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सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की बख्यिां उधेड़ दीं

Ram Gopal Jat
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक तौर पर बखियां उधेड़कर रख दी हैं। पायलट की ओर से अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुये पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार के भ्रष्टाचार की जांच नहीं कराने को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गहलोत के दोहरे चरित्र को उजागर करने का काम किया। सचिन पायलट ने पत्रकारों से बात करते हुये कहा कि गहलोत सरकार ने वसुंधरा सरकार के काले कारनामों की जांच नहीं की और पूर्व सवा चार साल निकाल दिये। अब कुछ ही महीने चुनाव में बचे हैं और फिर से जनता के बीच जाना है तो लोगों को यह नहीं लगना चाहिये कि दोनों ही मिलेजुले हैं। दरअसल, अक्सर यह आरोप लगते रहे हैं कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे आपस में मिले हुये हैं। इसके कई सबूत भी हैं, जैसे गहलोत विपक्ष में होते हैं तो सदन में वसुंधरा सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोलते और जब वसुंधरा विपक्ष में होती हैं तो गहलोत सरकार के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलती हैं।
इसके साथ ही सचिन पायलट ने 50 पेज का एक आरोप पत्र भी दिया है, जिसमें उनके लिखे पत्रों समेत विपक्ष में रहते गहलोत पायलट द्वारा वसुंधरा सरकार के खिलाफ लगाये गये आरोपों की न्यूज कटिंग, ट्वीट्स, समाचार और राष्ट्रपति, कैग, आदि से मिलकर खान घोटाले की जांच की मांग की थी। इसके अलावा पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा गहलोत के वो वीडियो भी दिखाए, जिनमें गहलोत सरकार विपक्ष में रहते या सत्ता में आने के बाद वसुंधरा राजे पर घोटालों के आरोप लगाये थे। सचिन पायलट ने बताया कि उन्होंने अध्यक्ष रहते तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार पर कांग्रेस द्वारा आरोपों की जांच के लिये 2 नवंबर 2022 को अशोक गहलोत को एक पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद उनको जब कोई जवाब नहीं मिला, तब उन्होंने 28 मार्च 2023 को पांच पेज का एक और विस्तृत पत्र लिखकर जांच की मांग की। इसके बाद भी जब गहलोत सरकार ने जांच नहीं की तो फिर पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
वसुंधरा सरकार द्वारा मई 2014 के बाद आवंटित की गई 663 खानों की जांच को लेकर पायलट गहलोत ने तब 42000 करोड़ के घोटाले को आरोप लगाया था। इसके साथ ही शराब घोटाला, बजरी घोटाले के भी आरोप लगाये थे। साथ ही खासा कोठी में से कालीन चोरी करने के भी वसुंधरा पर आरोप लगाये थे। दर्जनों ऐसे मामले हैं, जिनको लेकर विपक्ष में रहते कांग्रेस के नेता वसुंधरा राजे को अब तक की देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया करते थे। किंतु सत्ता में आने के बाद एक भी मामले की जांच नहीं करवाई गई। पायलट ने जोर देकर कहा कि विरोधियों को ऐसा नहीं लगना चाहिये कि दोनों मिले हुये हैं। इसलिये तुरंत प्रभाव से इन सभी आरोपों की जांच करवाई जानी चाहिये। पायलट ने बार बार इस ओर इशारा किया कि लोगों को यह विश्वास होना चाहिये कि कांग्रेस की सरकार वसुंधरा राजे के साथ मिली हुई है।
सवाल यह उठता है कि आखिर सचिन पायलट को अब ही क्यों चेत हुआ? दरअसल, अब चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, जिसके कारण पायलट की मुख्मयंत्री बनने की आस टूटती जा रही है। पायलट अपने आलाकमान को भी इस बारे में अवगत करवा चुके हैं। इसलिये वह चाहते हैं कि या तो इन मामलों की जांच करवाई जाये तो फिर गहलोत को सत्ता से हटाया जाये। दूसरी बात यह है कि पायलट को अब अपने भविष्य को लेकर भी फैसला लेना है। इस वजह से उन्होंने आरपार की लड़ाई शुरू कर दी है। कांग्रेस यदि उनके उपर एक्शन लेती है तो जनता की सिंपेथी उनके साथ होगी और यदि दबाव में आकर गहलोत को हटा देती तो वह बचे हुये समय के लिये सीएम बनकर वसुंधरा सरकार की जांच के आदेश दे देंगे।
इसके अलावा यह भी बातें सामने आ रही हैं कि सचिन पायलट ने अपनी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। यदि यह बात सही है कि अब उनको भाजपा कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलना ही होगा। वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग करके पायलट ने एक तीन से दो शिकार किये हैं। एक तरफ तो उन्होंने गहलोत को आइना दिखाया है, दूसरी तरफ उन्होंने वसुंधरा राजे को भी निशाने पर ले लिया है। इसके लेकर चर्चा यह की जा रही है कि भाजपा की अंदरुनी मंशा के अनुसार पायलट ने वसुंधरा राजे पर लगाये आरोपों को दोहराने के साथ ही गहलोत को भी विफल बता दिया है। चर्चा यह भी है कि सचिन पायलट चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं, इसको लेकर भाजपा से उनकी डील फाइनल हो चुकी है। पायलट कैंप के लोगों को विधानसभा और लोकसभा में टिकट देने और खुद पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की डील जैसी बातें सियासी गलियारों में चल रही हैं।
तब सवाल यह उठता है कि जब पायलट भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो वसुंधरा राजे पर आरोप क्यों ताजा कर रहे हैं? चर्चा यह भी चल रही है कि भाजपा आलाकमान भी चाहता है कि वसुंधरा राजे पर आरोप लगें तो उनको साइड लाइन करने का अवसर मिल सके। इस वजह से भाजपा के इशारे पर पायलट ने वसुंधरा—गहलोत को एक साथ सवालों में लिया है। एक चर्चा यह भी चल रही है कि पायलट ना तो भाजपा में जायेंगे और ना ही कांग्रेस में रहेंगे। दरअसल, पायलट जल्द ही रालोपा ज्वाइन कर सकते हैं। इस वजह से उन्होंने भाजपा—कांग्रेस को एक साथ लपेट लिया है। एक दिन का अनशन इस बात का प्रमाण है कि वह अपनी ताकत भी दिखाना चाहते हैं।
दरअसल, इस अनशन में जो लोग शामिल होंगे, वो सचिन पायलट कैंप के माने जायेंगे और जो शामिल नहीं होंगे वो गहलोत के खास माने जायेंगे। यदि इस मौके पर अधिक लोग पायलट के साथ आये तो गहलोत को हटाने का कांग्रेस आलाकमान के पास एक बहाना होगा और यदि ऐसा नहीं हो सका तो कांग्रेस संगठन भी यह कह सकेगा कि पायलट के साथ कांग्रेस के लोग ही नहीं हैं तो उनको सीएम कैसे बनायें? यह केवल शुरुआत है, इसके बाद और भी जोरदार धमाके होने वाले हैं। राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। राजनीति केवल संभावनाओं का खेल है, जिसमें सबकुछ संभव है। भाजपा में जा सकते हैं, कांग्रेस छोड़कर रालोपा में भी जा सकते हैं।

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