Ram Gopal Jat
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के बर्बाद होने और पाकिस्तान की हालात कंगाल होने की खबरों के बीच भारत के उपर भी सवाल उठने लगे हैं। इस बीच भारत के रुपये की गिरती कीमत ने चिंता में डाल दिया है। आज एक डॉलर 80 रुपये के बराबर हो चुका है, हालांकि, आरबीआई ने पिछले दिनों ही विदेश ट्रेड में रुपये की अनुमति दी है। इसका मतलब यह है कि अब कोई भी देश भारत के साथ रुपये में कारोबर करना चाहेगा तो कर सकता है। शुरुआत में दुनिया के 23 देश इसको लेकर तैयार हो गये हैं, जबकि रूस को सबसे अधिक फायदा होने वाला है। इस सूची में अमेरिका भी आने को तत्पर है। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि इससे रुपये को कितना फायदा होगा, लेकिन इतना तय है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी और डॉलर पर भारत की निर्भरता घटेगी।
जब से भारत के रुपये में लगातार गिरावट आ रही है और डीजल—पेट्रोल के साथ ही खाने पीने की चीजों में महंगाई के कारण लोगों ने भारत की अर्थव्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं। हालांकि, आशंका जाहिर करने वालों को सच्चाई का कोई अता पता नहीं है। ऐसे में यह कहना कि श्रीलंका डूब गया है और पाकिस्तान डूबने वाला है, उसके बाद भारत भी डूब सकता है। तो आपको यह जानना जरुरी है कि भारत और श्रीलंका—पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं में दिनरात का अंतर है। इस अंतर को समझने के लिये हमें दुनिया के टॉप पांच देशों की अर्थव्यवस्था के कर्जे और उनकी जीडीपी को समझना जरुरी है। तब आपको समझ आयेगा कि क्या भारत की अर्थव्यवस्था भी डूबने वाली है, या फिर ये कोरी अफवाह ही है?
सबसे पहले बात करते हैं विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की, जिसके उपर इस वक्त 30 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्ज है, यह भारत की जीडीपी का करीब दस गुणा से अधिक है। जनवरी 2020 की तुलना में 2022 में इस कर्ज में सात ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है, यानी दो साल में अमेरिका के उपर भारत की जीडीपी के दोगुने से ज्यादा का कर्ज बढ़ गया है, जबकि अमेरिका की 21 लाख करोड़ की जीडीपी है। यानी अमेरिका की जीडीपी का उसके उपर करीब 120 फीसदी कर्जा है। इसका मतलब यह है कि यदि अमेरिका की जीडीपी 100 रुपये है, तो उसपर कर्जा 120 रुपये अधिक है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका पर दो दशक में कर्ज का भार तेजी से बढ़ा है। खास बात यह है कि भारत का भी अमेरिका पर 216 अरब डॉलर का कर्ज है। अमेरिका पर कुल पर अमेरिकी संसद ने सरकार को देश पर बढ़ते कर्ज भार को लेकर आगाह किया है। अमेरिका पर कर्ज में चीन और जापान का कर्ज सबसे ऊंचा है। वर्ष 2020 में अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज भार 23400 अरब डॉलर था, जो 30000 अरब डॉलर हो चुका है।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और ताकतवर देश माने जाने वाले चीन की बात की जाये तो उसपर अभी 13 हजार करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्जा है, जबकि चीन की कुल जीडीपी 16.9 लाख करोड़ डॉलर है, यानी चीन के उपर उसकी जीडीपी का करीब 900 फीसदी अधिक कर्ज है। यह दुनिया का दूसरा ऐसा देश है, जिसपर जीडीपी के अनुपात में सर्वाधिक कर्ज है। इसका मतलब यह है कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान चीन को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है। ऐसी हालात में चीन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से धराशाही हो सकती है। हालांकि, चीन ने दुनिया के 50 देशों को करीब 50 लाख करोड़ डॉलर का ऋण भी दे रखा है। चीन की अधिक आबादी, बड़ा क्षेत्रफल और विकास की संभावनाओं के कारण फिलहाल संकट की स्थिति नहीं है।
भारत रफाल जैसे फाइटर जेट बेचने वाले फ्रांस की हालत भी अच्छी नहीं है। फ्रांस इससे पहले करीब 330 साल पूर्व भी कंगाल हो चुका है। फ्रांस पर इस वक्त दुनियाभर से 2736 अरब डॉलर का कर्ज है, जबकि उसकी जीडीपी 2.6 लाख करोड डॉलर की है। इसका मतलब यह है कि फ्रांस पर उसकी जीडीपी का करीब 1300 प्रतिशत अधिक कर्जा है। जीडीपी के अनुपात में देखा जाये तो फ्रांस पहले स्थान पर आता है। कई बार यह कयास लगाये जाते हैं कि कभी फ्रांस की अर्थव्यवस्था डूब नहीं जाये, लेकिन निर्यात अधिक होने के कारण फ्रांस पर संकट नहीं है।
भारत को करीब 200 साल तक गुलाम रखने वाले ब्रिटेन पर करीब 2600 अरब डॉलर का कर्ज है और उसकी जीडीपी 2.7 लाख करोड़ डॉलर है। यानी ब्रिटेन की कुल जीडीपी का करीब 800 फीसदी कर्ज है। इस लिहाज से ब्रिटेन कर्ज के मामले में दुनिया में तीसरी स्थान पर है। हालांकि, रूस यूक्रेन युद्ध के कारण ब्रिटेन को भी बड़ा नुकसान हुआ है, फिर भी उसको संकट नहीं है।
इस लिस्ट में सबसे ऊपर से तीसरे नंबर पर नाम आता है जापान का। जापान पर उसकी जीडीपी के मुकाबले 256.9 फीसदी कर्ज है। जापान की डीजीपी 52 खबर डॉलर की है। जबकि जापान पर विदेशी कर्ज 379 बिलियन डॉलर का कर्जा है। जापान फिर भी कभी नहीं डूबने वाली अर्थव्यवस्था है, बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हालांकि, क्रय शक्ति के मामले में चीन दूसरी बड़ी इकॉनोमी है।
अब बात अगर भारत की करें तो भारत पर दुनिया का 43 लाख करोड़ डॉलर कर्जा है, जबकि भारत की जीडीपी 290 लाख करोड़ डॉलर है। इसका मतलब यह है कि भारत के उपर जीडीपी के मुकाबले करीब 19.9 फीसदी कर्जा है। और इन टॉप देशों की जीडीपी और कर्जे से तुलना की जाये तो भारत पर काफी कम कर्ज है।
डूबने की कगार पर बैठे भारत के पड़ोसी पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज भारत से केवल एक फीसदी कम है। पाकिस्तान पर इस वक्त 42 लाख करोड़ का कर्जा है, जबकि पाकिस्तान की कुल जीडीपी 38 लाख करोड़ की है। यानी जीडीपी के मुकाबले कर्जा अधिक है।
चार माह से कंगाल घोषित श्रीलंका पर इस वक्त 51 अरब डॉलर का कर्ज है, जबकि श्रीलंका की जीडीपी 40 हजार करोड़ डॉलर की है। इस हिसाब से उसकी जीडीपी के अनुपात में कर्जा 119 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि भले ही श्रीलंका आज कंगाल हो गया हो, लेकिन उसकी जीडीपी और कर्जे का अनुपात अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, पाकिस्तान से कहीं बेहतर है।
इस तरह से देखा जाये तो अभी भी भारत यदि दुनिया से कर्जा लेता रहेगा, तब भी उसको अगले दो दशक तक चिंता करने की जरुरत नहीं है, क्योंकि भारत की वर्तमान जीडीपी ही इतनी है कि कर्जा लेने के बाद भी देश डूब नहीं सकता है। इसलिये कोई भी यदि यह कहे कि भारत में भी महंगाई आसमान छू रही है और रुपये की कीमत गिर रही है, इसलिये देश की इकॉनोमी डूब सकती है, तो ऐसे लोगों को या तो अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं है, या फिर उनको केवल देश की बर्बादी देखनी है।
भारत से पहले अमेरिका, चीन, जापान, रूस, फ्रांस, और ब्रिटेन को जायेंगे कंगाल
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