अमित शाह के बयान पर अशोक गहलोत और राजेंद्र राठौड़ क्यों भिड़े?



राजस्थान में चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक आरोप नई उंचाइयों पर पहुंचने लगे हैं। इसी सिलसिले में देश के गृहमंत्री अमित​ शाह ने उदयपुर में राज्य की सरकार पर तुष्टिकरण करने का आरोप लगाते हुए कन्हैयालाल के हत्यारों को बचाने का आरोप लगाया। अमित शाह ने कहा कि अशोक गहलोत की पुलिस पकड़ना ही नहीं चाहती थी, वो तो एनआईए ने आरोपियों को पकड़ा। इसके बाद अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बयान जारी किया।


जिसमें लिखा कि, 'यह उम्मीद की जाती है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं करेंगे परन्तु आज उदयपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो किया वह एक गैर जिम्मेदाराना कार्य है। अमित शाह द्वारा उदयपुर में झूठ बोला गया कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को NIA ने पकड़ा जबकि सत्य यह है कि इन्हें घटना के महज चार घंटों में राजस्थान पुलिस पकड़ लिया था।' 


'यह दुखद घटना 28 जून 2022 को हुई थी जबकि NIA को इस केस की फाइल 2 जुलाई 2022 को ट्रांसफर हुई। अमित शाह को संभवत: जानकारी में होगा कि ये दोनों हत्यारे भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्हें ये जांच करवानी चाहिए कि इन दोनों के मददगार कौन भाजपा नेता थे जो इनके लिए पुलिस थानों में फोन करते थे। एक ओपन एंड शट केस में चार्जशीट फाइल होने में भी इतना अधिक समय क्यों लगा और इन्हें अब तक सजा क्यों नहीं हुई?'

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अशोक गहलोत के बयान पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, मुख्यमंत्री अशोक गहलेात, विगत वर्ष 2022 में उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को 1 वर्ष बाद भी सजा नहीं मिलने के जिम्मेदार सिर्फ आप हैं। एनआईए ने 22 दिसंबर 2022 को ही सेशन न्यायालय उदयपुर में चार्जशीट पेश कर दी थी। सीआरपीसी की धारा 9 के अनुसार राज्य का यह दायित्व है कि वह आपराधिक मामलों की सुनवाई एवं निपटारे के लिए राज्य में सेशन कोर्ट की स्थापना करेगी। इसी के तहत आपने फास्ट ट्रेक कोर्ट स्थापित कर इस मामले को त्वरित गति से ट्रायल करने का आश्वासन दिया था।' 


'दुर्भाग्य है कि चालान पेश होने के 6 माह पश्चात् भी राज्य सरकार द्वारा फास्ट ट्रेक कोर्ट का गठन नहीं किया गया है जो इस बात का प्रमाण है कि आप जयपुर बम ब्लास्ट केस की भांति ही कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलाने में बिल्कुल भी गंभीर व संवेदनशील नहीं है। इससे बड़े शर्म की बात क्या होगी?' 


'संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत गठित सातवीं अनुसूची की सूची 2 (राज्य सूची) की एंट्री 1 व 2 में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है कि राज्य में कानून व्यवस्था को बनाने का दायित्व राज्य सरकार का है। लेकिन राज्य सरकार इस संवैधानिक दायित्व को निभाने में भी असफल ही साबित हुई है।'


'कोटा में पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठन को हिजाब रैली की अनुमति देने वाले, छबड़ा हिंसा के मुख्य आरोपी आसिफ हसाडी को मुख्यमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी में आमंत्रित करने वाले और जयपुर बम ब्लास्ट में लचर पैरवाई करने के जिम्मेदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, आप कुछ भी अनर्गल टिप्प्णी करके अपनी सरकार की विफलता और लचर कानून व्यवस्था पर पर्दा नहीं डाल सकते हैं।'


'कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को पकड़वाने में दो युवक शक्ति सिंह और प्रहलाद की भी सक्रिय भूमिका रही। आपने दोनों को सुरक्षा देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन आज तक इन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा या संबल नहीं दिया गया। आज दोनों युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।'


दरअसल, अमित शाह ने उदयपुर में आयोजित रैली में कहा था कि कन्हैया लाल को सुरक्षा गहलोत सरकार ने नहीं दी, जब तक वो मर गए, तब तक आपकी पुलिस चुप रही। आप तो आरोपियों को पकड़ना भी नहीं चाहते थे, NIA ने पकड़ा। राजस्थान सरकार स्पेशल कोर्ट नहीं बनाती है, वरना तो अभी तक कन्हैया लाल के दोषियों को फांसी पर लटका चुके होते। इनको शर्म आनी चाहिए, ये वोटबैंक की राजनीति करते हैं।

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