राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे ही नेताओं के द्वारा अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ती जा रही है। सियासी दलों के केंद्रीय और प्रदेश स्तर के नेता चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए लगातार बड़ी सभाएं, धरने, प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों प्रदेश की राजधानी जयपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सभा को सम्बोधित करने पहुंचे थे। सभा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चाध्यक्ष व विधायकों की बैठक ली।
भाजपा सूत्रों के अनुसार नड्डा ने पदाधिकारियों से बैठक में पूछा कि किसे चुनाव लड़ना है और किसे नहीं? उस दौरान कुछ पदाधिकारियों ने हाथ उठाया था और कुछ ने नहीं हाथ उठाया। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने कहा कि पार्टी पदाधिकारियों को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना है। यह भी कहा कि दिल्ली भेजी जाने वाली सूचियों में इनका नाम किसी भी हाल में नहीं आना चाहिए। मजेदार बात यह है कि इसके बावजूद भी पार्टी के कुछ पदाधिकारी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसको देखते हुए अपने क्षेत्र में सक्रिय होकर टिकट की दावेदारी भी जताने का प्रयास करने लगे हैं। ये नेता अपने विधानसभा क्षेत्र में जन सम्पर्क तक कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा की दो टूक मनाही के बाद भी इन नेताओं को संभवत: उम्मीद है कि कोई न कोई दांवपेच करके उनको भी टिकट मिल सकता हैं। ये नेता इतने सक्रिय हो गये हैं कि अपने विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर स्क्रूटनी समेत दूसरे काम भी करवा रहे हैं, जबकि पार्टी के अपने मूल कार्यों में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। इन पदाधिकारियों की पूरी रूचि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही अधिक दिखाई दे रही है। भाजपा संगठन की प्रदेश टीम में जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उनमें प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया भी शामिल हैं, जो जोधपुर जिले से टिकट मांग रहे हैं। इसी तरह से प्रदेश मंत्री वासुदेव चावला सुजानगढ़ सीट से मैदान में उतरना चाहते हैं।
इसी तरह से पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष अहलावत सूरजगढ़, प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रभुलाल सैनी देवली—उनियारा विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह से पार्टी के सह कोषाध्यक्ष श्याम अग्रवाल भी मालवीय नगर से ताल ठोक रहे हैं। इस सीट पर अभी पूर्व कैबिनेट मंत्री कालीचरण सराफ विधायक हैं। ऐसे ही पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतेन्द्र गोठवाल खण्डार विधानसभा सीट से ताल ठोक रहे हैं, तो एक अन्य प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण सिंह बगड़ी झोटवाड़ा विधानसभा सीट से उम्मीद लगाए बैठे हैं, जहां पर अभी कांग्रेस के टिकट पर जीतकर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया जनप्रतिनिधि हैं।
इसी क्रम में पार्टी के प्रदेश महामंत्री जगवीर सिंह छावा नागौर जिले की किसी सीट से दावा कर रहे हैं। प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल भीलवाड़ा सीट से और प्रदेश महामंत्री मोतीलाल मीणा बाड़ी विधानसभा सीट से ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह से प्रदेश मंत्री विजेंद्र पूनियां भी सूरतगढ़ विधानसभा सीट से तैयारी में जुटे हुए हैं। पार्टी के कोषाध्यक्ष पंकज गुप्ता चूरू की सरदार शहर सीट से टिकट मांगने की तैयारी कर रहे हैं।
भाजपा की प्रदेश मंत्री प्रियंका मेघवाल बालान श्रीगंगानगर की अनूपगढ़ विधानसभा सीट से तैयारी कर रही हैं और प्रदेश मंत्री नीलम गुर्जर दौसा विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगने की तैयारी में हैं। इसी तरह से प्रदेश मंत्री कृष्णा कटरा बागीदौरा विधानसभा सीट और प्रदेश मंत्री अनंतराम विश्नोई बाड़मेर की गुड़ामालानी से टिकट मांग रहे हैं, यह सीट अभी सचिन पायलट गुट से आने वाले कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी विधायक हैं।
पार्टी के प्रदेश मंत्री सांवलाराम देवासी भी भीनमाल विधानसभा सीट और प्रदेश मंत्री हीरालाल नागर सांगौद विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं। साथ ही प्रदेश मंत्री महेंद्र कुमावत जैतारण विधानसभा सीट से दावा ठोक रहे हैं, तो प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा भी भरतपुर नगर विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले बीच में भजनलाल ने सांगानेर सीट पर दावेदारी जताने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया।
पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ—साथ कई मोर्चों के अध्यक्ष भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। इनमें भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अंकित गार्ड चेंची विराटनगर विधानसभा और अजमेर की नसीराबाद विधानसभा सीट से भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चंपालाल प्रजापत भी बीकानेर की कोलायत विधानसभा सीट से टिकट मांगने की तैयारी में जुटे हुए हैं। ऐसे ही महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष रक्षा भंडारी भी सिरोही विधानसभा सीट और किसान मोर्चा के अध्यक्ष भागीरथ चौधरी किशनगढ़ विधानसभा सीट से मांग कर रहे हैं, जबकि भागीरथ चौधरी भी अजमेर लोकसभा सीट से सांसद भी हैं।
इसी तरह से हाल ही में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख हमीद खां मेवाती भी भरतपुर की कामां विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे हैं। पार्टी के एससी मोर्चा कैलाश मेघवाल श्रीगंगानगर की पीलीबंगा विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे हैं, जबकि एसटी मोर्चा के प्रदेश प्रमुख नारायण मीणा बस्सी और जमवारामगढ़ सीट से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। इसके अलावा पार्टी की राष्ट्रीय टीम के कई सदस्य राजस्थान से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें सबसे अहम नाम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे का है, जो अभी झालरापाटन से विधायक हैं। वसुंधरा यहां 2003 से लगातार चौथी बार विधायक हैं।
कहने का मतलब यह है कि भले ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पदाधिकारियों को चुनाव नहीं लड़ने की हिदायत दी हो, लेकिन फिर भी इनको उम्मीद है कि चुनाव आने के साथ ही उनको विधानसभा चुनाव लड़ने की छूट के साथ पार्टी का टिकट भी मिल जायेगा। दरअसल, सभी राजनीतिक दल अपने संगठन के पदाधिकारियों को चुनाव नहीं लड़ने की बातें तो खूब करते हैं, लेकिन जब चुनाव का समय आता है तो कई तरह की गलियां निकालकर कुछ लोगों को टिकट दे दिया जाता है। परिणाम यह होता है कि इससे एक एग्जामपल सेट हो जाता है और फिर इसके चलते दूसरे पदाधिकारी भी दावा करने लगते हैं।
पहली बार नहीं है जब भाजपा के पदाधिकारी टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं। इससे पहले 2013 और 2018 में भी पदाधिकारियों को हिदायत दी गई थी, लेकिन बाद में कई को टिकट दे दिया। यही वजह है कि जेपी नड्डा के इनकार के बाद भी प्रदेश के कई पदाधिकारी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनकार करने के बाद भी चुनाव से पहले टिकट देने की कई बार राजनीतिक दलों की मजबूर हो जाती है तो कुछ पदाधिकारी अपने राष्ट्रीय नेताओं का सहारा लेकर टिकट पा लेते हैं। जिसके कारण ही इस बार भी कई पदाधिकारी तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, यह तय नहीं है कि कितनों को टिकट मिलेगा और नहीं मिलने से कितने आखिरी समय में बगावत करेंगे।
भाजपा के आधे से अधिक पदाधिकारी नहीं लड़ पायेंगे चुनाव
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