Ram Gopal jat
पिछले दिनो दो घटनाएं हुई हैं। पहली तो कांग्रेस के नेता राहुल गाधी ने अपनी यात्रा समापन के अवसर पर भारत के एनएसए अजीत डोभाल को लेकर कश्मीर में टिप्पणी करके खुद के पैंरों पर कुल्हाडी मारी है। जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि अजीत डोभाल पर अग्निवीर योजना सेना पर थोपने का आरोप लगाया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की जोरदार खिंचाई हुई, तो कांग्रेस इस मसले पर चुप हो गई।
असल बात यह है कि अजीत डोभाल की युवाओं में जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के इतिहास को लेकर भारत के युवा किसी तरह का विरोधाभाष नहीं रखते हैं। देश के यूथ का मानना है कि जो व्यक्ति देश के लिये 7 सात तक पाकिस्तान में रहकर जासूसी कर सकता है, उसके उपर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। किंतु शायद सत्ता से बाहर बैठे राहुल गांधी के सलाहकार आज 9 साल बाद भी देश का मूड नहीं भांप पा रहे हैं।
दूसरी घटना कोर्ट में घटी है, जहां पर भारत के विदेश मंत्री सुब्रम्ण्यम जयशंकर की पत्नी को लेकर टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच एक तरीके से ठनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को समलैंगिक एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र ने स्वीकार नहीं किया। केंद्र सरकार ने एडवोकेट सौरभ कृपाल के समलैंगिक विदेशी पार्टनर का हवाला दिया और कहा कि इससे पारदर्शिता और देश की संप्रभुता पर खतरा हो सकता है।
इसके बाद भारत के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस तर्क का अजीब ढंग से जवाब दिया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने इस पर तीखी टिप्पणी की थी और उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की पत्नी के जापानी मूल का होने का मुद्दा उठाया था।
देश के सबसे विवादित विवि JNU से पढ़े विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की पहली पत्नी शोभा से यूनिवर्सिटी में ही मुलाकात हुई थी। दोनों के बीच नजदीकी बढ़ी और फिर दोनों ने शादी कर ली। हालांकि, विदेश मंत्री जयशंकर की पहली पत्नी शोभा का कैंसर के चलते कुछ बरसों बाद ही निधन हो गया था। उसके उपरांत एस. जयशंकर साल 1996 में जापान में डिप्टी चीफ ऑफ मिशन के रूप में नियुक्त हुए और साल 2000 तक वहां रहे। जापान में नियुक्ति के दौरान ही उनकी मुलाकात क्योको सोमेकावा से हुई। कुछ मुलाकातों के बाद दोनों करीब आए और फिर जयशंकर ने जापानी लड़की क्योको सोमेकावा से शादी कर ली। एक दिलचस्प बात यह भी है कि एस जयशंकर और क्योको, दोनों का जन्मदिन एक ही दिन 9 जनवरी को आता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर से शादी के बाद क्योको सोमेकावा से क्योको जयशंकर बन गईं और फिर उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया। दोनों के तीन बच्चे ध्रुव, अर्जुन और बेटी मेधा हैं। दरअसल, एस. जयशंकर की पत्नी क्योको जयशंकर बहुत लो प्रोफाइल रहती हैं और लाइमलाइट में आने से बचती हैं। किंतु जिस तरह से राहुल गांधी द्वारा अजीत डोभाल की टिप्पणी से युवाओं में रोष दिखा, तो जयशंकर के मामले में भी यूथ ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुये उनकी पत्नी पर टिप्पणी करने वाले जज दीपक गुप्ता को खरी खोटी सुनाई है।
हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, रूसी, जापानी और हंगेरियन जैसी 6 भाषाओं के जानकार डॉ. एस जयशंकर ने इंटरनेशनल रिलेशंस में पीएचडी और एमफिल की डिग्री हासिल किये हुये हैं। केवल 24 साल की उम्र में आईएफएस बनने वाले जयशंकर की रशियन और सेंट्रल एशियन पॉलिटिक्स पर बहुत अच्छी पकड़ मानी जाती है। खासकर, रूस और अमेरिका में उनका बहुत अच्छा नेटवर्क माना जाता है। यही वजह है कि एक साल से जारी रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिकी—यूरोपीयन दबाव को दरकिनार कर भारत की विदेश नीति को तीखी करने वाले विदेश मंत्री जयशंकर की ना केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में प्रसंशा हो रही है।
एस. जयशंकर के पिता के. सुब्रमण्यम भी नीतिगत मसलों के बेहद जानकार थे और उन्हें ‘फादर ऑफ इंडियन स्ट्रेटेजिक थॉट्स’ भी कहा जाता है। जबकि जयशंकर की मां संगीत की जानकार रही हैं, और संगीत में ही पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। डॉ. एस जयशंकर के भाई संजय सुब्रमण्यम नामी इतिहासकार हैं।
मोदी की दूसरी सरकार के समय जब एक पूर्व आईएफएस डॉ. सुब्रम्ण्यम जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया गया था, तब बहुत से लोगों ने मोदी के इस फैसले पर सवाल उठाये थे। लोगों ने यहां तक कहा था कि मोदी अपने समकक्ष नेताओं को कमजोर करने का काम कर रहे हैं, लेकिन जब कोरोना शुरू हुआ, तब विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर ने अपनी कूटनीतिक चालों से दुनिया को हत्प्रभ किया, तब लोगों ने पहली बार नोटिस किया कि मोदी ने जयशंकर को विदेश मंत्रालय क्यों सौंपा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने तब ना केवल भारत के लोगों को वापस लाने का काम बखूबी किया, बल्कि जो वापस नहीं लाये जा सकते थे, उन देशों की सरकार को भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और खाने—पीने का ध्यान रखने का भी काम किया।
दूसरा मौका आया 24 फरवरी 2022 को, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। उस वक्त भारत के करीब 20 हजार नागरिक यूक्रेन में फंस गये थे। यूक्रेन के लाखों लोग देश छोड़कर भाग रहे थे, तब जयशंकर ने एक बार फिर अपनी कूटनीति का इस्तेमाल किया और रूस को अपने नागरिक वापस लाने तक युद्ध रोकने के लिये तैयार किया। इन 20 हजार में से अधिकांश स्टूडेंट्स थे, जिनके परिवार भारत सरकार से अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगा रहे थे। तब भारत के विदेश मंत्री की हैसियत से जयशंकर ने रूस को मनाया और अपने सभी नागरिक सुरक्षित वापस निकाले।
रूस और यू्क्रेन के बीच आज भी युद्ध जारी है, तो इस दौरान भारत ने अमेरिका व यूरोप के दबाव को धत्ता बताते हुये रूस से ना केवल सस्ता कच्चा तेल आयात जारी रखा, बल्कि उसको कई गुणा बढाकर 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन कर दिया। इसके साथ ही भारत ने रूस से रक्षा उपकरण, उर्वरक, कोयला जैसे उत्पादों का आयात भी बढ़ाया है। आज रूस की अर्थव्यव्था का सबसे बड़ा आधार भारत और चीन बने हुये हैं, जो उससे बड़े पैमाने पर आयात कर रहे हैं।
क्योंकि रणनीतिक तौर पर विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिका और रूस, दोनों को बहुत अच्छे से जानते हैं, इसलिये जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और अमेरिका ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुये भारत पर दबाव बनाने का प्रयास किया। साथ ही यूरोप ने भी भारत को प्रेशर में लेने की कोशिश की, किंतु अमेरिका की खूबियां और कमजोरियां विदेश मंत्री जयशंकर अच्छे से जानते थे। यही वजह रही कि अमेरिका जैसी महाशक्ति की तमाम धमकियों को गीदड़ भभकी साबित करते हुये रूस के साथ कारोबार बढ़ाया और देश के लिये कम पैसे में अधिक फायदा उठाया है।
भारत की नरेंद्र मोदी सरकार में एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर को सबसे बड़े रणनीतिकार और कुटनीतिज्ञ माना जाता है। इन्होंने रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान साबित किया है। इनकी की युवाओं में जबरदस्त पकड़ है और देश के बढ़ते रुतबे में इन का बहुत बड़ा रोल है। इस वजह से जब भी कांग्रेस या अन्य राहुल गांधी जैसा कोई नेता इनपर हमला बोलता है, तो युवा वर्ग आगे आकर उनको सोशल मीडिया पर करारा जवाब देता है।
जयशंकर—डोभाल पर हमला तो युवाओं ने दिया करारा जवाब
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