महिला पहलवानों द्वारा पॉक्सो एक्ट और यौन शोषण के आरोपों से घिरे भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को एक तरह से गृहमंत्री अमित शाह ने एक बारगी तो जीवनदान दे दिया है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि वह किसी भी सूरत में बच नहीं पायेगा।
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शनिवार रात को 11 बजे आधी रात को गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर दो घंटे की मीटिंग के बाद बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने फिलहाल के लिये आंदोलन स्थगित कर दिया है। हालांकि, उस वक्त ना तो कोई बयान दिया गया और ना ही मीडिया को भनक लगी, लेकिन रविवार को अचानक खबर निकलकर सामने आई कि मीटिंग हुई है।
खुद पहलवान बजरंग पूनियां ने शनिवार को हरियाणा में आयोजित सर्व समाज की खाप पंचायत में कहा कि दो तीन दिन तक खापें अपना फैसला नहीं सुनाएं, उसके बाद आंदोलन को आगे क्या और किस तरह से बढ़ाया जायेगा, इसका फैसला किया जायेगा।
इसके बाद सोमवार को तीनों पहलवान अपनी अपनी नौकरी पर लौट गये हैं। तीनों इस वक्त रेलवे की नौकरी कर रहे हैं। रेलवे ने तीनों के नौकरी पर लौटने की भी पुष्टि कर दी है।
तीनों के नौकरी पर लौटने के बाद जिस तरह से टीवी मीडिया ने फर्जी खबरें चलाईं, उसके बाद एक बार फिर से टीवी और अखबारों की विश्वसनीयता संकट में आती जा रही है। तमाम खबरों का खुद साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने खण्डन किया है।
जबकि जिस नाबालिग के पॉक्सो एक्ट के वापस लेने का दवा मीडिया ने किया है, वह भी फर्जी खबर निकली है। यानी ना तो आंदोलन वापस हुआ है और ना ही पॉक्सो का एक्ट हटाया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर अमित शाह ने पहलवानों को क्या आश्वासन दिया है, जिसके बाद आंदोलन अभी तक के लिये स्थगित हो गया है? असल बात यह है कि बजरंग पूनिया ने खाप पंचायत में किसी तरह का फैसला लेने से रोक दिया था, उन्होंने कहा था कि अगले आंदोलन की तारीख और समय वो निर्धारित करेंगे, उसके बाद आगे आंदोलन का बड़ा किया जायेगा।
अमित शाह से मीटिंग पर बजरंग पूनियां ने कहा है कि बातचीत हुई है, लेकिन इससे आगे कुछ भी नहीं कहा है। इसका मतलब यह है कि अमित शाह के आश्वासन के बाद ही तीनों पहलवान नौकरी पर वापस लौटे हैं।
दरअसल, नरेंद्र मोदी की सरकार में अमित शाह एक नंबर मंत्री हैं और संकट मोचक भी हैं। इस बार फिर से अमित शाह मोदी के संकट मोचक बने हैं। आंदोलन स्थगित होने का मतलब यह है कि दिल्ली को चारों ओर से घेरने का जो प्लान बनाया जा रहा था, वह टल गया है।
अब अमित शाह के आश्वासन की बात की जाये तो यह बात तो पक्की है कि पहलवानों को पूर्ण न्याय की बात ही कही गई है। क्योंकि यदि पहलवानों का आंदोलन बड़ा होता है तो फिर इससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।
असल बात यह है कि तीनों ही पहलवान भाजपा की विचारधारा से आते हैं, तीनों ही राष्ट्रवादी और हिंदू धर्म के पक्के विश्वास रखने वाले हैं। यही कारण है कि अमित शाह के कहने पर तीनों ने अपना आंदोलन स्थागित करके नौकरी पर लौटने का फैसला किया है।
जो दिल्ली पुलिस जांच कर रही है, उसके मुखिया खुद अमित शाह हैं। इसलिये तीनों पहलवानों को अमित शाह की बात पर भरोसा होना लाजमी है। संभवत: अब अमित शाह बीच का रास्ता निकालकर अपने सांसद को भी बचा लेंगे और पहलवानों की बात मानकर उनके साथ भी न्याय करेंगे।
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