एक जमाना था, तब टीवी पर समाचार सुनाने वाले वाचक, यानी एंकर्स को लोग केवल समाचार सुनने तक सीमित मानते थे, लेकिन जमाना बदला और सोशल मीडिया के सहारे इन एंकर्स ने खुद को टेलीविजन का स्टार बना लिया।
एक समय ऐसा था, जब टीवी एंकर करण थापर का गुजरात सीएम रहते नरेंद्र मोदी के साथ इंटरव्यू बीच में ही खत्म हो गया था, तब इसे थापर की जीत के तौर पर प्रचारित किया गया था, लेकिन वास्तविकता यह थी कि करण थापर को मोदी ने उस वक्त एक तरह से लात मारकर भगा दिया था। तब से मोदी किसी टीवी एंकर को इंटरव्यू नहीं देते हैं, या कहें कि इंटरव्यू देने के योग्य ही नहीं मानते हैं।
जब भी मोदी को साक्षात्कार देना होता है तो दूरदर्शन या एएनाआई के एंकर को चुनते हैं, जो सलीके से बिना किसी एजेंडे के सवाल पूछते हैं, जो किसी दल का एजेंडा लेकर सवालों पर सवाल दागने की गंदी हरकत नहीं करते हैं।
खैर! इन दिनों ऐसे ही दो एंकर्स के बीच विवाद चल रहा है, जो खुद को पत्रकारिता के सुपर स्टार मान बैठे हैं। एक सुधीर चौधरी हैं, जो आजतक के जाने—माने एकंर हैं, तो दूसरे अजीत अंजुम हैं, जिनको दो टीवी चैनल्स के द्वारा नौकरी से निकाला गया, तब यू ट्यूब पर खुद का चैनल शुरू किया था। सुधीर चौधरी कुछ महीनों पहले ही जी न्यूज से आजतक में पहुंचे हैं।
दूसरी ओर अजीत अंजुम को अब कहीं नौकरी नहीं मिल रही है। कारण यह है कि अजीत को जब से नौकरी से निकाला गया है, तब से वह एक एजेंडे के तहत मोदी, भाजपा, संघ के खिलाफ जहर उगलने और दुष्प्रचार करने का काम करते हैं, किसी भी चुनाव से पहले उनको खिलाफ माहोल बनाने का काम करते हैं।
मुझे याद है, जब 2022 के चुनाव में हम यूपी चुनाव की ग्रांउड रिपोर्ट कर रहे थे, तब मैंने एक बार अजीत अंजुम को एजेंडाविहीन पत्रकारिता करने को लेकर चुनौती दी थी, तब उन्होंने उलटा मुझे ही ब्लॉक कर दिया। यानी जिस व्यक्ति की सुनने की क्षमता नहीं, वह भाजपा, संघ, मोदी को रातदिन गरियाने का काम करता है, तब पत्रकारिता का दावा करते अजीत अंजुम को लज्जा क्यों नहीं आती है?
13 महीनों के किसान आंदोलन के सहारे अपने यू ट्यूब चैनल को चमकाने वाले अजीत अंजुम के लिए पहलवान आंदोलन एक और मौका था, जो बीच में ही फैल हो गया। अब, जब कहीं पर कोई चुनाव नहीं है, कोई आंदोलन नहीं है, तब अजीत अंजुम खाली समय को पास करने के लिये सुधीर चौधरी के खिलाफ बोलकर अपना यू ट्यूब चैनल चलाने का काम करते हैं।
यही वजह है कि इन दिनों दोनों एंकर्स के बीच डिजीटल वॉर चल रहा है। एक तरफ जहां अजीत वीडियो बनाकर सुधीर चौधरी को भला बुरा कहते हैं, उनको एजेंडा चलाने वाला एंकर कहते हैं, तो सुधीर चौधरी उनके खिलाफ ट्वीट कर अजीत अंजुम की पोल खोलने और खुद को पाक साफ बताने का प्रयास करते हैं।
दोनों के बीच चल रही इस जंग का दोनों को फायदा बिलकुल वैसे ही है, जैसे आजकल दो यू ट्यूबर एक दूसरे के खिलाफ वीडियो बनाकर अपने व्यूज और सब्सक्राइबर बढ़ाने का काम करते हैं। इस विवाद से जहां अजीत अंजुम को सुधीर चौधरी के विरोधी लोग देखना और सब्सक्राइब करने का काम करते हैं, तो सुधीर चौधरी को भी टीवी पर दर्शक मिल जाते हैं।
आपने देखा होगा, आजकल यू ट्यूब पर कुछ नये खिलाड़ी वीडियो बनाते हैं और प्रचारित करते हैं, लेकिन जब उनके वीडियो नहीं चलते हैं, तब वो किसी को साथी चुनते हैं, उसके खिलाफ बोलने लगते हैं और फिर उनकी दुकान चल निकलती है। यही काम सुधीर चौधरी और अजीत अंजुम कर रहे हैं। इससे किसी दर्शक का कोई भला नहीं होता है।
नफरत कम करने का दावा करने वाले यही एंकर सबसे अधिक नफरत फैलाने का काम करते हैं। क्योंकि असल में इन्होंने पत्रकारिता का अध्ययन किया ही नहीं है, इनको सिर्फ बोलने की कला आती है, इसलिए इनको पत्रकारिता के सिद्धांत भी पता नहीं हैं।
इसलिये यह कहना कतई अनुचित नहीं होगा कि इनके बीच कोई लड़ाई नहीं है। ये दोनों अपने अपने दर्शक बढ़ाने का काम कर रहे हैं और जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं।
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