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पीएम मोदी कैसे बने आधुनिक भारत के सबसे बड़े मंदिर निर्माता शासक?

Ram Gopal Jat
अपने करीब दो सौ साल के शासनकाल में मुगल आक्रांताओं ने भारत के सैंकड़ों मंदिर तोड़े थे। गुजरात में समुद्र किनारे स्थित सोमनाथ मंदिर को तो 17 बार लूटा गया था, लेकिन वह आज फिर से उठ खड़ा हुआ है और दुनिया को अपनी भव्यता से आकर्षित कर रहा है। ऐसे ही 540 साल बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर अपनी चमक बिखेर रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी और केदारनाथ से आबू धाबी तक जाने कितने मंदिरों को तोड़कर उनकी जगह मस्जिदें बनाई गई थीं, लेकिन अब पुराने मंदिर फिर से अपनी चमक बिखरने के लिये उठ खड़े हुये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन में कहा था 'इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का एहसास करा देते हैं।' यही वजह है कि हजारों बरसों से भारत पर विदेशी आक्रमण होने के बाद भी आज पूरी दुनिया में एकमात्र अनोखा भारत खड़ा हुआ है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद आठ बरसों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कई मंदिरों का रेनोवेशन निर्माण किया गया, जो विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ दिये गये थे। इसी कड़ी में मंगलवार को उन्होंने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल लोक का उद्घाटन किया। यह सबसे बड़ा कॉरिडोर है। मोदी ने पीएम बनने के बाद ऐसे ही 9 बड़े मंदिरों को रिनोवेशन करवाया है, जो सैंकड़ों बरसों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे थे। इनके अलावा और भी कई मंदिर हैं, जिनका काम युद्ध स्तर पर जारी है। केंद्र सरकार ने उन सभी मंदिरों को फिर से पुनर्जिवित करने का बीड़ा उठाया है, जो मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़ दिये गये थे। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को रात एक भव्य कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के उज्जेन में श्रीमहाकाल लोक का लोकापर्ण किया है। साल 2017 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस कॉरिडोर का 856 करोड़ की लागत से रिनोवेशन किया गया है। यह कॉरिडोर 946 मीटर लंबा है, जिसमें पैदल चलने के बाद महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचा जाता है। इस मंदिर को साल 1234 में इल्तुतमिश नामक मुस्लिम आक्रांता ने नष्ट कर दिया था। लेकिन सिंधिया राजवंश के संस्थापक महाराजा राणोजी सिंधिया ने 1734 ईस्वी में पुनर्निर्माण करवाया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2021 में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का भी उद्घाटन किया था। मार्च 2019 में मोदी ने ही 700 करोड़ की लागत से विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की आधारशिला रखी थी। इस कॉरिडोर के तहत विश्वनाथ मंदिर से गंगाघाट तक 5 लाख वर्गफीट में कॉरिडोर बनाया गया है। इस मंदिर को 1669 में मुगल आक्रांता औरंगजेब ने धवस्त करवा दिया था। लेकिन 1780 में इंदौर की मराठा शासक अहिलया बाई होल्कर ने मंदिर को दोबारा बनाया था। यह मंदिर काफी समय से जीर्णशीर्ण अवस्था में था, जहां पर दर्शन करने के लिये भी भक्तों का जाना मुश्किल हो जाता था। वाराणसी सदियों से भारत के अध्यात्म और ज्ञान का केंद्र रहा है।
नरेंद्र मोदी करीब 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने कई जगह पर रिनावेशन का कार्य करवाया और पयर्टकों के लिये भव्य स्थानों का डवलेपमेंट करवाया। दुनिया में सबसे अधिक बार लूटे गये सोमनाथ मंदिर पर मोदी के गुजरात का मुख्मयंत्री रहते हुये आतंकियों ने भी हमला किया था। उससे पहले महमूद गजनी से लेकर औरंजेब तक 17 बार आक्रमण कर अथाह सोना लूटा गया और मंदिर को बार बार तोड़ा गया। कहा जाता है​ पूरा मंदिर ही सोने का बना था, जिसको लूटने के बाद गधों पर लदकर अफगानिस्तान ले जाया गया था। सोने की दीवारों और ईंटों को ले जाने के लिये मंदिर को बार बार तोड़ा जाता था। प्रधानमंत्री ने अगस्त 2021 में देश में तीन मुख्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें सोमनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण का भी काम था। आज इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग दर्शनों के लिये आते हैं, जबकि पर्यटन की दृष्टि से यह मंदिर दुनियाभर में काफी मशहूर है। मोदी ने इस मंदिर परिसर में पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास किया, दर्शन पथ और एग्जीबिशन सेंटर का भी लोकापर्ण किया गया। इस उद्घाटन समारोह में मोदी ने कहा कि आंतक का शासन हमेशा नहीं रहता है, हमेशा रहने वाली चीज शांति ही है।
1980 के दशक में भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिये रथ यात्रा निकाली, जिसमें नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। आडवाणी की यात्रा सोमनाथ से अयोध्या तक चली, जिसके बाद राम मंदिर निर्माण का आंदोलन पूरे देश में फैल गया। इसी आंदोलन का नतीजा था कि 12 साल बाद 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को धवस्त कर दिया गया। दावा किया जाता है कि बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1525 में अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर उसकी जगह बाबरी मस्जिद बनावाई थी। साल 2019 में 540 साल की लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर बनाने की अनुमति दे दी और कहा कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद थी, वहां पर पहले राम मंदिर था, इसलिये पूरी जमीन राम मंदिर के लिये दे दी गई। नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तभी सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की नियमित सुनवाई शुरू की और पांच साल में फैसला आया। अगस्त 2020 में नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया। कहा जाता है कि मंदिर का पहला चरण 2024 के आम चुनाव से पहले पुरा कर लिया जायेगा। मंदिर परिसर का पूर्ण निर्माण होने के बाद यह भारत का सबसे भव्य मंदिर होगा। 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर आंदोलन से ही पूरे देश में फैल गई थी।
इसी तरह से कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद मंदिरों के पुनर्निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। यहां पर 31 साल बाद फरवरी 2021 में शतलानाथ का मंदिर फिर से खोला गया है। घाटी में हिंदूओं के 1842 मंदिर हैं, जिनमें से 212 मंदिर धारा 370 हटाये जाने के बाद पुन: शुरू हो चुके हैं। उससे पहले 1990 के वक्त आतंकवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गये थे, तभी से सभी मंदिर बंद पड़े थे, या उनको तोड़कर मस्जिदें बना दी गई थींं इस क्षेत्र में श्रीनगर का रघुनाथ मंदिर, अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरी मंदिर, श्रीनगर का ही पांद्रेशन मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वमी और अवंतिस्वरा मंदिर प्रमुख हैं। इनमें से कई मंदिरों का पुनर्निर्माण कार्य जारी है।
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में स्थिति है, जिसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पसंदीदा अध्यात्मिक स्थल कहा जाता है। मोदी अक्सर कहते भी हैं कि राजनीति में आने से पहले उनका पसंदीदा धाम केदारनाथ मंदिर हुआ करता था। केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने केदारनाथ मंदिर का रिनोवेशन प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत इशानेश्वर मंदिर आस्था चौक में ओंकार की प्रतिमा, आदिगुरू शंकराचार्य की समाधि,​ शिव उघान और वासुकी ताल का निर्माण किया गया है। उससे पहले 2013 में आई भयानकर प्राकृतिक विपदा में मंदिर परिसर का बड़ा हिस्सा बह गया था। हालांकि, मुख्य मंदिर सदियों से यूं ही सीना तानकर खड़ा है। इसी साल के शुरुआत में मोदी ने केदारनाथ मंदिर रिनोवेशन का उद्घानट किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार धाम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को जोड़ने ​के लिये प्रोजेक्ट शुरू किये हैं। इसके तहत सभी मौसम में इस्तेमाल होने वाली ओल वैदर रोड का निर्माण किया जा रहा है। जिसके साथ ही ऋषिकेश से कर्ण प्रयाग तक रेल लाइन का काम जारी है। ये रेल लिंक 2025 तक शुरू हो जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2016 में इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी, जिसकी अनुमानित लागत​ 12 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी।
ऐसा नहीं है कि मोदी ने पीएम बनने के बाद केवल भारत के ही मंदिरों का रिनोवशन या निर्माण करवाया है, बल्कि विदेशों में भी हिंदू मंदिर बन रहे हैं। साल 2019 में मोदी ने बहरीन में 200 साल पुराने मंदिर रनेावेशन के लिये मल्टी मिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। बहरीन के मनामा स्थित श्रीनाथजी के मंदिर का निर्माण जब पूरा हो जायेगा, तब यह तीन मंजिल उंचा होगा। इसी तरह से साल 2018 में मोदी ने आबू धाबी में भी पहले हिंदू मंदिर की नींव रखी है। संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान इस मंदिर के लिये जमीन आवंटित की थी। मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गये बड़े मंदिरों में राम मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का कृष्ण मंदिर और इसी तरह से मथुरा का केशवदेव मंदिर, गुजरात का रुद्र महालय मंदिर, अहमदाबाद में भद्रकाली मंदिर और विदिशा का विजयदेव मंदिर प्रमुख हैं। माना जा रहा है कि मथुरा के कृष्ण मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उसपर भी फैसला आने के बाद वहां पर भी ज्ञानवापी मस्जिद की जगह फिर से भव्य कृष्ण मंदिर बनाया जायेगा।
वैसे तो जब नरेंद्र मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, उसके कुछ ही समय बाद गोधरा कांड हुआ और फिर पूरा गुजरात साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलस गया था। तब कई विदेशी संगठनों, एनजीओ और यहां तक की यूपीए की कांग्रेस सरकार ने भी मोदी को मुस्लिम विरोधी करार दिया था। हालांकि, तमाम तरह की जांच में मोदी पाक साफ पाये गये हैं, लेकिन तभी से मोदी की हिंदू ब्रांड छवि बन गई थी। आज मोदी सरकार मंदिर तो रिनोवेट करवा ही रही है, साथ विकास के कई ऐसे काम हो रहे हैं, जो अब से पहले कल्पना से भी परे थे। किंतु मोदी सरकार द्वारा मंदिरों के पुर्ननिर्माण से भी भाजपा को बड़ा फायदा हो रहा है। यूं तो भाजपा हमेशा से ही हिंदू समर्थक पार्टी कही जाती है, लेकिन कुछ समाजशा​स्त्रियों की मानें तो पिछले आठ साल से मोदी की छवि मंदिर निर्माता और हिंदू आस्था के राजदूत की तरह बनाई जा रही है।
इससे ऐसा लगता है कि भाजपा ने देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज की नब्ज को पकड़ लिया है। कुछ राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के ऐसे प्रयास लोगों के सेंटीमेंट को छूते हैं, जिसका बड़ा राजनीतिक फायदा होता है। बीजेपी वाले नेता हमेशा से दावा करते रहे हैं कि मंदिर उनकी आस्था का विषय है, ना कि राजनीति का। जिस तरह से मोदी सरकार तरकरीबन हर बड़े मंदिर का पुर्ननिर्माण कर रही है, उसे ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में देश के सभी तोड़े गये मंदिरों को खड़ा किया जायेगा।

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