Ram Gopal Jat
भारत में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बहाने मस्जिदों में एकत्रित भीड़ ने देशभर में बवाल मचाया। बंगाल से लेकर कश्मीर और दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश तक एक सोची समझी रणनीति के तहत दंगाइयों ने पुलिस पर हमला बोला तो सरकारी संपत्ति को भी जमकर नुकसान पहुंचाया। प्रयागराज में पुलिस पर भीड़ ने सुनियोजित तरीके से हमला किया, तो बिहार में पुलिस बल की कमी के कारण वाहनों को फूंक दिया गया।
दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज के बहाने एकत्रित हुये करीब 1500 लोगों ने बवाल मचाने का प्रयास किया, लेकिन मुस्तैद दिल्ली पुलिस ने उनके इरादों पर पानी फैर दिया। जामा मस्जिद के इमाम ने कहा कि ये लोग हमारे नहीं हैं, शायद असदुदीन ओवैशी ने भेजे हैं। शुक्रवार सुबह से ही इसको लेकर तैयारी तेज हो गई थी, हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुस्लिमों से कहा कि दिल्ली में जाकर दंगा कीजिये और प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगिये। इससे समझ आता है कि भारत में राजनीती का स्तर कितना गिर गया है। एक राज्य का मुख्यमंत्री अपने प्रदेश में कानून का राज स्थापित नहीं कर सकता, लेकिन देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिये भीड़ को उकसाता है।
मामला नूपुर शर्मा द्वारा पिछले दिनों कथित तौर पर पैगंबर के उपर दिये विवादित बयान के बाद उग्र हुआ था। इसके बहाने ना केवल भारत में बैठे दंगाई अपना एजेंडा चलाने के लिये बहाना ढूढ़ रहे थे, बल्कि विदेशों में बैठे भारत विरोधी तत्व भी इसी इंतजार में थे कि कोई बहाना मिले और भारत के खिलाफ बयानबाजी की जाये। यह एक आम धारणा बन चुकी है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद दंगे होना ही है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर नमाज के बाद दंगे क्यों होते हैं?
भारत की धार्मिक कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास तो खाड़ी देशों ने भी किया, लेकिन मोदी सरकार की रणनीति ने उनके होश ठिकाने ला दिये। कतर से लेकर मालदीव तक की सरकारें अब मोदी सरकार से संबंधों को मजबूत करने के लिये अपील कर रही है। जब भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर कर दिया, तो उसके बाद भी खाड़ी के कुछ देशों ने भारत को धर्म पर ज्ञान देने का काम जारी रखा। कतर, कुवैत, ईरान जैसे देशों में भारत के राजदूतों को तलब कर पूछा गया, तो भारत ने भी साफ कर दिया कि इन बयानों से सरकार कोई इत्तेफाक नहीं रखती।
कतर की कुल आबादी 29 लाख के करीब है, जबकि उसकी राजधानी दोहा में 2024 के ओलंपिक खेल प्रस्तावित हैं। बताया जा रहा है कि दोहा में निर्माण कार्यों में लगी कंपनियों से 40 फीसदी काम भारत की कंपनियों के पास है। साथ ही कुवैत में भारत के लोग बड़े पैमाने पर काम करते हैं, जहां पर लोगों को नौकरी से निकालने का अभियान सोशल मीडिया पर देखा गया। यह मामला तो चार दिन में थम गया, लेकिन अब वही खाड़ी देश भारत से संबंध बनाने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। सबसे पहले ईरान ने भारत आकर मौके का फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने उसकी एक नहीं सुनी और उसको अपना सा मुंह लेकर वापस लौटना पड़ा। असल में ईरान को लगता है कि जिस तरह से भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ाया है, वैसे ही ईरान से फिर तेल आयात शुरू कर देगा, लेकिन भारत ने उसको कोई आश्वासन नहीं दिया।
ईरान पर अमेरिका ने 2019 में दुबारा प्रतिबंध लगाये थे, उससे पहले भारत ने 2.4 करोड़ टन तेल आयात किया था, जो इस वक्त बंद है। ईरान को लग रहा था कि भारत ने जैसे पिछले दिनों में अमेरिका को आंख दिखाकर रूस से तेल खरीदा है, वैसे ही ईरान से भी सस्ता तेल खरीदेगा, लेकिन भारत ने रुचि नहीं दिखाई। ईरान बार—बार प्रयास कर रहा है कि कैसे भी भारत जैसा तेल आयातक देश उससे संबंध मधुर कर ले, इसी सिलसिले में जब पैगंबर विवाद हुआ तो उसके बाद ईरान ने भारत से फिर संबंध सुधारने के लिये ईरान के विदेश मंत्री दौड़े दौड़े भारत आये, जहां पर दोनों देशों के बीच दूसरे मुद्दों पर बातचीत तो खूब हुई, पर तेल आयात के मामले में कोई बात नहीं हुई, उपर से बिना सिरपैर का बयान जारी कर ईरान ने अपनी फजीती करवा ली, जो अलग है।
अब कतर और कुवैत की बारी है, जिन्होंने पैगंबर मामले को लेकर ज्यादा ही सरपंच बनने का प्रयास किया है। कतर की कुल आबादी भारत के खाने पर जीवित है, वहां पानी नहीं होने के कारण अनाज पैदा नहीं होता है और भारत से ही अनाज, मांस और अण्डे का निर्यात किया जाता है। यानी कुल मिलाकर देखा जाये तो कतर का पेट भारत ही भरता है, बदले में वहां से कच्चा तेल आयात किया जाता है। साल 2020 में ही कतर ने भारत से 144 मिलियन डॉलर का अनाज खरीदा था।
रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान वहां से गेहूं का निर्यात नहीं होने के कारण खाड़ी देशों में अनाज संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कुवैत भी भारत के अनाज से ही काम चलाता है। रूस यूक्रेन का अनाज नहीं आ रहा है उपर से भारत द्वारा पिछले महीने ही गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद ये देश अनाज के लिये भारत से गुहार लगा रहे हैं। कुवैत ने भारत को धार्मिक नसीहत देने के दूसरे ही दिन गेहूं के लिये अपील कर दी है। भाजपा ने धार्मिक मामला होने के कारण भले ही नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर कर दिया हो, लेकिन मोदी सरकार हर बात का बदला लेती है और अब इन देशों से बदला लेने का समय आ गया है।
भारत ने फरवरी से अब तक 27 अरब डॉलर का तेल आयात किया है, जिसमें से सबसे ज्यादा 22 अरब डॉलर का तेज अकेले इराक से खरीदा गया है। इसके अलावा यूएई, कतर, कुवैत, अमेरिका से 5 अरब डॉलर तो अकेले रूस से2 अरब डॉलर का तेल खरीदा गया है। इस समय में रूस से तेल की खरीद सबसे अधिक बढ़ी है, जबकि अमेरिका समेत सभी खाड़ी देशों से भारत ने तेल आयात कम किया है। इसी का परिणाम है कि खाड़ी देश अब अपने किये पर पछतावा लेकर भारत से संबंध बनाने की मांग कर रहे हैं। मोदी सरकार के मंत्री हमेशा अपना काम करते रहते हैं, लेकिन जब जरुरत पड़ती है, तो विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर की तरह खुलकर बोलते भी हैं और दुनिया को दिखाते भी हैं कि भारत की ताकत क्या है?
भारत खाड़ी देशों को भूखे मार सकता है
Siyasi Bharat
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