Ram Gopal Jat
सूरत की एक अदालत द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को संसद सदस्यता खत्म कर दी। यदि उपरी अदालत ने भी राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखा तो वह अगले 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। हालांकि, यह राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और कांग्रेस ने कहा कि इसको अदालत और राजनीतिक तौर पर लड़ा जायेगा। राहुल गांधी के मामले में देशभर की कांग्रेस एक हो चुकी है। सभी जगह पर प्रदर्शन हो रहे हैं और इसको राजनीतिक लाभ का मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बीते चार दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी जनप्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त हुई है और सियासत में उफान आया है। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी पहले व्यक्ति हैं, जिनकी सदस्यता समाप्त की गई है। एक जमाने में कोर्ट ने प्रधानमंत्री रहते हुये इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता ख्त्म कर दी थी। कांग्रेस इस वक्त राहुल गांधी की इंदिरा गांधी से तुलना कर रही है। लिखा जा रहा है कि जैसे 1980 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनकर ही दुबारा संसद गई थीं, उसी तरह से 2024 में राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनकर संसद जायेंगे। यह दावा तो अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इस मामले ने इंदिरा गांधी प्रकरण और आपातकाल को जरूर याद दिला दिया है।
दरअसल, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सदस्यता भी इलाहबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी, तब उन्हें 1980 में दुबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। 12 जून 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनावों में धांधली का दोषी पाया और उनका चुनाव रद्द कर दिया था। इंदिरा गांधी को 1971 के रायबरेली चुनावों में इंदिरा गांधी को जबरदस्त जीत मिली थी। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को भारी अंतर से हराया था।
राजनारायण ना केवल लगातार अपनी जीत के दावे कर रहे थे, बल्कि उन्होंने चुनाव परिणाम आने से पहले ही अपना विजय जुलूस भी निकाल दिया था। जब परिणाम घोषित हुआ तो राजनारायण हार चुके थे। नतीजों के बाद राजनारायण शांत नहीं बैठे, वो अदालत गए, वहां उन्होंने करीब सात ऐसे मामलों की सूची अदालत को सौंपी, जिसके जरिए उन्होंने दावा किया कि इंदिरा गांधी ने चुनावों में धांधली की और चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरुपयोग किया, जिसकी वजह से उनका चुनाव निरस्त कर दिया जाए।
24 जून 1975 को जस्टिस अय्यर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले पर स्थगन आदेश तो दे दिया, लेकिन ये पूर्ण नहीं आंशिक स्थगन आदेश था। जस्टिस अय्यर ने फ़ैसला दिया था कि इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग तो ले सकती हैं, लेकिन वोट नहीं कर सकतीं। यानी सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के मुताबिक इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता चालू रह सकती थी। विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर अपने हमले तेज़ कर दिए। इसके बाद जिस तरह के हालात पैदा होने लगे, उसमें इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया गया, जो करीब ढाई साल तक जारी रहा। इस दौरान क्या क्या हुआ, वो पूरे देश को याद है।
राहुल गांधी की जिस कानून के तहत सदस्यता समाप्त हुई है, उसी कानून के द्वज्ञरा लालू यादव, जयललिता, आजम खान जैसे 10 लोगों की लोकसभा या विधानसभा सदस्यता समाप्त हो चुकी है। हालांकि, इनमें से किसी के भी मामले में राजनीतिक तौर पर इतना हंगामा नहीं हुआ। जनप्रतिनिधि कानून 1952 की धारा 8 के 4 में किसी भी जनप्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त होने का प्रावधान नहीं था, लेकिन साल 2012 में लिलि थॉमस नामक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसपर सुनवाई करते हुये उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि दो या दो से अधिक साल की सजा होने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त हो जायेगी। साल 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार कानून में संशोधन करने के लिये अध्यादेश लाया गया था, जिसको राहुल गांधी ने सार्वजनिक रुप से फाड़कर फैंक दिया था। राहुल गांधी ने अध्यादेश को निपट बेवकूफी करार देते हुये टुकड़े टुकड़े कर दिये थे।
राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने के बाद सरकार ने कदम पीछे खींच लिये थे। इसके उपरांत सबसे पहले सितंबर 2013 में बिहार के सारन से सांसद लालू यादव को चारा घोटाले में सजा होने पर उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। तब कांग्रेस की यूपीए सरकार ही केंद्र की सत्ता में थी। उसके एक साल बाद सितंबर 20014 में एआईडीएमके विधायक और कर्नाटक की पूर्व सीएम जयललिता को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सजा होने पर उनकी विधायकी चली गई। इसी तरह से फरवरी 2020 में में भाजपा के विधायक कुलदीप सेंगर को रेप के मामले में सजा होने पर उनकी विधायकी समाप्त हो गई थी।
जून 2021 में हरियाणा के कालका विधायक प्रदीप चौधरी को भी जानलेवा हमला करने के मामले में सजा होने पर विधायकी से हाथ धोना पड़ा था। जूलाई 2022 को आरजेडी विधायक अनंत सिंह पर अवैध हथियार रखने के प्रकरण में सजा होने पर विधायकी समाप्त हो गई थी। अक्टूबर 2022 में ही बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी को दंगों के आरोप में सजा के बाद विधायकी से हाथ धोना पड़ा था।
अक्टूबर 2022 में ही आजेडी विधायक अनिल कुमार साहनी को फ्रोड मामले में सजा होने पर विधायक पद चला गया था। अक्टूबर 2022 में ही समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को हेट स्पीच मामले में सजा होने पर विधायक पद से हटा दिया गया था। जनवरी 2023 में पीपी मोहम्मद फैजल को हत्या का दोषी पाये जाने के बाद लोकसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है।
फरवरी 2023 में ही समाजवादी विधायक और आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को सीआरपीएफ के कैंप पर हमला करने के मामले में सजा होने पर एमएलए पद खोना पड़ा था। अब हेट स्पीच के मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा होने पर उनकी भी लोकसभा सदस्यता खत्म की गई है।
राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से आक्रामक मूड में आ गई है। राजनीतिक जानकारों मानना है कि कांग्रेस इसको एक आंदोलन का रुप दे सकती है और अपने नेता के अपमान से जोड़कर देश से साहनूभूति प्राप्त करने का प्रयास कर सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इसके बाद भी राहुल गांधी की मुश्किलें कम हो जायेंगी। राहुल गांधी पर इसके अलावा भी 6 और केस चल रहे हैं, जिनमें फैसला आना बाकी है।
गुजरात के ही अहमदाबाद से भाजपा के एक निगम पार्षद कृष्णवंदन ब्रह्मभट्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मई 2019 में एक अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। ब्रह्मभट्ट ने याचिका में कहा है कि राहुल गांधी ने जबलपुर में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह को हत्या का आरोपी बताया था। ब्रह्मभट्ट का कहना था कि 2015 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह को बाइज्जत बरी कर दिया गया है। अब मानहानि के केस की सुनवाई एक मजिस्ट्रेट अदालत में होने वाली है।
इसी तरह से राहुल गांधी और सीताराम येचुरी के खिलाफ महाराष्ट्र के आरएसएस कार्यकर्ता और वकील धृतिमान जोशी ने फरवरी 2019 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। जोशी ने याचिका में कहा था कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने बयान दिया था कि कोई आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, तो उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है, उसपर हमले कराए जाते हैं, यहां तक की उसे जान से भी मार दिया जाता है। सीताराम येचुरी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि गौरी लंकेश दक्षिणपंथी राजनीति की तीखी आलोचना के लिए जानी जाती थीं। लंकेश की हत्या के पीछे आरएसएस की विचारधारा और आरएसएस के लोग हैं। उसी साल नवंबर में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पीआई ने राहुल गांधी और सीताराम येचुरी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने केस खारिज करने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।
23 जून 2018 के एक ट्वीट के आधार पर राहुल गांधी पर एक मामला दर्ज किया गया था। ट्वीट में ये कहा था कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक अमित शाह को बधाई, पुराने नोटों को नई दौड़ में बदलने में आपके बैंक को प्रथम पुरस्कार मिला, 750 रुपये। पांच दिनों में करोड़! लाखों भारतीय जिनके जीवन को आपने नष्ट कर दिया, नोटबंदी आपकी इस उपलब्धि को सलाम करती है। अमित शाह ज्यादा खा गया। राहुल गांधी के वकील अजीत जडेजा ने कहा है कि इस मामले में अभी पूछताछ जारी है। केस की अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।
राहुल गांधी पर दिसंबर 2015 में असम में आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। स्वयंसेवक ने कहा था कि उन्हें असम के बरपेटा सतरा में जाने से यह कह कर रोक दिया गया था कि वो आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उसी दौरान स्वयंसेवक संघ के सदस्य ने असम की स्थानीय अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल गांधी के वकील अंशुमन बोरा के मुताबिक यह मामला अभी भी स्थानीय अदालत में चल रहा है।
अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले राहुल गांधी पर नवंबर 2018 में महाराष्ट्र भाजपा नेता महेश श्रीमल ने कमांडर-इन-चोर वाले बयान को लेकर मानहानि का केस दर्ज करवाया था। कुछ दिनों की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। महेश श्रीमल का ये कहना है कि राहुल गांधी ने बॉम्बे हाईकोर्ट से संपर्क किया था और शिकायत को रद्द करने की मांग भी की थी। इस मामले की सुनवाई भी अभी शुरू नहीं हुई है।
राहुल गांधी ने 6 मार्च 2014 में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ बताया था। उन्होंने न्यूज ऐजेंंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा था कि आरएसएस के लोगों नें गांधीजी को मारा था और वो आज गांधीजी की बात करते हैं। इस मामले में आरएसएस की भिवंडी इकाई के आरएसएस सचिव राजेश कुंटे ने राहुल गांधी के खिलाफ 2018 में मानहानि का केस दर्ज करवाया था। राजेश कुंटे ने कहा कि कांग्रेस नेता ने संघ की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान पर सवाल उठाया है। इस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।
इसका मतलब यह है कि यदि राहुल गांधी को सूरत की अदालत से मिली सजा में उपरी अदालत द्वारा राहत मिल जाती है, तो भी आगे अदालती कार्यवारियों का सामना करना पड़ेगा। अब सबकी नजरें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उपर टिकी हुई हैं कि राहुल गांधी की सदस्यता बरकार रखी जायेगी या समाप्त रखने के फैसले को रखा जायेगा। राहुल गांधी के मामले को भी कांग्रेस इंदिरा गांधी की तरह ही पेश करने का प्रयास कर रही है।
राहुल गांधी से पहले 10 सांसद—विधायकों को मिल चुकी है ऐसी सजा
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