Ram Gopal Jat
पिछले दिनों क्वाड शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के साथ पृथ्वी पर सबसे घनिष्ठ संबंध बनाने का दावा किया था, लेकिन इसके एक पखवाड़े के भीतर ही अमेरिका ने फिर से अपना दोहरा चरित्र दिखा दिया है। हमेशा की भांति अमेरिका ने अपना असली चेहरा सामने रखकर साबित कर दिया है कि उसको केवल वैश्विक स्तर पर रूस व चीन जैसे देशों से जीतने के लिये भारत का वोट चाहिये, बाकि उसे भारत से कोई मतलब नहीं है, उसको भारत के विकास या विनाश में ज्यादा अंतर समझ नहीं आता है, उसे दुनिया में केवल अपनी दादागिरी जमाने के लिये भारत का साथ चाहिये। इस बात को भारत की वर्तमान सरकार और उसके रणनीतिकार अच्छे से जानते भी हैं, यही कारण है कि जैसे ही अमेरिका ने अपना दोहरा चरित्र सामने रखा तो भारत ने कड़ा प्रतिकार कर अमेरिका को उसकी वास्तविकता से अवगत करवा दिया है। पूरे मामले को समझेंगे, कि आखिर अमेरिका का असली खेल क्या चल रहा है?
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका ने एक रिपोर्ट सामने रखी है, जिसमें भारत में उसने भारत के अंदरुनी मामलों पर सवाल उठाये हैं। हालांकि, अमेरिका द्वारा उठाये गये सवालों पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिका की हकिकत सामने रखकर सवाल उठा दिए हैं। साथ ही अमेरिका के इस एजेंडे को पूरी तरह से खारिज किया। एक दिन पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक रिपोर्ट जारी करते हुये कहा कि भारत में लोगों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं। साथ ही खुद को दुनिया का सबसे बड़ा सरपंच साबित करते हुये भरोसा दिलाया कि अमेरिका दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाता रहेगा।
अमेरिका के बयान का भारत के विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है, जो सीधा उसकी छापी में जाकर चुभा है। भारत का कहना है कि हमने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर US स्टेट डिपार्टमेंट 2021 की रिपोर्ट और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी देने वाली टिप्पणियों को नोट किया है, दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका द्वारा आपसी संबंधों में भी वोट बैंक की राजनीति की जा रही है, हम आग्रह करेंगे कि प्रेरित इनपुट और पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर आंकलन से बचा जाए।
इस मामले में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि एक स्वाभाविक रूप से बहुलवादी समाज के रूप में, भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है। अमेरिका के साथ हमारी चर्चा में हमने नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और बंदूक हिंसा सहित वहां चिंता के मुद्दों को नियमित रूप से उजागर किया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन सहित अन्य एशियाई देशों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों तथा महिलाओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। एंटनी ब्लिंकन ने वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी करने के दौरान कहा कि ‘अमेरिका दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाना जारी रखेगा, हम ऐसा करने के लिए अन्य सरकारों, बहुपक्षीय संगठनों और नागरिकों के साथ काम करते रहेंगे। हमारा मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों को उस आध्यात्मिक परंपरा का अनुसरण करने की स्वतंत्रता हो, जो उनके लिए मायने रखती हो, दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकार खतरे में हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने आगे कहा भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, वहां हम लोगों पर और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ते देख रहे हैं, तो वियतनाम में अधिकारी गैर-पंजीकृत धार्मिक समुदायों का उत्पीड़न कर रहे हैं, इसी तरह से नाइजीरिया में अनेक राज्य सरकारें अपनी आस्था का पालन करने पर लोगों को दंडित करते के लिए उनके खिलाफ मानहानि और ईशनिंदा कानून का सहारा ले रही हैं।
अमेरिका द्वारा यह बयान देने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने लिखित बयान जारी कर अमेरिका पर हमला बोला है। भारत ने साफ कहा है कि भारत में दुनिया के सभी देशों के नागरिक रहते हैं, उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने के लिये भारत सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अमेरिका द्वारा गलत तरीके से आंकलन करके अपने वोट बैंक की राजनीति के लिये भारत की छवि खराब करने का प्रयास किया गया है।
अमेरिका व भारत के बयानों को विस्तार से ऐसे समझ सकते हैं। पिछले 100 दिन से रूस व यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान एक बार भी भारत ने रूस की आलोचना नहीं की है, जबकि इसके लिये अमेरिका एक दर्जन बार प्रयास कर चुका है। यहां तक की यूएन में वोटिंग के दौरान भी भारत ने अनुपस्थित रहकर परोक्ष रुप से रूस का साथ दिया है। इसके बाद से ही अमेरिका कई स्तर पर भारत को झुकाने का प्रयास कर रहा है। वह एक ओर से क्वाड जैसे सम्मेलनों में भारत को दुनिया का सबसे करीबी मित्र बनाने का दावा करता है, तो दूसरी ओर कभी चीन का डर दिखाता है, कभी प्रतिबंधों की धमकी देता है, तो कभी भारत में मानवाधिकारों के मामले में चिंता जाहिर कर अपना असली चरित्र दिखाने की कोशिश करता है।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बावजूद भारत द्वार रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने की अमेरिकी आपत्ति पर भारत ने साफ किया कि जितना तेल भारत एक माह में खरीदता है, उतना अमेरिका के मित्र यूरोप वाले एक ही दिन में खरीद लेते हैं। साथ ही यह भी कहा कि जहां से उसको भारत का फायदा दिखाई देगा, उनके साथ सौदा करेगा। फिर चीन के साथ भारत के विवाद पर रूस द्वारा भारत का साथ नहीं देने का हवाला दिया गया तो भारत ने फिर से अमेरिका को उसकी हकिकत दिखाते हुये कहा कि जब भी भविष्य में चीन के साथ भारत का विवाद होगा तो उसको रूस या अमेरिका से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि भूतकाल में भी कभी अमेरिका ने भारत का साथ नहीं दिया।
तीसरा हमला करते हुये रूस के साथ कारोबार करने वाले देशों पर प्रतिबंध की धमकी अमेरिका ने भारत को दी, जिसके जवाब में भारत ने कहा कि वैश्विक कानूनों के अनुसार सबको चलना होता है, यदि किसी ने उसको उल्लंघन किया तो दण्ड का भागीदार बनना होता है। इसके बाद अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों का मुद्दा उठाकर डराने का प्रयास किया तो भारत ने पलटवार करते हुये कहा कि भारत को सबस पता है कि कैसे अमेरिका में सिखों और काले लोगों पर अत्याचार होते हैं। यानी जब भी अमेरिका ने भारत पर सवाल उठाये तो भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुये उसको उसी की भाषा में जवाब देकर बता दिया कि अब वो जमाना गया, जब अमेरिका के नाम से ही भारत डर जाता था, अब हर बात का जवाब उचित तर्कों के साथ दिया जायेगा।
जब किसी भी पेंतरे से उसकी पार नहीं पड़ रही है, तब उसने धार्मिक मामलों का यह नया हथियार उठाया है। जिसका भी भारत ने कड़ा जवाब दिया कि है कि कैसे अमेरिका में गन कल्चर हावी होता जा रहा है, यह बंदूक वाली सभ्यता तो धार्मिक उन्माद से भी कहीं ज्यादा घातक है। शायद अमेरिका को इस बात अंदाजा नहीं होगा कि भारत की ओर से ऐसा जवाबी हमला किया जायेगा। यानी अमेरिका ने इस बार भी भारत के सामने मुंह की खाई है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर सपेरों का देश माना जाने वाला भारत इतने दमदार तरीके से अमेरिका को कैसे आंख दिखा रहा है? इसके लिये पिछले 8 साल के कार्यों को समझना होगा। भारत ने इन वर्षों में अपने सुरक्षित जोन से निकलकर दुनिया के सभी छोटे बड़े देशों के साथ संबंध बनाये हैं। भारत ने जहां रूस जैसे ताकतवर देशों को यूएन में वोट का सपोर्ट किया है तो, गरीब देशों को सहायता देकर अपना मुरीद बनाया है। चीन के साथ कारोबारी तौर पर झटका देकर उसका डराया है तो पाकिस्तान के आंतक को भारत से समूल नष्ट करने के लिये धारा 370 जैसे प्रावधान खत्म किये हैं। भारत ने मुसिबत के समय श्रीलंका को मदद करके चीन की दोहरी नीति दुनिया के सामने रखी है तो इस्राइल जैसे सुरक्षा प्रणाली में तकनीति रुप से अग्रणी देशों को भी अपना घनिष्ठ मित्र बनाने में कामयाबी पाई है।
भारत ने पिछले बरसों में दुनिया को केवल रास्ता नहीं दिखाया है, बल्कि जरुरत पड़ने पर राशन भी दिया है। कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान भारत अमेरिका जैसे देशों केा दवाइयां सप्लाई कर अपनी ताकत का अहसास करवाया है, तो अमेरिका द्वारा उजाड़े गये अफगानिस्तान को अनाज व दवाईयां देकर मानवता की सेवा करने का काम भी किया है। सैकड़ों ऐसे काम हैं, जो भारत को आज दुनिया के अग्रिम देशों में शुमार कर देते हैं। किसी जमाने में अमेरिका जैसे देशों का ही गठबंधन था, जो जिसको चाहता था, उसी को सहायता और सुरक्षा देने का काम करते थे, बाकि देशों की कोई सुनवाई नहीं होती थी, भारत ने उस मिथक को तोड़कर अमेरिका का गुमान तोड़ने का काम किया है।
आज भारत विश्व का पहला सुरक्षित डिजीटल प्लेटफॉर्म यूपीआई बनाकर अमेरिका को चकित कर चुका है, तो सुरक्षा की दृष्टि से सेना को मजबूत करने के लिये जरुरी विश्व में तीसरा सबसे अधिक बजट खर्च करने वाला देश बन गया है। पिछले दिनों भारत ने फूड सप्लाई करके साबित किया है कि जब संकटग्रस्त देशों को जरुरत होगी, तो भारत खाना खिलाने में भी सक्षम है। केंद्र सरकार द्वारा तेजी से बदलते जमाने के साथ पुराने बैकार हो चुके कानूनों को खत्म करने के साथ ही नये और जरुरी कानून बनाकर दिखाया है कि इच्छाशक्ति में कोई कमी नहीं है। भारत ने युद्धकाल में रूस से करीब 2 बिलियन डॉलर का सस्ता कच्चा तेल खरीदकर ना केवल अमेरिका को, बल्कि चीन को भी बता दिया है कि उसको किसी की परवाह नहीं है, सिवाय अपने देशवासियों के। इसलिये अमेरिका अब जहां चीन से सीधे तौर पर शीतयुद्ध में फंसता जा रहा है, तो भारत को भी डराकर अपने पक्ष में करने के लिये पैंतरेबाजी करता रहता है, यह बात और है कि उसको, उसी की भाषा में जवाब मिल रहा है।
भारत ने अमेरिका को फिर दिया उसी की भाषा में जवाब
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