Ram Goapl Jat
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 तारीख को राजस्थान की यात्रा पर हैं। पीएम मोदी भीलवाड़ा के आंसिद स्थित मालोसेरी डूंगरी पर भगवान देवनारायण के 1111वें प्रकटोत्सव पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री का बीते चार महीनों में यह तीसरा राजस्थान दौरा है। पहला दौरा गुजरात चुनाव से ठीक पहले हुआ था। हालांकि, यह दौरा कुछ ही पल में खत्म हो गया था, क्योंकि जब प्रधानमंत्री आबू रोड पर देर रात पहुंच थे और नियमों का हवाला देकर भरी सभा को संबोधित किये बिना दंडवत प्रमाण करके ही लौट गये थे। इसके बाद एक नवंबर को मानगढ़ धाम पहुंचे थे। अब तीसरा अवसर है, जब मोदी राजस्थान पहुंच रहे हैं।
आसिंद में भगवान देवनारायण मंदिर का कोरिडॉर बनाये जाने की चर्चा तो खूब हो रही है, जिसको लेकर भाजपा के नेता भी कह रहे हैं, लेकिन इसकी घोषणा मोदी को ही करनी है। इस कॉरिडॉर को लेकर मैंने एक वीडियो पहले भी बनाया था, जिसमें आप पूरी डिटेल देख सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि मोदी इस तरह से राजस्थान में यात्राएं क्यों कर रहे हैं।
दरअसल, इस साल के अंत में राजस्थान समेत 9 राज्यों के विधानसभा के चुनाव हैं। मोदी के अलावा राजस्थान में भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी दौरे कर रहे हैं। अमित शाह भी डेढ साल में तीन बार दौरे कर चुके हैं, वह मार्च में भी जयपुर में बड़ी सभा कर सकते हैं। इसके अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी उदयपुर और जोधपुर में दौरा कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री भुपेंद्र यादव और ओम माथुर भी खासे सक्रिय हैं, जबकि पार्टी अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां प्रदेश में ताबड़तोड़ यात्राएं करके संगठन को मजबूत करने का काम रहे हैं।
लेकिन इस समय सबसे अधिक प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर चर्चा चल रही है। जिसके केंद्र में अचानक से सचिन पालयट भी आ गये हैं। सियासी गलियारों में सचिन पायलट की पिछले दिनों हुई किसान सभाओं की चर्चा तो चल रही रही है, उनके आक्रामक रवैये के कारण भी खूब बातें हो रही हैं। कुछ लोग तो यहां तक दावा कर हैं कि सचिन पायलट चुनाव से पहले अपनी पार्टी बना लेंगे, लेकिन मोदी के इस कार्यक्रम के बाद लोगों की चर्चा का विषय भी बदल गया है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मोदी की इस यात्रा के दौरान ही सचिन पायलट भाजपा में शामिल होकर बड़ा धमाका कर सकते हैं।
हालांकि, इसकी संभावना पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन इतना जरूर है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस सभा से राजस्थान के गुर्जर समाज को बड़ा संदेश दिया जायेगा। राजस्थान में 12 जिलों और 40 विधानसभा सीटों पर गुर्जर समाज का निर्णायक वोटबैंक है, जिसको भाजपा की तरफ मोड़ने का काम जायेगा। देश में गुर्जर समाज के लिये आसिंद का भगवान देवनारायण मंदिर सबसे बड़ा धाम है, जहां पर पूरे देशभर से गुर्जर समाज के लोग दर्शन करने आते हैं। राज्य में गुर्जर समाज की आबादी लगभग 7 फीसदी बताई जाती है, जो चुनाव जिताने हराने के हिसाब से बड़ी संख्या है।
पिछले चुनाव की बात की जाये तो सचिन पायलट के पीसीसी चीफ रहते हुये गुर्जर समाज ने कांग्रेस को वोट दिया था, लेकिन पार्टी ने सचिन पायलट के साथ धोखा किया। मुख्यमंत्री बनाना था पायलट को, और बना दिया था गहलोत को। इसके कारण गुर्जर समाज काफी गुस्से में है। माना जा रहा है कि समाज के इसी गुस्से को साधने के लिये पीएम मोदी की सभा देवनारायण धाम पर रखी गई है। इसको लेकर तैयारियां भी जोरों पर की जा रही हैं। प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के गुर्जर समाज के लोगों को भी न्योता भेजा गया है। प्रदेशभर में पीले चावल बंटवाये गये हैं। इससे पता चलता है कि मोदी की इस सभा को लेकर भाजपा किस स्तर पर तैयारियां कर रही है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या सचिन पायलट भाजपा में शामिल होंगे? क्या भाजपा उनको इस वक्त शामिल करके कांग्रेस को फायदा उठाने का अवसर देगी? क्या सचिन पायलट अलग पार्टी बनायेंगे? और क्या सचिन पायलट और किरोड़ीलाल मीणा हनुमान बेनीवाल की पार्टी में शामिल होकर भाजपा—कांग्रेस को हराने की तैयारी कर रहे हैं? इन्हीं सवालों पर बात करेंगे। सबसे पहले तो यह समझना होगा कि सचिन पायलट का कांग्रेस में अब क्या भविष्य है? पायलट बीते चार साल से मुख्यमंत्री बनने के तमाम प्रयास कर चुके हैं, लेकिन अशोक गहलोत की चतुराई के आगे उनकी एक नहीं चली है। पायलट ने गहलोत को हटाने के लिये जुलाई 2020 में बगावत भी की थी। इसके बाद आलाकमान पर प्रेशर डालकर गहलोत को भी सितंबर 2022 में बगावत पर उतार चुके हैं, लेकिन उनकी पार नहीं पड़ रही है। इसके कारण अब वह खुद ही मैदान में उतर गये हैं।
पायलट की पिछली 6 यात्राओं पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि जितने आरोप केंद्र सरकार पर लगा रहे हैं, उससे अधिक अपनी ही पार्टी की सरकार पर लगा रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक बड़े नेता द्वारा अपनी सरकार को घेरने का काम किया जा रहा है। इस भूमिका में सचिन पायलट अकेले नहीं हैं, बल्कि खुद गहलोत सरकार के मंत्री हेमाराम चौधरी और राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी अपनी सरकार को कोस रहे हैं। गुढ़ा ने तो पिछले दिनों सभा में यहां तक कह दिया था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाकर कांग्रेस ने जो अन्याय किया है, इसका परिणाम उसे अगले चुनाव में भुगतना होगा। जबकि हेमाराम चौधरी पश्चिमी राजस्थान के बड़े नेता माने जाते हैं। वह नेता प्रतिपक्ष के पद से लेकर कई बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं और वर्तमान सरकार में सबसे अनुभवी नेता हैं।
लेकिन सचिन पायलट ऐसे जनाधार वाले नेता हैं, जिनको यूं ही खर्च कर देना कांग्रेस के लिये बहुत बड़ा नुकसान है। अपने साथ न्याय नहीं होने को लेकर यदि सचिन पायलट ने पार्टी छोड़ दी, तो कांग्रेस पार्टी के लिये इससे बड़ा झटका नहीं होगा। लोगों का मानना है कि यदि इस कार्यकाल में ही उनका सीएम नहीं बनाया गया तो चुनाव से पहले वह पार्टी दोड़ देंगे। दूसरी संभावना यह है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं, जिसको लेकर अशोक गहलोत गुट कई बार आरोप लगा चुका है। राज्य में तीन साल पहले हुये राज्यसभा चुनाव से लेकर पायलट की बगावत और उसके बाद कई बार गहलोत खेमा कह चुका है कि सचिन पायलट भाजपा के हाथों की कठपूतली हैं।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भीलवाड़ा में होने वाली सभा के दौरान गुर्जर समाज के कार्यक्रम के वक्त सचिन पायलट के एक बार फिर से भाजपा में शामिल होने की संभावना वक्त की जा रही है। अब यदि इसी समय पायलट ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली तो यह तय है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। इसके साथ ही एक संभावना जो हनुमान बेनीवाल, किरोडीलाल मीणा और सचिन पायलट के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की है, वह भी धूमिल जा जायेगी। इससे भी भाजपा को ही फायदा होगा। यदि पायलट को भाजपा में अभी शामिल होना होगा तो यह अवसर सबसे अच्छा माना जा रहा है, क्योंकि यह कार्यक्रम गुर्जर समाज है और पायलट के पक्ष में दोहरा लाभ हो सकता है।
हालांकि, राजनीति के जानकार इसकी संभावना सबसे कम मानते हैं, क्योंकि अभी चुनाव में 10 महीनों का समय बाकी है और अभी चुनाव प्रचार में उफान आना बाकी है, जिसको चुनाव नजदीक होने पर ही उठाया जा सकेगा। वैसे भी अभी तक पायलट समर्थकों को लगता है कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ न्याय करेगी, जिसका वो चार साल से इंतजार कर रहे हैं। और यदि इस वक्त वह पार्टी छोड़ देते हैं तो कांग्रेस वालों को यह कहने का अवसर मिल जायेगा कि पार्टी उनको मुख्यमंत्री बनाने जा रही थी, लेकिन वह पहले ही पार्टी छोड़ गये, जो उनके सीएम बनने की एक संभावना पर फुल स्टॉप लगा देगा।
एक संभावना यह भी है कि सचिन पायलट चुनाव तक इंतजार करेंगे और जब कांग्रेस उनके साथ न्याय नहीं करेगी, तो वह अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतर जायेंगे। यह संभावना दूसरे नंबर पर बन रही है। इसका कारण यह है कि राजस्थान में अभी तक तीसरा विकल्प इतना मजबूत नहीं है कि भाजपा कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा जा सके। हालांकि, हनुमान बेनीवाल का प्रयास जारी है, लेकिन वह फिर भी पूरे राजस्थान के हिसाब से इतने फैमस नहीं हैं, जितने सचिन पायलट माने जाते हैं।
इसलिये तीसरे विकल्प के रुप में सचिन पायलट अलग दल बनाकर अगले चुनाव में उतर सकते हैं। किंतु यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस उनको लेकर क्या फैसला लेती है। क्योंकि अभी तक भी यह माना जा रहा है कि बजट सत्र के बाद अशोक गहलोत को हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जायेगा, ताकि सत्ता रिपीट कराई जा सके। पायलट चाहे जो भी करें, लेकिन इतना पक्का है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भीलवाड़ा में भगवान देवनारायण धाम पर जो सभा करने जा रहे हैं, उससे कांग्रेस से गुस्से में बैठा गुर्जर समाज और अधिक नाराज होगा, जिससे उसको राजनीतिक रूप से बड़ा नुकसान होने वाला है।
नरेंद्र मोदी करेंगे सचिन पायलट को भाजपा में शामिल?
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