राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महिलाओं का पर्दाप्रथा खत्म कर उनको आजादी दिलाने की बात करते हैं, लेकिन ऐसा वो सिर्फ हिंदू महिलाओं के साथ ही करते हैं, जब बात मुस्लिम महिलाओं के बुर्के या हिजाब की आती है, तो चुप हो जाते हैं। जबकि एक शासक या पीएम, सीएम के लिए अपने देश या प्रदेश के सभी धर्मों, जातियों के नागरिक समान होने चाहिये।
दरअसल, एक सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें अशोक गहलोत एक महिला को अपनी योजनाओं का फायदा बताने का काम करते दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो में महिला घूंघट निकालकर खड़ी होती है, लेकिन गहलोत खुद ही उस महिला की चुंदडी सिर पर से पीछे कर कहते हैं, 'घूंघट का जमाना नहीं है अब'.....
अशोक गहलोत के इस वीडियो के नीचे ही दूसरा वीडियो और एडिट कर लगाया गया है। जिसमें बुर्का पहने एक महिला खड़ी है और उससे अशोक गहलोत महंगाई राहत शिविर में लाभार्थी के तौर पर बात कर रहे हैं, लेकिन वह उस महिला को बुर्का हटाने या बर्का प्रथा से आजादी की बात नहीं कहते हैं।
मोदी सरकार बनाने जा रही है भारत का अखंड भारत।
इस वीडियो को लेकर अशोक गहलोत की सोशल मीडिया पर जमकर खिंचाई हो रही है। दरअसल, जब कोई पीएम या सीएम अथवा कोई भी जनप्रतिनिधि इस तरह से अपने नागरिकों के साथ दोहरा बर्ताव करता है, तो लोगों को ऐसी बातें अखरती हैं।
इससे पहले तीन—चार साल पहले भी एक सभा के दौरान गहलोत ने कहा था कि 'घूंघट प्रथा का जमाना नहीं है, घूंघट की प्रथा बंद होनी चाहिये....' हालांकि, वही अशोक गहलोत कभी भी बुर्का या हिजाब प्रथा पर एक शब्द नहीं बोलते हैं। यहां तक की कुछ समय पहले जब दक्षिण भारत में बुर्का—हिजाब को लेकर विवाद हुआ, तब भी गहलोत कभी नहीं बोले। यहां तक की कांग्रेस पार्टी ने इसको निजी मामला बताकर एक तरह से समर्थन ही किया है।
इस तरह से जब एक पीएम या सीएम धर्म, जाति के आधार पर अपने ही नागरिकों के साथ भेदभाव करने लगता है, तब इस सोशल मीडिया के जमाने में वह बचकर नहीं निकल सकता है, उससे जनता जवाब मांगती है। अब हिंदू, जो कि घूंघट प्रथा के पक्ष में हैं, उन्होंने अशोक गहलोत को सोशल मीडिया पर ही ट्रॉल कर दिया है।
इस वीडियो के साथ लोग कमेंट्स कर रहे हैं कि जो गहलोत हिंदू प्रथाओं पर सवाल उठाते हैं, वही सीएम गहलोत बुर्का या हिजाब के उपर क्यों नहीं बोलते हैं, इसी से साबित होता है कि कांग्रेस और उसके नेता हमेशा तुष्टिकरण की नीति पर काम करती है।
Dohari poetical
ReplyDeletePost a Comment