Ram Gopal Jat
कुछ दिनों पहले तक पंजाब में खालिस्तान बनाने का दावा करने वाला अमृतपाल सिंह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिये अब मारा मारा फिर रहा है, उसको कभी मोटरसाइकिल पर भागते देखा जा रहा है तो कभी रिक्शा में भेष बदलकर जाते हुये सीसीटीवी वीडियो दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि अभी तक पंजाब की पुलिस उसको पकड़ नहीं पाई है और उसके सीमापार नेपाल जाने की खबर है। हालांकि, उसके बहुत सारे साथियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इससे खालिस्तानी समर्थकों को समाप्त करने की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। पंजाब, हरियाणा, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और पाकिस्तान के कुछ हिस्से को मिलाकर खालिस्तान देश बनाने का सपना देखने वाले अमृतपाल सिंह के समर्थकों का दुनिया में कितना बड़ा जाल बना हुआ है, इसको ब्रिटिश हाईकमीशन पर प्रदर्शन और कनाड़ा ओस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमलों से समझा जा सकता है।
अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी वाली कार्यवाही शुरू होने के के बाद से ही अमेरिका, ब्रिटेन, कनाड़ा और ओस्ट्रेलिया जैसे देशों में जदरदस्त हलचल मची हुई है। अमृतपाल पर कार्यवाही के बाद पिछले दिनों लंदन स्थिति भारत के उच्चायोग पर लगे तिरंगे को खालिस्तानियों से उतारकर उसकी जगह खालिस्तान का झंडा लगा दिया, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इंडियन हाई कमीशन को सुरक्षा नहीं दी गई थी।
इसके बाद भारत सरकार ने जैसे को तैसा करते हुये जब ब्रिटिश सरकार को आंख दिखाई तो उसके अगले दिन ब्रिटिश सरकार ने भारतीय उच्चायोग को सुरक्षा दे दी है। ऐसा नहीं है कि ब्रिटेन ने भारतीय उच्चायोग को सुरक्षा इतना आसानी दे दी गई है। भारतीय उच्चायोग के भवन पर खालिस्तानी समर्थकों ने तिरंगा हटा दिया था, बाद में सुरक्षा को लेकर भारत की सरकार ने सख्ती दिखाई तो ब्रिटिश सरकार की आंखें खुली। इससे पहले इंग्लिश सरकार ने वहां पर कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं कर रखे थे, जिसके कारण खालिस्तानी आराम से भारतीय हाईकमीशन पर लगे तिरंगे को उतार पाये और वहां पर खालिस्तानी झंडा लगाने में सफल रहे।
इसको लेकर भारत ने पहले सख्त नाराजगी जताई और जब सुरक्षा नहीं दी तो भारत ने भी दिल्ली स्थिति ब्रिटिश हाईकमीशन की तीन लेवर की सुरक्षा हटा दी। सारे बेरीकेट्स हटा दिये और सुरक्षाकमिर्यों को वापस बुला लिया। इसका वीडियो जब खबरों के द्वारा ब्रिटेन पहुंचा, तब उनकी आंखें खुलीं। इसके बाद ब्रिटेन ने भी लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा का इंतजाम किये। ब्रिटिश इंतजाम के बाद इंडियन हाई कमीशन में कर्मचारियों ने पूरी इमारत पर ही तिरंगा लहरा दिया। तीन स्तरीय सुरक्षा के कारण भारत का उच्चायोग अब सुरक्षित है, लेकिन ब्रिटेन को यह पता चल गया है कि भारत सरकार जवाब देने का तैयारी बैठी है। भारत सरकार के करारे जवाब से एक झटके में ब्रिटेन घुटनों पर आ गया, उसको समझ आ गई है कि जो गलती उसने की है, वह भारत बर्दास्त करने को तैयार नहीं है। ब्रिटिश सरकार भी अब खालिस्थानियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। ब्रिटिश संसद में भारत के खिलाफ गतिविधियां करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने का मुद्दा गूंज रहा है।
पहली बार नहीं हुआ है, जब भारत सरकार ने किसी देश के हाई कमीशन की सुरक्षा हटाई है। इससे पूर्व 10 साल पहले वर्ष 2013 में भारत ने दुनिया के सबसे पॉवरफुल देश अमेरिका के दिल्ली स्थिति उच्चायोग की सुरक्षा हटाकर बुल्डोजर तक चला दिया था। दोनों देशों के रिश्तों को लेकर मामला इतना पेचीदा हो गया था कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन चुके तब के गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल से मिलने से मना कर दिया था। भारत के सभी दलों ने एकजुटता दिखाई और सरकर के सख्त कदमों से अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था। मामला यह था कि तब अमेरिका में डॉ. देवयानी खोबरागड़े भारतीय उप महावाणिज्य दूत थीं। उनके उपर अपने घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड को कम वेतन देने और वीजा धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। अमेरिकी नियमों के अनुसार एक घंटे के करीब 9 डॉलर मजदूरी देना जरुरी है, इस हिसाब से देवयानी की नौकरानी संगीता रिचर्ड को महीने में करीब 4500 डॉलर मिलने चाहिये थे, लेकिन देवयानी ने उसको 30000 रुपये महीने के एग्रीमेंट पर रखा था। इसको लेकर शिकायत के बाद अमेरिकी पुलिस ने देवयानी को 12 दिसंबर 2013 को गिरफ्तार कर लिया। देवयानी को सार्वजनिक रुप से अपराधी की तरह हथकड़ी पहनाई गई। इसके बाद भारत में राजनीतिक आग लग गई है। देश के लोग सड़कों पर उतर आये। देवयानी की कपड़े उतारकर तलाशी लेने और गिरफ्तार किये जाने को लेकर अमेरिका के खिलाफ भारत में भारी विरोध हुआ।
अमेरिका ने देवयानी के खिलाफ चल रहे मुकदमे में घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड के परिवार को जान का खतरा बताकर वीजा देकर अमेरिका बुला लिया। इससे भारत की नाराजगी और बढ़ गई। भारत सरकार ने इसको गैर कानूनी बताया और जल्द से जल्द छोड़ने की मांग की। जब भारत सरकार के कहने पर भी अमेरिका ने देवयानी को रिहा नहीं किया, तब भारत सरकार ने दिल्ली स्थिति अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा हटा दी। सुरक्षा हटाने में भारत ने जो रवैया अपनाया, वह उत्तर प्रदेश के बाबा बुल्डोजर, यानी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ जैसा सख्त था।
भारत सरकार ने अपनी नाराजगी के तौर पर अमेरिकी उच्चायोग के सामने बुल्डोजर चला दिये। पहले अस्थाई बेरीकेट्स हटाये गये और स्थाई तौर पर बने हुये कंकरीट के सीमेंटेड बेरीकेट्स पर बुल्डोजर चलाया गया। अमेरिकी हाई कमीशन की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों समेत सभी अवरोधकों को बिलकुल साफ कर दिया गया। ऐसा भारत सरकार ने पहली बार किया था, जब किसी उच्चायोग के सामने सुरक्षा गर्ड्स हटाकर कंकरीट बेरीकेड्स हटाने के लिये बुल्डोजर चलाया था। भारत सरकार की सख्ती से के बाद अमेरिका सकते में आया और उसने देवयानी को रिहा कर दिया। इसके बाद गिरफ्तारी जैसी कार्यवाही से बचाने के लिये भारत सरकार ने तुरंत प्रमोशन करके देवयानी को यूएन का महावाणिज्य दूत बनाकर अमेरिका को करारा जवाब दिया। हालांकि, उसके बाद भी अमेरिका ने भारत को दबाव में लेने के लिये अपनी ताकत दिखाने का फिर भी पूरा प्रयास किया।
उसने देवयानी को अमेरिका छोड़ने का आदेश जारी किया। जबकि अमेरिकी आदेश से पहले ही देवयानी अमेरिका छोड़ चुकी थीं। मामला इसके बाद भी खत्म नहीं हुआ। अमेरिका ने भारत के कहने पर भी केस खारिज नहीं किया तो भारत सरकार ने ना केवल देवयानी को प्रमोट किया, बल्कि यूएन में स्थाई दूत बनाकर फिर से अमेरिका में ही तैयान करने की तैयारी की। इससे अमेरिका को समझ में आ गया था कि उसने भारत को हल्का आंकने बड़ी गलती की है। भारत के दबाव बनाने के बाद अमेरिका ने ना केवल केस को खारिज किया, बल्कि भारत से बिना शर्त के माफी भी मांगी।
ऐसा भी नहीं है कि देवयानी की तरह भारत के नागरिकों के साथ अमेरिका में पहली बार ऐसा किया था। इससे पहले शाहरुख खान की एयरपोर्ट पर पूरे कपड़े उताकर तलाशी ली थी। जांच के नाम पर योगगुरू बाबा रामेदव के भी कपड़े उतारे गये थे। सबसे बड़ी बात यह है कि अटल बिहारी वाजयेयी सरकार में रक्षामंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडीस के भी कपड़े उतारकर तलाशी ली गई थी। हालांकि, इन मामलों में भारत में इतनी कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी थी और ना ही भारत के राजनीतिक दल कभी देवयानी की तरह एकजुट हुये थे। देवयानी के मामले में भारत के सभी सियासी दलों ने जो एकजुटता दिखाई थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भारत के आगे झुकना पडा और माफी भी मांगनी पड़ी।
अमृतपाल के समर्थन में जिन देशों में खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया, उन देशों की सरकारों ने भारतीय उच्चायोग के भवनों और कर्मचारियों को पूर्ण सुरक्षा दी है। भारत सरकार ने अमेरिका, कनाड़ा, ब्रिटेन, ओस्ट्रलिया जैसे देशों को सख्त हिदायत दी है कि यदि उनके अधिकारियों, कर्मचारियों और नागरिकों को सुरक्षा नहीं दी जायेगी तो वह भी इस तरह का बर्ताव उनके अधिकारियों के साथ करेगा। यानी भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि जैसा ये देश भारत और भारत के नागरिकों के साथ बर्ताव करेंगे, वैसा ही भारत भी करेगा। ब्रिटेन ने खालिस्तान समर्थकों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है। ऐसा ही ओस्ट्रेलिया भी करने जा रहा है। भारत सरकार ने सभी देशों को इसके लिये संपर्क कर लिया है। विदेश मंत्रालय पूरी तरह से एक्शन मोड में है, जिसके कारण आने वाले दिनों में खालिस्तान समर्थकों को दुनियाभर में परेशानियां होने वाली हैं।
भारत ने चला दिया था अमेरिकी हाईकमीशन पर बुल्डोजर
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