 वोटर होते हैं। अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए किसी भी जिला संघ का अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष या सचिव होना आवश्यक होता है। यानी इन 99 लोगों में से कोई भी अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है।
असल बात यह है कि आरसीए के चुनाव में हमेशा धांधली होने और पैसे का मोटा लेनदेन होने के आरोप लगते रहे हैं। बीसीसीआई देश के सभी खेल संघों में सबसे अमीर संस्था है। इसके अंडर में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन होता है। कहा जाता है कि आरसीए पर जिसका कब्जा होता है, वह राज्य का सबसे ताकतवर खेल अधिकारी होता है। उसके पास सीधे बीसीसीआई से संपर्क होने के कारण देश और दुनिया में क्रिकेट के जरिये सभी तरह के खेल करने के अधिकार होते हैं। यही वजह है कि बीसीसीआई से लेकर आरसीए और जिला क्रिकेट संघ के चुनाव के लिए करोड़ों रुपयों का लेनदेना होता है। यदि राजेंद्र गुढ़ा की बात सही है और धमेंद्र राठौड़ की लाल डायरी वास्तव में उनके पास है तो निश्चित तौर पर आरसीए चुनाव के दौरान किए गये करोड़ों रुपयों का हिसाब किताब हो सकता है।
इस डायरी के हवाले से राजेंद्र गुढ़ा ने सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी देवाराम सैनी और सौभाग पर भी आरोप लगाए हैं। कई बार आपने सुना होगा कि सीएम के सभी काम धमेंद्र राठौड़, देवाराम सैनी, सौभाग जैसे करीबी लोग ही करते हैं। कई बार ये भी आरोप लगते रहे हैं कि देवाराम सैनी खुद ही मुख्यमंत्री की तरह बर्ताव करते हैं। यदि आरोपों में दम है, तो यह बात सही है कि अशोक गहलोत के करीबी लोग बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जिनको बचाने के लिए ही अशोक गहलोत ने राजेंद्र गुढ़ा को आनन फानन में मंत्री पद से बर्खास्त किया है। इसी तरह से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का भी नाम डायरी के पन्नों में अंकित बताया जा रहा है। सीपी जोशी आरसीए के संरक्षक होने के साथ ही अशोक गहलोत के करीबी नेता माने जाते हैं। आपको याद होगा जब वैभव गहलोत पहली बार अध्यक्ष बने थे, उससे पहले आरसीए में संरक्षक जैसा कोई पद नहीं था, लेकिन जब वैभव को आरसीए का अध्यक्ष बनाया गया, तब यह व्यवस्था की गई थी कि भले ही अध्यक्ष पद पर अशोक गहलोत का बेटा बैठ जाए, लेकिन सीपी जोशी भी आरसीए से बाहर नहीं होना चाहते थे। इस वजह से नया पद सृजित किया गया, जिसको आरसीए संरक्षक लिखा गया।
राजेंद्र गुढ़ा के अनुसार लाल डायरी में कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी अविनाश पाण्डे का भी जिक्र किया गया है। इसके साथ ही राजीव खन्ना का भी जिक्र किया गया है। राजीव खन्ना दिसंबर 2022 के समय राजस्थान रॉयल्स के उपाध्यक्ष और राजस्थान रॉयल्स के सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। इस तरह से डायरी में आरसीए में हो रहे पूरे भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है। सीपी जोशी का नाम होने का शायद विधानसभा अध्यक्ष को पहले से ही अंदेशा था। संभवत: यही वजह थी कि जब राजेंद्र गुढ़ा लाल डायरी को टेबल करना चाहते थे, तब उनको सुने बिना ही बाहर निकाल दिया गया। ऐसा नहीं है कि जब कोई बेहद संवेदनशील चीज विधानसभा की जानकारी में लाई जाती है, तब उसको टेबल करने की अनुमति दी जाती है। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को उचित लगने पर बहस की जाती है। बाद में सरकार की ओर से अपना वक्तव्य दिया जाता है। किंतु जिस फुर्ती के साथ सीपी जोशी ने राजेंद्र गुढ़ा को सदन से निलंबित किया, उससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। अब लाल डायरी में सीपी जोशी का नाम सामने आने के बाद आरोपों की बछार सीपी जोशी पर भी होने लगी है।
लाल डायरी के कई राज खुलने बाकी हैं, लेकिन राजेंद्र गुढा के अनुसार उनपर मुकदमे लगाए जा रहे हैं और कभी भी जेल में डाला जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो राजस्थान की राजनीति में इस तरह से किसी मंत्री को पद से बर्खास्त करने, उसको गिरफ्तार करने और पार्टी से बाहर करने का इतिहास फिर से दोहराया जायेगा। इससे पहले जब महिपाल मदेरणा का नाम भंवरीदेवी अपहरण और हत्याकांड में नाम सामने आया था, तब उनको भी मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। इसी तरह से एक महिला से बलात्कार के आरोप लगे थे, तब बाबूलाल नागर को भी मंत्री पद से हटा दिया गया था। बाद में उनको भी गिरफ्तार किया गया था। यानी देखा जाए तो अब तक अशोक गहलोत के इस कार्यकाल में मंत्री को हटाने और उसको जेल में डालने का काम नहीं किया गया है, वह अब हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इतिहास अपने आप में दोहराया जायेगा।
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