Ram Gopal Jat
कोरोना शुरू होने के बाद भारत सरकार ने अपने 80 करोड़ नागरिकों को निशुल्क अनाज देना शुरू किया था। दो साल से अधिक का समय हो चुका है और योजना अब भी एक साल तक बढ़ा दी गई है। परिवार के सदस्यों के हिसाब से पांच किलो गेंहू और चावल दिये जा रहे हैं। सरकार का मानना है कि कोरोना के कारण देश के 80 करोड़ वो लोग प्रभावित हुये हैं, जो या तो गरीब हैं या मध्यवर्ग से आते हैं और रोजमर्रा की कमाई से जीवनयापन करते हैं। सरकार ने पहले इस योजना को 6 महीने किया था, बाद में एक साल बढ़ाया और फिर से एक साल बढ़ा दिया गया है। माना जा रहा है कि मई 2024 तक इस योजना को बंद नहीं किया जायेगा।
सवाल यह उठता है कि भारत सरकार इतना निशुल्क अनाज दे कहां से रही है? इस सवाल का जवाब जानेंगे, लेकिन उससे पहले आप ये भी जान लीजिये कि भारत सरकार ने पिछले साल विश्व के उन देशों को भी अनाज देना शुरू किया था, जो गरीब हैं और उनके पास खाने पीने की चीजों के लिये जरुरी पैसे नहीं हैं। जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया, तब दुनियाभर में अनाज संकट उत्पन्न हो गया था, क्योंकि रूस और यूक्रेन गेंहू के बहुत बड़े निर्यातक देश हैं। दोनों का निर्यात बंद होने के कारण दुनिया में अनाज संकट उत्पन्न होने लगा, तब भारत आगे आया और गरीब देशों को अनाज देना शुरू किया। इनमें अफगानिस्तान जैसे देश भी हैं, जिसको पाकिस्तानी के रास्ते गेंहू भेजा गया, लेकिन अफगानिस्तान के गेंहू को पाकिस्तान बीच में ही खाने लगा, तब भारत ने दुबई के रास्ते अफगानिस्तान को गेंहू भेजना शुरू किया।
दरअसल, पाकिस्तान में हालात इतने खराब हैं कि लोग दो वक्त की रोटी के लिये भी तरस रहे हैं। पाकिस्तान में 10 किलो आटा 3000 रुपयों में मिल रहा है, जबकि पाकिस्तान का रुपया डॉलर के मुकाबले पौने तीन सौ पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान को सबसे अधिक सप्लाई कराची पोर्ट से होती है और यहां पर 6 हजार से अधिक कंटेनर अनलोड नहीं हो पा रहे हैं। कारोबारियों को देने के लिये बैंकों के पास डॉलर नहीं है और इसके चलते उनका माल खराब हो रहा है और जनता खाने की चीजों के लिये तरस रही है।
पाकिस्तान में हालात इतने बदतर हैं कि महंगाई दर रिकॉर्ड 30% पर है। अनाज नहीं होने के कारण आटा जैसी जरूरी चीजों का संकट है। इस बीच, पाकिस्तानी कारोबारियों, उद्योगपतियों और चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों ने शहबाज सरकार से आग्रह किया है कि वो भारत के साथ कारोबार बहाल करे, यही वक्त का तकाजा भी है।
इन संगठनों के तमाम सदस्यों का कहना है कि देश में दूर—दराज के क्षेत्रों में गरीबों का पेट भरना है, तो भारत से गेहूं मंगाना चाहिए। पाकिस्तान के राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर इस समय भारत से रिश्ते अच्छे नहीं है, पर फिर भी इनको लगता है कि भारत के गेहूं से संकट से उबरने में मदद मिलेगी।
इस्लामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के कार्यवाहक अध्यक्ष फहाद हुसैन ने कहा है कि पाकिस्तान का गेहूं उत्पादन विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुआ है। ऐसे में भारत सहित पड़ोसी देशों से गेहूं आयात करके इस संकट से निपट सकते हैं। फहाद ने कहा कि देश में आम आदमी की कमाई इतनी नहीं है कि वह आटा जैसी बुनियादी चीज भी 300 रुपये किलो के भाव से खरीद सके।
फहाद ने कहा है कि हमने इस्लामाबाद के स्तर पर तो संकट दूर कर लिया है, लेकिन सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे दूर-दराज के प्रांतों में आटे का संकट कायम है। इसलिये ऐसे बुरे वक्त में पड़ोस से मदद लेने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। रूस या अन्य देशों की बजाय भारत से गेहूं मंगवाना बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि भारतीय गेहूं का स्वाद पाकिस्तान जैसा ही है। दोनों की सीमाएं जुड़ी होने से बहुत कम खर्च में आयात हो सकेगा। पाकिस्तान सरकार भारत से कारोबारी नीति की समीक्षा तुरंत करे।
दरअसल, पाकिस्तान इतिहास के सबसे बड़े खाद्य संकट का सामना कर रहा है। पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में 10 किलो आटा 3000 पाकिस्तानी रुपए में बिक रहा है। आटे की कमी के चलते हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। लोग गेहूं की बोरियों के लिए सड़क पर लड़ रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ अमजिद हुसैन का कहना है कि भारत से अनाज निर्यात करने में कोई नुकसान नहीं होगा। भारत सरकार ने केवल निजी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन सरकार से सरकार का सौदा जारी है। बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव जैसे कई देशों को भारत से गेहूं मिल ही रहा है। चीन के साथ भारत के ताल्लुकात अच्छे नहीं है, फिर भी व्यापार हो रहा है। यह बात सही है कि भारत के साथ पाकिस्तान के रणनीतिक संबंध सही नहीं है, लेकिन कारोबार को इससे दूर रखना चाहिये, जैसे चीन और भारत ने रखे हुये है।
हुसैन का कहना है कि पाकिस्तान में जमाखोरी बहुत बड़ी समस्या बन गई है, इसलिये गेहूं नियमन भी होना चाहिए। निजी क्षेत्र से 37 लाख टन और सार्वजनिक क्षेत्र से सरकार 98 लाख टन तक गेहूं खरीदे। आज के हालात में 25 लाख टन गेहूं मंगाना होगा। ऐसे में भारत सबसे बेहतर रहेगा। ऐसा नहीं होता तो देश में संकट विकराल होगा और जनता जल्द ही सरकार के खिलाफ बिगुल बजा देगी, जिससे निपटना सेना के बस में भी नहीं रहेगा, उपर से तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान भी सिर उठा रहा है, जिससे कैसे निपटा जायेगा।
दरअसल, गेहूं का संकट इमरान खान की पीटीआई सरकार के कार्यकाल के दौरान शुरू हो गया था, जब बिचौलियों और जमाखोरों ने कीमतों को बढ़ाने के लिए इसे स्टॉक कर लिया था। अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर तस्करी से गेहूं बाजार से गायब हो गया था। उस वक्त अफगानिस्तान भेजे जाने वाले भारत के गेंहू तक को जमाखोरों ने हड़प लिया था।
इधर, भारत सरकार ने लगातार अपने लोगों को तो निशुल्क अनाज खिला ही रही है, साथ यूएन को कहा है कि जिन देशों के पास अनाज संकट है, उनको भारत अनाज मुफ्त में दे सकता है। पाकिस्तान के लोगों को मानना है कि जब से भारत ने अपना विचार बदला है, तभी से पाकिस्तान के हालात खराब हो गये हैं। भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनोमी ही नहीं है, बल्कि रूस, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान, इस्राइल, ओस्ट्रेलिया, सउदी अरब जैसे मजबूत देशों के सबसे करीब है। इस वजह से पाकिस्तान को लोन नहीं मिल रहा है। भारत की आज जी20 से लेकर जी7 और क्वाड में मजबूत पकड़ है। भारत के लिये चीन ही एकमात्र संकट है, जो भी सहज ही भारत को परेशान नहीं कर सकता है।
लाचारी का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत से हम तीन जंग लड़ चुके, लेकिन मिला कुछ भी नहीं, उल्टा बंग्लादेश गंवा दिया। इसलिये अब समय आ गया है कि भारत के साथ टैबल पर बैठकर बात की जाये। हालांकि, विरोध के बाद वह अपने बयान से बदल गये थे। दो दिन पहले उन्होंने फिर से अपनी लाचारी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि हमें दुनिया में कोई भी देश कर्जा देने को तैयार नहीं है। आईएमएफ की टीम पाकिस्तान में है, उससे बात चल रही है, लेकिन उसकी शर्तों ने पाकिस्तान की हवा खराब कर दी है। शरीफ ने कहा कि यदि हम आईएमएफ की शर्तों को मानेंगे तो पक्का ही देश गृहयुद्ध में चला जायेगा।
दरअसल, आईएमएफ ने कहा है बिजली, गैस, पेट्रोल,डीजल जैसी चीजों के दाम 30 से 50 प्रतिशत तक बढ़ाये जायें और उसको पॉलिटिकल गांरटी भी दी जाये, मतलब कल को यदि शाहबाज शरीफ की सरकार सत्ता से बाहर हो जाती है, तो आने वाली सरकार इन बातों से पीछे नहीं हटेगी। देखा जाये तो पाकिस्तान की इस हाल की नींव तो इमरान खान ने ही रखी थी, लेकिन संकट आने से पहले ही उनको सत्ता से बाहर कर दिया गया और परिणाम शाहबाज सरकार को भुगतने पड़ रहे हैं। अब इमरान खान के पास यही मौका है, जब वह यह साबित करने में जुटे हैं कि यह सरकार बैकार है और चुनाव के वक्त उनकी पार्टी पीटीआई को फिर सत्ता में लाने के लिये वोट किया जाये।
भारत की बात की जाये तो वह पाकिस्तान को बर्बाद करने के लिये ही काम कर रहा है, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को आंतकवाद खत्म करने के लिये कई बरसों तक गुहार लगाई, लेकिन वह अपनी शैतानी हरकतों से बाज नहीं आया। उसने अपने विकास के बजाये भारत की बर्बादी के लिये समय लगा दिया। प्राकृतिक दृष्टि से देखा जो तो पाकिस्तान किसी भी सूरत में भारत से कमजोर नहीं है। लेकिन आजादी के बाद भारत ने जहां अपने विकास में समय और धन खर्च किया तो पाकिस्तान इसी में लगा रहा कि भारत के टुकड़े कैसे किये जायें।
पाकिस्तान की इन हरकतों को भारत ने 7 दशक तक कई बार अनदेखा किया, लेकिन जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पाकिस्तान को आखिरी मौका दिया और जब वह नहीं समझा तो भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक कर कमर तोड़कर दुनिया को दिखा दिया कि भारत कुछ भी करने में सक्षम है। इसके बाद कश्मीर से धारा 370 समाप्त कर अपने इरादे साफ कर दिये, जिससे पाकिस्तान बोखला गया और भारत से कारोबार समाप्त कर दिया। इसका परिणाम आज पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।
भले ही पाकिस्तान को आईएमएफ तीसरी किश्त दे दे, लेकिन फिर भी उसको सस्ता अनाज लेने के लिये भारत के पास ही आना होगा। उसके भारत से ही गुहार लगानी होगी कि उसके नागरिक भूखे मर रहे हैं, इसलिये रहम करे और उनको गेंहू दे, ताकि देश को बचाया जा सके। भारत सरकार फिलहाल पाकिस्तान के मामले में बोलने से पूरी तरह से बच रही है। शायद इस बात का इंतजार कर रही है कि पाकिस्तान खुद आगे बढ़कर अनाज के लिये गुहार लगायेगा, तब उससे अपनी शर्तों पर बात की जायेगी।
भारत से गेंहू की भीख मांगने लगा पाकिस्तान
Siyasi Bharat
0
Post a Comment