Ram Gopal Jat
भारत का पडौसी देश और नंबर एक दुश्मन चीन अब भारत के दाने दाने का मोहताज हो रहा है। चीन की बढ़ती आबादी और खाद्दान के संकट से बाहर निकालने का जिम्मा भारत पर आ गया है। वैसे तो चीन में खाने के लिये समुद्री खाना, यानी सी फूड सर्वाधिक प्रिय भोजन है, लेकिन उसको चावल के बिना नहीं खाया जा सकता। इसलिये चीन में सबसे ज्यादा जरुरत मांसाहार के बाद चावल की कमी पड़ती है। वैसे तो चीन में भी चावल उत्पादन होता है, लेकिन वह कम पर्याप्त नहीं है, इसलिये चीन को भारत से चावल आयात करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि चीन कोई पहली बार भारत से चावल आयात कर रहा है, लेकिन पिछले कुछ बरसों में और खासतौर पर कोविड काल के दौरान जिस तरह से चीन की भारत पर चावल निर्भरता बढ़ी है, उसके बाद सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत यदि चाहे तो चीन को दाने दाने को मोहताज कर सकता है।
वैसे तो भारत व चीन के बीच कारोबार पिछले वित्त वर्ष में ही 117 बिलियन डॉलर था, जिसमें से भारत का निर्यात करीब 28 बिलियन डॉलर और आयात करीब 89 बिलियन डॉलर रहा। जिसमें सबसे अधिक योगदान चीन से आयात होने वाले इलेक्ट्रोनिक आइटम रहा है, लेकिन भारत की ओर से निर्यात किये जाने वाले सामानों में चावल का भी बड़ा योगदान रहा है। भारत ने मार्च 2022 को बीते वित्त वर्ष में दुनिया को 212 लाख मेट्रिक टन चावल निर्यात किया, जिसमें से अकेले चीन को 16 लाख मेट्रिक टन से अधिक बेचा है। यानी कुल चावल निर्यात का 7.7 फीसदी अकेले चीन को हुआ है। इससे पहले की बात की जाये तो पिछले वित्त वर्ष में भारत ने चीन को कुल 3.31 लाख मेट्रिक टन चावल निर्यात किया था, जबकि पिछले साल भारत का कुल चावल निर्यात 178 लाख मेट्रिक टन हुआ था।
यानी भारत ने पिछले साल के मुकाबले इस बार करीब 19 फीसदी चावल अधिक निर्यात किया है, जबकि चीन को निर्यात 3.31 लाख मेट्रिक टन से 392 फीसदी बढ़कर 16 लाख मेट्रिक टन हुआ है। चीन के अलावा भारत से सेनेगल, वियतनाम, डिज्बियूती, इंडोनिया, कोटे, जाम्बिया, कैमरुन, बेलारूस जैसे 10 यूरोपियन देशों को चावल भेजा जाता है। भारत से चीन नूडल्स और शराब बनाने के लिये चावल आयात करता है।
चीन में दुनिया का सबसे अधिक चावल उत्पादन होता है। चीन अकेला विश्व का 30 फीसदी चावल प्रोडेक्शन करने वाला देश है। इसके बावजूद उसकी करीब 150 करोड़ जनससंख्या का पेट भरने के लिये उसे भारत से चावल आयात करना पड़ रहा है। इसके अलावा चीन अपने समुद्री क्षेत्र से बड़े पैमाने पर मच्छली और समुद्रीय कीड़ों को भी भोजन के रुप में काम लेता है। इंडो पैसेफिक रीजन में चीन की दादागिरी का एक कारण मच्छली पकड़ना भी है, जो वह अवैध रुप से भी पकड़ता है। इसके लिये चीन ने 77 हजार नाविक तैयार कर रखे हैं। अपने लोगों का पेट भरने के लिये चीन अपने मछुआरों को सब्सिडी तक देता है।
अब आप कल्पना कीजिये, कि यदि भारत द्वारा चीन को चावल निर्यात बंद कर दिया जाये, तो वहां पर कितना बड़ा खाद्दान संकट खड़ा हो सकता है। भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा गेहूं निर्यात देश है। साथ ही चावल के मामले में भी विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। कुल मिलाकर देखा जाये तो दुनिया की करीब 2 अरब आबादी का पेट भारत का किसान भरता है।
भारत के दाने दाने का मोहताज हुआ चीन!
Siyasi Bharat
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