Ram Gopal Jat
गुजरात में चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रदेश के अलावा उससे लगते हुये राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस के राजस्थान से कई नेता गुजरात में प्रचार के लिये दमखम लगा रहे हैं, तो राजस्थान भाजपा ने भी प्रचार के लिये अपने सभी सीनियर नेताओं को जिम्मेदारी दी है। भाजपा 27 साल से सत्ता में है, लेकिन वह किसी भी सूरत में सत्ता को छोड़ना नहीं चाहेगी। वहीं कांग्रेस अपना सूखा मिटाने की कोशिशों में लगी है। कांग्रेस ने नये अध्यक्ष को जिम्मेदारी दी है, जो बड़े बदलाव के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, हालांकि इससे कांग्रेस को फायदा होने के बजाये नुकसान ज्यादा होता दिखाई दे रहा है।
गुजरात में चुनाव की तारीखों को ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है। इसलिये ऐसे समय में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम गुजरात के बजाये राजस्थान में आयोजित होने का मतलब यही है कि एक नवंबर से पहले गुजरात चुनाव के तारीख घोषित कर दी जायेगी। आचार संहिता से बचने के लिये भाजपा ने प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बांसवाड़ के मानगढ़ धाम पर रखा है। दरअसल, मानगढ़ धाम राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत पूरे देश के आदिवासी समुदाय के लिये एक तीर्थ स्थल के रुप में जाना जाता है। यहां से जो संदेश जायेगा, उसका असर पूरे देश में होना तय है। कुछ समय पहले भाजपा ने आदिवासी समुदाय से आने वालीं द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर राजनीतिक बढ़त बना रखी है। मुर्मू के चुनाव के समय भी भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने यहां पर पैदाल यात्रा कर आदिवासी समुदाय के साथ टेलीविजन पर राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण कार्यक्रम देखा था। अब इसी धाम से प्रधानमंत्री गुजरात के आदिवासी समुदाय को बड़ा संदेश देने का प्रयास करेंगे।
प्रधानमंत्री यहीं से पूरे देश के आदिवासी समाज को मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर आदिवासी होने पर गर्व करने का संदेश देना चाहते हैं। पिछले दिनों सभी राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ बैठक में इस धाम की यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने अहम बैठक ली थी। उससे पहले प्रधानमंत्री ने माउंट आबू की आम सभा में रात दस बजे बाद पहुंचने के लिये नियमों को देखते हुये माफी मांगकर जनता से दंण्डवत प्रणाम करके जल्द ही वापस आने का वादा किया था, जो अब मानगढ़ धाम कार्यक्रम के जरिये पूरा किया जायेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। इस सभा में राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से करीब 1 लाख आदिवासी समाज के लोग इस सभा में पहुंचेंगे। मोदी तीनों राज्यों की 99 आदिवासी सीटों को जनसभा और सम्मेलन से साधेंगे। इन 99 सीटों में से राजस्थान विधानसभा में 25, गुजरात विधानसभा में 27, मध्य प्रदेश विधानसभा में 47 सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं। भाजपा गुजरात में आदिवासी समुदाय पर पकड़ कमजोर रखती है, अधिकांश सीटों पर भाजपा नहीं जीत पाती है, जबकि दक्षिण राजस्थान की आदिवासी सीटों पर भी इस वक्त भाजपा काफी पीछे है, जिसके कारण प्रधानमंत्री का यह दौरा काफी अहम होने वाला है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में तीनों भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और BJP प्रदेशाध्यक्षों को आमंत्रित किया है। राजस्थान के मुख्मयंत्री अशोक गहलोत, गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल, मध्य प्रदेश CM शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। अशोक गहलोत को छोड़कर सभी के शामिल होने की सहमति मिल चुकी है। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत अपने आलाकमान से अनुमति लेकर ही प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कोई निर्णय ले सकते हैं। वैसे भी कार्यक्रम सरकारी से ज्यादा राजनीतिक हो चुका है, ऐसे में गहलोत शायद ही इसमें शामिल हों।
प्रधानमंत्री के अलावा केंद्र से केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और राजस्थान से केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी कार्यक्रम में रहेंगे। साथ ही केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी भी शामिल होंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी मानगढ़ धाम के स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की घोषणा करेंगे। प्रधानमंत्री द्वारा इस जगह और आदिवासियों के विकास के लिए कई घोषणाएं की जाएंगी। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और पार्टी संगठन के कई सीनियर नेता तैयारियों का जायजा लेने मानगढ़ जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिये जाने की उम्मीद के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सियासी फायदा उठाने की कोशिश करते हुये मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग कर दी है। इसके साथ ही अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को इसके लिए पत्र लिखा है। आदिवासी समुदाय की यह मांग पूरी होने के बाद भाजपा को गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में बड़ा फायदा मिलने वाला है।
दरअसल, ब्रिटिश राज में मानगढ़ धाम पर आदिवासी भील समाज के 1500 लोगों का गोलियों से भूनकर सामूहिक नरसंहार किया गया था। उनपर आजादी का आंदोलन चलाने का आरोप लगाया गया था। यहां तक कि यज्ञ और पूजा-अनुष्ठान से रोकने की कोशिश की गई थी। तभी से यहां पर आदिवासी समुदाय द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है। पिछली भाजपा सरकार के द्वारा यहां पर पैनोरमा और समृति स्थल पर उस दृश्य को उकेरा गया है। भाजपा की पूर्व सरकार ने यहां पर विकास का कार्य करवाया था, जिसको राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर भाजपा एक बड़ा धार्मिक स्थल बनाने का काम कर रही है। तत्कालीन बीजेपी सरकार ने बांसवाड़ा में गुरु गोविंद आदिवासी विवि का भी निर्माण करवाया है। प्रधानमंत्री मोदी के राजस्थान के मानगढ़ धाम में इस दौरे से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी को वोट बैंक का फायदा होने की उम्मीद है। गुजरात चुनाव नजदीक होने के कारण भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा।
हालांकि, यह एक राजनीतिक कार्यक्रम नजर आ रहा है, लेकिन इसके पीछे भाजपा का ही नहीं, बल्कि आरएसएस का भी मकसद छिपा हुआ है। इस क्षेत्र में ईसाई मिश्नरियों द्वारा धर्मान्तरण का काम खूब किया जाता है। आदिवासियों को छोटे छोटे लालच देकर ईसाई बनाने का काम युद्ध स्तर पर जारी हें संघ इस क्षेत्र में आदिवायों का धर्म परिवर्तन कराने वाली ईसाई मिश्नरियों से बचाव करने का काम करता है। संघ की एक शाखा को वनवासी कल्याण परिषद के नाम से जाना जाता है, जो आदिवासियों के कल्याण के लिये इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धर्मान्तरण रोकने और इनके कल्याण के लिये बड़े स्तर पर काम करती है।
संघ ने पूरे दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहूल जिलों में अपना कार्यक्रम चला रखा है। इस धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिलने के बाद आदिवासियों में गर्व का भाव उत्पन्न होगा, जिसके लिये संघ लगातार कई बरसों से काम कर रहा है। वैसे भी भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में आसानी से जीत हासिल नहीं होती, इस क्षेत्र में भी भाजपा को जीतने में बहुत ताकत लगानी पड़ती है। इसलिये मानगढ़ धाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्मारक दर्जा देकर एक साथ कई उद्देश्यों को पूरा कर लेंगे। इस साल दिसंबर में गुजरात विधानसभा का चुनाव है और अगले साल इन्हीं दिनों मध्य प्रदेश, राजस्थान में चुनाव होंगे, जिसको देखते हुये यह कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण हो गया है।
भले ही प्रधानमंत्री आदिवासियों को स्मारक बनाने का लुभाने का काम कर रही हो, लेकिन जब तक आदिवासी समुदाय पूरी तरह से शिक्षित नहीं होगा, तब तक इस धाम की जानकारी के अभाव में आदिवासियों को अपने पुरखों के बलिदान का पूरा ज्ञान नहीं होगा। जब तक ज्ञान नहीं होगा, तब तक गर्व का भाव उत्पन्न करना कठिन है। इसलिये संघ यहां पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये भी काम करता है। चार राज्यों की सीमाओं से लगते इस क्षेत्र में भारतीय ट्राइबल पार्टी और आदिवासी पार्टी भी पांव पसार रही है, जिसके नेता खुद को और आदिवासी समुदाय को हिंदू होने से इनकार करते हैं। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बीटीपी को इस क्षेत्र के लिये नक्सली दल तक कह चुके हैं, जो आदिवासियों को भटकाने और बरगलाने का काम करती है।
नरेंद्र मोदी की नजर 4 राज्यों की 99 सीटों पर क्यों है?
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