Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनावी साल है और इस दौरान कई नेता पार्टी बदलने का काम करेंगे। अभी तक के रुझानों से साफ हो रहा है कि आने वाले चुनाव में भाजपा की सरकार बन सकती है। असल में अब तक जितने भी नेताओं ने पार्टी ज्वाइन करने का काम किया है, उनमें से सभी केवल भाजपा को पसंद कर रहे हैं।
सोमवार को भी भाजपा में चार बड़े परिवारों के नेताओं ने एंट्री मारी है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता रहे जगन्नाथ पहाडिया के बेटे ओमप्रकाश पहाडिया सोमवार को दोहपर में बीजेपी ज्वाइन करली। इसी तरह से कांग्रेस की नेत्री रहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के भतीजे विजेन्द्र सिंह के अलावा अलवर से अपने वाले बसपा प्रदेश महासचिव ओमप्रकाश वर्मा और पूर्व आईएएस चंद्रमोहन मीणा भी बीजेपी में शामिल हो गये हैं।
इससे कुछ ही दिनों पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता सुभाष महरिया ने भाजपा में वापस एंट्री मारी है। साल 2014 में उनको टिकट नहीं देने के कारण कांग्रेस में चले गये थे। वह काफी समय से भाजपा में जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी तरह से कठुमर से रालोपा उम्मीदवार रहे नरसी किराड ने भी भाजपा ज्वाइन की थी। सबसे अधिक पूर्व ब्यूरोक्रेट्स भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
आजकल वीआरएस लेने और रिटायरमेंट के बाद ब्यूरोक्रेट्स पार्टियां ज्वाइन करके चुनावी मैदान में उतरने को आतुर हो रहे हैं। वर्तमान में कई पूर्व आईएएस, आईपीएस जनप्रतिनिधि बनकर सियासी दलों में हैं। ऐसे ही चुनाव नजदीक आने के साथ कई नेता बनने की फिराक में कतार लगाए बैठे हैं।
नेताओं की भगदड़ यह बताती है कि सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी बन चुकी है, जिसके कारण सरकार का रिपीट होना कठिन है। वैसे भी सबसे पहले ब्यूरोक्रेसी ही इस बात को भांप जाती है कि किस दल की सरकार बनने जा रही है। ऐसे में पूर्व ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह से भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
दरअसल, इस साल नवंबर—दिसंबर में राज्य के विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। जिनकी तैयारी को लेकर सीएम गहलोत काफी प्रयास कर रहे हैं। महंगाई राहत शिविर और फ्री घोषणाओं के जरिये जनता को लुभाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जबकि सचिन पायलट की चुनौती कांग्रेस के लिए ही चिंता का कारण बनती दिखाई दे रही है।
भाजपा जहां वसुंधरा राजे के बिना लीडरशिप के संकट से गुजर रही है, तो सीएम बनने वाले नेताओं की सूची आधा दर्जन से अधिक पहुंच चुकी है। अध्यक्ष बदलने के बाद लग रहा था कि भाजपा में एकता हो जायेगी, लेकिन राजे अभी भी 'एकला चलो' की नीति पर काम कर रही हैं। डॉ. सतीश पूनियां के हटने के बाद सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन वह असर नहीं छोड़ पा रहे हैं।
इसका फायदा निश्चित रुप से कांग्रेस उठाना चाहेगी, लेकिन कांग्रेस में पायलट गहलोत की जंग ने सबकुछ बिगाड़ रखा है। जब तक पायलट गहलोत एक नहीं होंगे, तब तक पार्टी की सत्ता रिपीट होना काफी कठिन है। दोनों नेता लगातार एक दूसरे पर परोक्ष हमला करने से नहीं चूक रहे हैं।
Post a Comment