Ram Gopal Jat
राजस्थान के फायरब्रांड नेता, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल 27 जून को जोधपुर में हूंकार भरने जा रहे हैं। लंबे समय से राजस्थान की जनता ने उनकी हूंकार नहीं देखी है। बीते दो साल से कोरोना की महामारी और उससे पहले भाजपा के साथ गठबंधन के चलते हनुमान बेनीवाल ने सबसे बड़ी रैली दिसंबर 2018 के चुनाव से पहले 29 अक्टूबर को रालोपा के गठन के अवसर पर जयपुर के मानसरोवर में आयोजित की थी। उस रैली के बाद विधानसभा चुनाव हुये और फिर करीब 5 माह बाद हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठनबंधन के कारण उनकी ऐसी रैली नहीं हुई, जिसमें भाजपा—कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त रैली की हो। हालांकि, बीच बीच में उपचुनाव के दौरान छोटी मोटी रैलियां होती रही हैं, लेकिन जिस तरह की रैली के लिये हनुमान की पहचान है, वह रैली नहीं देखी गई।
हनुमान बेनीवाल इस बार रैली क्यों कर रहे हैं और किसके खिलाफ होगी यह हूंकार? क्या हनुमान बेनीवाल अपनी पुरानी स्टाइल की रैली कर पायेंगे और हनुमान की रैली का क्या मकसद है, जो इस रैली से हल हो जायेगा? इस रैली को क्या करीब डेढ़ साल बाद होने वाले चुनाव के आगाज के रुप में देखा जा सकता है? और क्या इस हूंकार रैली को लेकर अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे में खौफ है, क्योंकि हनुमान बेनीवाल ने साल 2013 से 2018 में विधायक रहते 5 बड़ी रैलियां करके इस गहलोत—वसुधरा के होश उड़ा दिये थे। सभी सवालों के जवाब इस वीडियो में आपको मिलेंगे, लेकिन यह जानने के लिये आपको पूरा वीडियो देखना होगा।
हनुमान बेनीवाल ने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख लिया था। राजस्थान कॉलेज, विधि महाविद्यालय और राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। उन्होंने साल 2003 में नागौर जिले की मुंडवा विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाया, मगर चुनाव हार गए। इसके बाद 2008, 2013 और 2018 में खींवसर विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक बनाई। पहली बार 2008 में वह भाजपा के टिकट पर विधायक बने थे। उसके बाद उनकी वसुंधरा राजे से अनबन हो गई और भाजपा ने उनको पार्टी से निकाल दिया था। दिसंबर 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने जमकर सुर्खियां बटोरीं। अपने बेबाक बयानों से सोशल मीडिया में छाए रहने वाले हनुमान बेनीवाल ने 7 दिसम्बर 2016 को मारवाड़ के नागौर से किसान हुंकार रैली कर जन आंदोलन छेड़ा था।
उसके बाद 7 जनवरी 2018 को बाड़मेर, 4 फ़रवरी 2018 को बीकानेर और 10 जून 2018 को सीकर में किसान हुंकार महारैलियों का आयोजन किया, जिनमें अपार जनसमूह उमड़ा। इन रैलियों में किसानों की संपूर्ण कर्ज़ माफी, किसानों को बिजली फ्री, टोल मुक्त राजस्थान, बेरोजगारी भत्ता और सरकारी महकमों में रिक्त पड़े पदों को भरने के मुद्दे रहे। उन रैलियों के दम पर बेनीवाल ने विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत हासिल की। बेनीवाल की ताकत का अंदाजा भाजपा को हो गया था, ऐसे में भाजपा उनके वोटबैंक का फायदा उठाना चाहती थी, जिसके लिये रालोपा के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया गया। नागौर की लोकसभा सीट बेनीवाल को दी गई और बाकी 24 जगह पर भाजपा के उम्मीदवार उतरे। इस चुनाव में बेनीवाल भी जीते और भाजपा भी सभी जगह जीत गई। कहा जाता है कि पश्चिमी राजस्थान की 10 सीटों पर भाजपा को बेनीवाल के समर्थकों के सहयोग से आसान जीत हासिल हुई।
किसान आंदोलन के दौरान पिछले साल हनुमान बेनीवाल ने भाजपा से गठबंधन खत्म कर दिया था। तभी से वह अपने पुराने रंग में लौटने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, कोरोना की महामारी के चलते कोई बड़ी रैली नहीं कर पाये। अब केंद्र सरकार द्वारा सेना भर्ती के लिये अग्निपथ योजना शुरू की है, जिसके विरोध में हनुमान बेनीवाल फिर से हूंकार भरने जा रहे हैं। बेनीवाल ने इसकी रैली के लिये जोधपुर को चुना है, जहां पर 27 जून को महारैली का आव्हान किया गया है। इसे सफल बनाने के लिये पूरी रालोपा इन दिनों पश्चिम राजस्थान के गांव—गांव में संपर्क अभियान कर रही है।
इस रैली का मकसद वैसे तो अग्निपथ योजना को वापस लेने के लिये मोदी सरकार पर दबाव बनाना है, किंतु वास्तव में हनुमान का मकसद केवल इतना ही नहीं है। इस रैली के द्वारा बेनीवाल एक तीर से चार शिकार करने जा रहे हैं। पहला तो अग्निपथ का विरोध है ही। इसके अलावा जोधपुर की ओसियां सीट से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने पिछले दिनों खींवसर में जाकर दो बार जनसभाओं को संबोधित कर बेनीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला है, तो इसका भी हिसाब चुकता किया जायेगा। तीसरा मकसद है अगले विधानसभा चुनाव से पहले रैलियों की शुरुआत में इस रैली से अपनी ताकत को बढ़ाना और आखिरी इरादा भाजपा—कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोलने का सबसे बड़ा मंच तैयार करना है।
हालांकि, इसका ऐलान करते वक्त हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में कहा था कि 5 लाख लोगों की महारैली होगी, लेकिन यदि एक लाख लोग भी शामिल हो गये तो पिछले चार साल में लोकसभा चुनाव में मोदी की रैलियों के बाद यह सबसे बड़ी रैली होगी। इस रैली को जोधपुर में करने का कारण यह है कि हनुमान बेनीवाल के समर्थकों की सबसे अधिक संख्या पश्चिमी राजस्थान में ही है। जोधपुर को पश्चिमी राजस्थान की राजधानी कहा जाता है, जिसके कारण इस जगह को चुना गया है। एक कारण यह भी है कि दिव्या मदेरणा को बेनीवाल उनके घर में घुसकर चित करना चाहते हैं। हनुमान का मकसद दिव्या को जोधपुर के बजाये केवल ओसियां तक सीमित करना है। वैसे भी सरकार के खिलाफ बनी एंटी इंकमबेंसी ने हनुमान का साथ दिया तो दिव्या मदेरणा की सीट बचा पाना कठिन हो जायेगा।
लोगों का यह भी मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल एक बार फिर से भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। उसके लिये सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान चलेगी। उस वक्त यही देखा जायेगा कि बेनीवाल का किन क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रभाव है। उसी आधार पर सीटें दी जायेंगी और उसी के आधार पर रालोपा को मिलने वाली सीटों की संख्या तय होगी। यही कारण है कि हनुमान बेनीवाल इस डेढ़ साल के समय में भाजपा को भी अपनी ताकत का अहसास करना चाहते हैं।
इसका मतलब यह है कि जोधपुर से हनुमान बेनीवाल की रैलियों का दौर भी शुरू हो जायेगा। अगले डेढ साल के दौरान हनुमान बेनीवाल की पश्चिमी राजस्थान में कम से 8 से 10 बडी रैलियां हो सकती हैं। इसके साथ ही जयपुर, टोंक, अलवर और दक्षिणी राजस्थान में भी अपनी ताकत को टटोलने का प्रयास रहेगा। इसलिये यह तय है कि हनुमान बेनीवाल अब पूरे 18 महीने रैलियों में ही व्यस्त रहने वाले हैं।
मोदी के खिलाफ हुंकार भरेंगे हनुमान
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