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क्या मोदी सरकार के हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के वादे की हवा निकल गई है?

Ram Kishan Gurjar
अब आप खुद सोचिए कि 135 करोड़ वाले भारत में केंद्र सरकार की महज 40 लाख नौकरी का क्या मतलब है? इसमें से भी तकरीबन 9 लाख पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। तो सरकार क्या चाहती है? सरकारी राग यह है कि सरकार का काम नौकरी देना नहीं है। सरकार के समर्थक भी इस गलत राग को अलापते हैं। कभी सरकार से यह नहीं पूछते कि सरकार किस आधार पर कहती है कि सरकार का काम नौकरी देना नहीं है। अगर सरकार का काम नौकरी देना नहीं है तो क्या प्राइवेट क्षेत्र से नौकरी मिल पा रही है? प्राइवेट क्षेत्र से मिलने वाली नौकरी और सरकारी नौकरी में जमीन आसमान का अंतर क्यों होता है? एक प्राइवेट मास्टर और सरकारी मास्टर की सैलरी में अंतर में क्यों?
क्या आप अक्सर सरकारी नौकरी के बारे में पूछते हैं कि आखिरकार भारत में सरकारी नौकरी कितनी हैं? उस हुजूम को भी देखते हैं जो जयपुर से लेकर दिल्ली और इलाहाबाद से लेकर पटना में सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटा है। शायद आप भी उस चाह से भी गुजरे होंगे जो सरकारी नौकरी के लिए समाज हमारे भीतर भरता है, लेकिन इन्हीं सरकारी नौकरीयों पर केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में दिए एक लिखित जवाब में बताया कि 2014-15 से 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार के सभी विभागों में 7 लाख 22 हजार 311 लोगों को नौकरी दी गयी। जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि इन आठ सालों के दौरान केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए कुल मिलाकर 22 करोड़ 5 लाख 99 हजार 238 आवेदन प्राप्त हुए।..... सुना आपने...... चौंकिए मत. ....... अब लगे हाथ मोदी सरकार के साथ-साथ राजस्थान के अशोक गहलोत सरकार के नौकरी देने के दावों के पड़ताल कर लेते हैं. लिहाजा गहलोत सरकार से बेरोजगार खुश होते तो राजस्थान के बेरोजगारों को हर भर्ती के लिए आंदोलन नहीं करना पड़ता है, लाठीचार्ज नहीं झेलना पड़ता, जेल नहीं जाना पड़ता है. सरकार बजट में बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है लेकिन उन्हें धरातल पर ठीक से नहीं उतार पाती है.
मसलन.... 22.2 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ देश में राजस्थान बेरोजगारी के मामले में दूसरे पायदान पर जा पहुंचा है. हालांकि सरकार साढ़े तीन साल में 1 लाख 19 हजार 559 पदों पर ही नौकरी देने का दंभ भर रही है. जबकि इनमें से अधिकतर भर्तियां पिछली सरकार की लम्बित हैं. सरकार बनने पर इन पदों पर भर्तियां हुई है..... प्रदेश की गहलोत सरकार पुरानी भर्तियों को कराकर भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन बीती 4 बजट घोषणाओं में की गई 3 लाख 25 हजार से ज्यादा भर्तियों को धरातल पर उतारने में नाकाम रही है. लेकिन सरकार बनने के बाद अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं में कुछ और पदों पर हुई भर्तियां हुई है..... जैसे
इस दौरान कई भर्ती परीक्षाओं पर सवालिया निशान खड़े हुए... पेपर लीक धांधली और गड़बड़ जैसी खबरें लगातार सुर्खियां बनती है जिनमें कुछ अहम और बड़ी परीक्षा में शामिल थी हालांकि कुछ और पदों पर भर्ती होगी जिनमें..... फिर भी सरकार की घोषणा के अनुसार अभी भी 2 लाख से ज्यादा पदों पर भर्तियां होना बाकी है. वहीं इसी साल की गई 1 लाख भर्तियों की घोषणा का तो वर्गीकरण भी नहीं हुआ है. ये कुछ अलग-अलग विभागों में प्रमुख पद खाली है जिनमें.......
अब चूंकि डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में हाल ही में राज्य सरकार के निर्देश पर आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 82 हजार भर्तियों के लिए कैलेंडर जारी किया गया. लेकिन अभी भी सरकारी विभागों में हजारों पद खाली पड़े हैं. फिलहाल राजस्थान में चाहे संविदा पर की जा रही भर्तियां हो, चाहे स्वायत्त शासन विभाग में हो, चाहे शिक्षा विभाग में हो, राजस्थान सरकार ने बेरोजगारों से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं कर पा रही है. साढ़े 3 साल में सिर्फ बेरोजगारों को आंकड़ों के मायाजाल के जरिए गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि राजस्थान तो बेरोजगारी के मामले में देश में दूसरे नंबर पर आ गया है. अगर सरकार ऐसे ही लापरवाह रही तो पहला नंबर भी दूर नहीं है.
राजस्थान सरकार ने हर साल 75 हजार बेरोजगारों को नौकरी देने की घोषणा की थी। अब तक कुल 2.25 लाख से ज्यादा जॉब्स देने थे, लेकिन 1 लाख 19 हजार 559 पदों पर ही नौकरियां दी गई हैं। बहरहाल, मोदी सरकार से लेकर गहलोत सरकार तक बेरोजगारों की कोई सुध ले नहीं रहा हैं.... रोजगार के मामले में हालात न देश में ठीक है और ना ही प्रदेश में..... ऐसे में आगामी 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव दौरान बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा रहने वाला. ऐसे में बेरोजगारी दोनों दलों के लिए बड़ा मुद्‌दा है। कांग्रेस जहां केंद्र सरकार पर 2 करोड़ रोजगार देने की वादाखिलाफी के आरोप लगाती आई है। वहीं भाजपा यानी राजस्थान भाजपा की प्रदेश इकाई गहलोत सरकार पर बेरोजगार युवाओं के लिए बजट घोषणा और चुनावी वादे के मुताबिक भर्तियां निकालकर रोजगार नहीं देने के आरोप लगाती रही है।
राजस्थान बेरोजगारी पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़ों के अनुसार मई-2022 में प्रदेश में बेरोजगारी दर 22.2 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। राज्य में परीक्षाओं में गड़बड़ी, रद्द होना और कोर्ट केसेज में उलझना बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण माना गया है। प्रदेश में कुल बेरोजगारों की संख्या 65 लाख है।

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