कांग्रेस प्रभारी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया है कि 'सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 90 फीसदी बातों पर सहमति बन चुकी है, केवल 10 प्रतिशत बातों पर विवाद है, जिसको जल्द से जल्द सुझला लिया जायेगा। सचिन पायलट नई पार्टी नहीं बना रहे हैं।'
रंधावा ने जयपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए ये बातें कही हैं। उन्होंने दावा किया है कि दोनों नेता मिलकर चुनाव लड़ेंगे और कांग्रेस की सत्ता रिपीट करवाई जायेगी। पायलट की मांगों के सवाल पर रंधावा ने कहा कि आलाकमान के पास सभी बातें रखी गई थीं, जिनका समाधान वहीं से किया जायेगा।
अब सवाल यह उठता है कि जब 90 फीसदी बातों पर सहमति बन चुकी है, तो फिर पायलट ने टोंक में क्यों कहा कि, 'जब तक तीनों मांगों को माना नहीं जायेगा, तब तक वह पीछे हटने वाले नहीं हैं, युवाओं के साथ किया गया वादा कोई हवा हवाई बातें नहीं थीं, उनको परिणाम तक ले जाया जायेगा।'
दरअसल, पायलट की कोई मांग आलाकमान से है ही नहीं। देखा जाये तो तीन मांग केवल अशोक गहलोत सरकार से हैं। जिनपर काम केवल गहलोत सरकार ही कर सकती है। पायलट खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका कोई कदम कांग्रेस के खिलाफ नहीं है, जो वादे सरकार बनने से पहले गहलोत और उन्होंने किए थे, उनको पूरा करना हमारा कर्तव्य है।
सचिन पायलट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि 11 जून को वह अपनी नई पार्टी की घोषणा कर देंगे। इससे पहले उन्होंने 11 अप्रैल को अनशन किया था और 11 मई को अजमेर आरपीएससी कार्यालय से जयपुर तक पांच दिन की यात्रा शुरू की थी।
मजेदार बात यह है कि पायलट ने 11 जुलाई 2020 को ही गहलोत सरकार से बगावत की थी। यानी 11 नंबर सचिन पायलट के लिए खास बन गया है। इससे भी बड़ी बात यह है कि पायलट बीते चार साल से जिस बंगले में रह रहे हैं, उसका भी नंबर 11 ही है।
इसका मतलब यह है कि भले ही पायलट 11 जून को स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर पार्टी के घोषणा नहीं करें, लेकिन इस दिन बड़े आंदोलन का आगाज किया जा सकता है। इसके ठीक एक महीने बाद 11 जुलाई को पायलट की बगावत के 3 साल पूरे हो रहे हैं, उस दिन तक यदि कांग्रेस ने उनको बाहर कर दिया तो नई पार्टी आस्तित्व में आ सकती है।
सचिन पायलट ने बना ली है अपनी पार्टी, 11 जून को हो सकती है घोषणा!
एक तरफ जहां पायलट ने 11 के अंक को अपने लिए शुभ मान रखा है, तो दूसरी ओर राजनितिक विशलेषकों का मानना है कि सचिन पायलट के लिए 11 नंबर ही अशुभ है। यही वजह है कि 11 अंक के साथ पायलट जो भी काम करते हैं, पूरा होता ही नहीं है।
उल्लेखनीय बात यह है कि जिस 11 नंबर के बंगले में सचिन पायलट वर्तमान में निवास कर रहे हैं, उसी में कभी परसराम मदेरणा रहे थे। साल 1998 को जब यह बात लगभग तय थी कि मदेरणा सीएम बनेंगे, तब कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत की ताजपोशी का आदेश सुना दिया था।
इसके कारण परसराम मदेरणा को चुप बैठना पड़ा, लेकिन अशोक गहलोत ने अपनी चाल चलते हुए परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया और उसके बाद उनको यही 11 नंबर को बंगला अलॉट किया गया था। कहा जाता है कि इसी बंगले में रहते हुए मदेरणा पूरे पांच साल तक मन में सीएम बनने की टीस लिए जीते रहे।
सियासी लोग यह भी चर्चा करते हैं कि इस बार जब सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री बने, तब अशोक गहलोत ने जानबूझकर वही 11 नंबर का बंगला पायलट के लिए अलॉट करवाया। यदि यह बात सही है कि 11 नंबर का बंगला ही अशुभ है, तो यह बात भी माननी होगी कि 11 जुलाई 2020 को पायलट की बगावत, 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन, 11 मई को अजमेर से जयपुर यात्रा के बाद भी इनका कोई परिणाम नहीं आया है।
11 के अंक को ज्योतिष के अनुसार शुभ माना जाता है, किंतु देखा जाए तो सचिन पायलट के लिए यह अंक अभी तक अशुभ ही रहा है। 11 जून 2000 को सचिन के पिता राजेश पायलट दुनिया छोड़कर चले गए थे, जबकि अब तक 11 के अंक वाले दिन पायलट ने जो भी कदम उठाया है, उसमें उनको कोई सफलता नहीं मिली है। फिर भी सचिन पायलट इस 11 के अंक को चुन रहे हैं।
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