राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और स्थाई दुश्मन नहीं होता है। ऐसे हजारों उदाहरण हैं, जब कट्टर दुश्मन माने जाने वाले नेता एक दूसरे के गले लगकर प्रशंसा करते दिखाई देते हैं। महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक और जम्मू कश्मीर से लेकर बिहार तक राजनीति दलों के बीच ऐसे गठबंधन हुए हैं, जब लोगों को लगता था कि ये लोग तो आपस में बात भी नहीं करते होंगे। कभी भाजपा को पानी पीकर कोसने वाले हेमंत बिस्वा सरमा से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और पेमा खांडू से लेकर पंजाब से सुनील जाखड़ सियासत में स्थाई दोस्त और दुश्मन की परिभाषा बताने के बड़े उदाहरण हैं। इसी तरह से राजस्थान में भी भाजपा सरकार रहते भाजपा के साथ पांच साल तक लोहा लेने वाले हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन किया था। उस समय राज्य की 25 में से 24 सीट भाजपा और नागौर की एक सीट पर हनुमान बेनीवाल ने चुनाव लड़कर सभी 25 सीटों को दोबारा जीता था। हालांकि, 2021 में किसान आंदोलन के चलते गठबंधन टूट गया था।
नवंबर दिसंबर के दौरान राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। सभी दल चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। राज्य के प्रमुख दलों में भाजपा, कांग्रेस, रालोपा समेत सभी छोटे दल अपने अपने हिसाब से तैयारी कर रहे हैं। सरकार जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट को एक करके सत्ता रिपीट कराने का दावा कर रही है, तो हनुमान बेनीवाल दो महीने से सघन रैलियों और मीटिंग्स करके अपने हिसाब से चुनाव जीतकर पहली बार सत्ता का हिस्सा बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। बेनीवाल ने भाजपा—कांग्रेस को छोड़कर सभी छोटे दलों से उनके साथ आकर गठबंधन करने का आव्हान किया है। उन्होंने साफ का है कि इस विधानसभा चुनाव में वो ना तो भाजपा के साथ रहेंगे और ना ही कांग्रेस से किसी तरह का गठबंधन करेंगे। उधर, भाजपा सत्ता में वापसी के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। बीते छह महीने में पीएम मोदी चार बार राजस्थान पहुंच चुके हैं। इसके अलावा अमित शाह और जेपी नड्डा भी अलग अलग जगह पर संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं।
इसी सिलसिले में पीएम मोदी एक बार फिर से राजस्थान पहुंच रहे हैं। मोदी ने अब तक गुर्जर, आदिवासी, मीणा समाज को साधने का प्रयास किया है। इसी क्रम में अब राज्य की सबसे बड़ी आबादी जाट समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे। पीएम मोदी 28 जुलाई को नागौर के खरनाल धाम पहुंचेंगे, जहां पर लोक देवता तेजाजी का सबसे बड़ा स्थान है। यहीं से मोदी देशभर के 9 करोड़ किसानों के खातों में एक साथ 18 हजार करोड़ रुपए की सम्मान निधि ट्रांसफर करेंगे। यह कार्यक्रम कृषि मंत्रालय और फर्टिलाइजर मंत्रालय की ओर से आयोजित किया जाएगा। किसानों के खातों में पीएम सम्मान निधि ट्रांसफर करने के अलावा फर्टिलाइजर मंत्रालय की ‘पीएम प्रणाम’ स्कीम में किसानों के लिए किए गए नए प्रावधानों की भी घोषणा करेंगे।
खरनाल में होने वाली मोदी की सभा में नागौर के आसपास के जिलों अजमेर, जयपुर, सीकर, चुरू, बीकानेर, जोधपुर और पाली से भी लोग जुटेंगे। नागौर सहित अन्य जिलों की करीब 25 से 30 विधानसभा सीटों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। पश्चिमी राजस्थान के अन्य जिलों के साथ ये सभी डिस्ट्रिक्ट जाट बहूल माने जाते हैं और इनमें हनुमान बेनीवाल का सबसे अधिक प्रभाव है। राजस्थान के लोक देवताओं में तेजाजी महाराज का विशेष महत्व है। इससे पहले पीएम मोदी ने गुर्जर समाज को साधने के लिए भीलवाड़ा के आसिंद में भी एक बड़ी रैली को संबोधित किया था।
मोदी ने अब तक राज्य के गुर्जर-मीणा-आदिवासी और एससी बेल्ट को फोकस किया है। गुर्जरों को साधने के लिए मोदी की भीलवाड़ा के आसींद में 28 जनवरी को सभा हुई, उसके बाद गुर्जर-मीणा बहुल दौसा, आदिवासी बहुलता वाले बांसवाड़ा, अजमेर और सिरोही में सभाएं कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इसी क्रम में अब राजस्थान के जाट समाज को साधने के लिए अब मोदी का नागौर दौरा तय किया गया है। इसी सीट को भाजपा ने पार्टी की जीत के हिसाब से राज्य की सबसे कमजोर सीट माना है। हाल ही में 8 जुलाई को एससी के लिए रिजर्व बीकानेर लोकसभा सीट पर हुई मोदी की सभा के बाद इस माह राजस्थान में यह उनका दूसरा दौरा होगा।
इससे पहले वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नागौर की 10 में से 9 सीटें जीती थीं, केवल खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल जीते थे, जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ दो ही सीटों पर संतोष करना पड़ा। यही वजह है कि भाजपा के लिए नागौर विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।भाजपा ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में नागौर और दौसा सीट का कमजोर माना है। इन दोनों सीटों का छह महीने पहले जिम्मा केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को दी गई है।
दरअसल, नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी भाजपा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 282 सीटों पर जीती थी, जबकि गठबंधन में एनडीए को कुल 303 सीटें मिली थीं। इसी तरह से वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा 303 सीटों पर जीती, जबकि एनडीए ने 353 सीटों पर जीत हासिल की थी। इन दोनों ही जीत में भाजपा को उत्तरी—पश्चिमी भारत से अपार समर्थन हासिल हुआ। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश लगभग सभी सीटों पर भाजपा ने लगातार दो बार जीत हासिल की। हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा को इन राज्यों को लगातार तीसरी बार जीतकर सरकार रिपीट कराने के मूड में है।
यही वजह है कि भाजपा इन राज्यों में तीसरी बार बड़े पैमाने पर बहुमत हासिल करना चाहती है। बीजेपी राजस्थान में लगातार दो बार सभी 25 सीटें जीती हैं। इन सभी 25 सीटों को तीसरी बार जीतने के लिए भाजपा ने जी जान लगा दी है। इसी तरह से गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी परचम लहराया है। अब भाजपा इन राज्यों में फिर से प्रचंड बहुमत पाना चाहती है। इसके पीछे दो कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि दस साल शासन में रहने के बाद कुछ मात्रा में सत्ता विरोधी लहर बन जाती है। साथ ही विपक्ष के द्वारा महागठंधन जिस तरह से एकजुट हो रहा है, उसको देखते हुए भी भाजपा तैयारी कर रही है। जिन हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी ने बहुमत पाया, उनको फिर से पाना चाहती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नवंबर में होने वाले चुनाव होने हैं, इस वजह से इन राज्यों पर इस समय भाजपा पूरा फोकस कर रही है।
राजस्थान की नागौर और दोसा सीट भाजपा को कमजोर नजर आ रही है। इसके दो कारण हैं। नागौर में हनुमान बेनीवाल सांसद हैं, जहां पर उन्होंने बड़े पैमाने पर काम कराए हैं। उन्होंने शुरू से ही इस सीट पर फोकस किया है। इसी तरह से दोसा सीट पर गुर्जर—मीणा जातियों का बाहुुल्य है। यदि सचिन पायलट ने फिर से सीएम बनाने की आस जगाई तो फिर इस सीट पर भाजपा की जीत होना कठिन हो जायेगी। यही कारण है कि इन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी वजह से पीएम मोदी नागौर में रैली करने जा रहे हैं। नागौर की खींवसर सीट अभी रालोपा के नारायण बेनीवाल विधायक हैं। यहीं पर तेजाजी के खरनाल में पीएम मोदी 28 जुलाई को सभा करने जा रहे हैं।
जिस तरह से भाजपा मोदी को नागौर बुलाकर तैयारी कर रही है, उससे एक बात साफ हो गई है कि मुकाबला पीएम मोदी और रालोपा सांसद बेनीवाल के बीच होने वाला है। इस जिले में हनुमान बेनीवाल 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन में सांसद बने थे और फिर से तैयारी कर रहे हैं। इस वजह से भाजपा यहां पर अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी है। तेजाजी के खरनाल धाम से पीएम मोदी राज्य की सबसे बड़ी आबादी जाट समाज को साधने का प्रयास करेंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने बांसवाड़ा में आदिवासी, भीलवाड़ा से गुर्जर, दोसा से मीणा—गुर्जर समाज को साधने की कोशिश कर चुके हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने रालोपा का गठन किया था। उस समय उन्होंने 57 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जिनमें से तीन प्रत्याशी जीते। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रालोपा के साथ अलाइंस किया। उसमें हनुमान बेनीवाल नागौर से उम्मीदवार बने, बाकी सभी 24 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार उतारे गये। उस चुनाव में सभी 25 सीटों पर कांग्रेस की लगातार दूसरी बार हार हुई। अब उस जीत को दोहराने के लिए भाजपा तैयारी कर रही है, तो रालोपा ने नागौर के अलावा सीकर, चूरू, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, राजसमंद, पाली और अजमेर सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। भाजपा जहां मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतर रही है, तो रालोपा बेनीवाल के चेहरे पर तैयारी कर रही है। यही वजह है कि भले ही लोकसभा चुनाव में गठबंधन हो जाये, लेकिन विधानसभा चुनाव में संभवत: पीएम मोदी और बेनीवाल के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा।
नागौर में हनुमान बेनीवाल से टकराएंगे नरेंद्र मोदी
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