Ram Gopal Jat
देश में पिछले 15 दिन से बवाल मचा हुआ है। पहले नूपुर शर्मा के मामले में मुस्लिम समाज के बदमाशों ने जगह जगह पत्थर बरसाये, गाड़ियां जलाईं, और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसपर कुछ जगह एक्शन भी लिया गया। पिछले शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बदमाशों ने जगह—जगह अराजकता फैलाने का काम किया। योगी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और सहरानपुर में दंगा करने वालों के खिलाफ अपनी स्टाइल में एक्शन लिया। दंगाइयों के घरों पर बुल्डोजर चलाये और सैकड़ों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सरकार की सरपरस्ती में दंगे तीन—चार दिन चलते रहे। यहां तक कि ममता बनर्जी ने दंगाइयों को बकायदा दिल्ली में जाकर मोदी का इस्तीफा मांगने और एक तरह से वहीं पर दंगा करने की सलाह तक दी। हिंदू पार्टी कही जाने वाली शिवसेना की महाराष्ट्र सरकार ने दंगाइयों और धमकी देने वालों पर तो कोई एक्शन नहीं लिया, लेकिन उनपर सवाल उठाने वालों को जरुर गिरफ्तार कर लिया।
भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान जैसे कंगाल देश से लेकर भारत का सबसे करीबी मित्र कहा जाने वाला इस्लामिक देश ईरान भी आंख दिखाने लगा। हालांकि, मोदी सरकार की सूझबूझ के कारण ईरान ने अपनी गलती मान ली, कुवैत को भारत का अनाज खाना है, इसलिये दूसरे ही दिन अनाज की डिमांड कर मामला रफा दफा करने का प्रयास किया। इसके साथ ही भारत से सर्वाधिक गेहूं खरीदने वाला बंग्लादेश इस मामले में पड़ने से इनकार कर चुका है। पहले मालदीव में भी नौटंकी शुरु हुई, लेकिन ससंद में ही प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। दुनिया के कई देशों ने इस मामले में भारत का साथ दिया। अब तक रूस समेत दुनिया के 34 देशों ने भारत सरकार को इस मामले में समर्थन किया है।
नतीजा यह हुआ कि जिसको ग्लोबल एजेंडा बनाकर भारत को घेरने की कोशिश की जा रही थी, वह धराशाही हो गया। सरकार ने सूझबूझ का परिचय दिया और नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल को पार्टी से बाहर करके पूरी दुनिया में मैसेज दिया कि भारत किसी के खिलाफ नहीं है। खाडी देश थोडे हावी होने का प्रयास करने लगे थे, लेकिन भारत के पास सबकी चाबी है। जिन्होंने बोलने की जुर्रत की, उनकी चाबी भरी और सब चुप हो गये। भारत समेत दुनिया के कई मौलवियों ने साफ किया कि नूपुर शर्मा ने कुछ भी गलत नहीं बोला है। कुछ ने कहा कि नूपुर को उकसाया गया है, इसलिये जिस मौलवी ने उनको उकसाया है, वह पहला और असली दोषी है। इसलिये मुकदमा तो उसपर चलना चाहिये, इस्लाम का असली गुनहगार तो वही है।
जैसे—तैसे करके मामला ठंडा हुआ तो मोदी सरकार ने फिर नया दांव चल दिया, जो मई के अंत में होना था, उसको नूपुर शर्मा कांड के कारण करीब 15 दिन लेट कर दिया गया। 14 जून को केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना आरम्भ की गई। इस योजना के जरिये युवाओं को एक दिशा देने का काम किया जाना है। खास बात यह है कि दो साल से रुकी हुई सेना भर्ती को महज 90 दिन में शुरू करने का काम किया जा रहा है और पहली ही बार में 45 हजार युवाओं को सेना ज्वाइन करवाई जा रही है। इनको अग्निवीर नाम दिया जायेगा। सेना उनको ट्रेनिंग देगी, पढ़ायेगी, सर्टिफिकेट देगी, सेलेरी देगी, सारा खर्चा उठायेगी और चार साल बाद इन अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपये देकर विदा करेगी। साथ ही इनमें से 25 फीसदी को स्थाई कमिशन पर रखेगी। इतना ही नहीं, अपितु जो 75 फीसदी सेना से फ्री होंगे, उनको बैंक से लोन देने के लिये सरकार खुद गारंटी दे रही है। इतना करने के बाद भी इस वर्ष दो साल तक आयुसीमा में छूट दी गई है, ताकि कोरोना के कारण जो भर्ती में नहीं जा सके हैं, वो इसका फायदा उठा सकें।
इस योजन की लॉन्चिंग की रात से ही सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों की आईटी सेल्स ने अपना काम शुरू कर दिया था। सुबह होते—होते तो जिनको समझ आई या नहीं आई, सभी कूद पड़े विरोध में। नतीजा यह हुआ कि दो दिन में कई जगह ट्रेनों को आग के हवाले किया गया है। कहीं पर रेल की पटरियों को उखाड़ा गया है तो पुलिस पर पथराव किया जा रहा है। केंद्र सरकार के सारे मंत्री, सांसद, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक युवाओं को सभी तरह से समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उपद्रवी समझने को तैयार ही नहीं हैं। जिस तरह से तीन कृषि कानूनों को लेकर पहले देश के कई हिस्सों में उपद्रव हुआ और उसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीनों तक आंदोलन चला, उसी स्टाइल में इसकी शुरुआत हुई है। समय रहते सरकार ने उचित कदम नहीं उठाये तो मामला विकराल हो सकता है।
इस योजना को लेकर तीन दिन से बवाल मचा हुआ है। आज तीसरा दिन है, जब देश के कई शहरों में उपद्रव मचा हुआ है। खास बात यह है कि जिन्होंने दंगों की कमान संभाल रखी है, वो सभी अब केवल रेलवे को टारगेट कर रहे हैं। पता है क्यों? क्योंकि टूलकिट ने इस बार नया रास्ता निकाला है। इस रास्ते के द्वारा केंद्र सरकार पर चोट की जा सकती है। मतलब सीधे मोदी सरकार को नुकसान पहुंचाना है। जिस तरह से ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली में जाकर प्रदर्शन करो और मोदी का इस्तीफा मांगों, उसी से साफ हो जाता है कि जिन राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं, वो क्या करने जा रही हैं? यह भी साफ हो गया है, कि जो इन दोनों ही मामलों में दंगों को लीड कर रहे हैं, वो बिलकुल ट्रेंड लोग हैं, जिनको पता है कि कैसे दंगा करके बचना है। उनको यह भी पता है कि सोशल मीडिया और मैन स्ट्रीम मीडिया को कैसे यूज लेकर अपना काम करना है। उनको यह भी पता है कि गैर भाजपा राज्यों की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना है, बल्कि उस राज्य की सरकार को चोट करनी है, जहां भाजपा शासन में है और केंद्र को चोट करनी है, जहां पर मोदी की सत्ता है।
जिन्होंने अग्निपथ योजना को समझा भी नहीं, उसके बारे में अच्छे से जाना भी नहीं, वे लोग भी सड़कों पर हैं, जिनको सेना के बारे में ना जानकारी है, ना उनके बच्चे कभी जायेंगे, वो लोग युवाओं को उपद्रव करने के लिये उकसा रहे हैं। जिनकी दाल मोदी सरकार के खिलाफ महौल बनाने में नहीं गल पा रही है, उनको इस योजना के जरिये देश को आग के हवाले करना है। जो युवा 17 साल की उम्र तक सामान्यत: 12वीं पास करता है, उसको सरकार नौकरी के जरिये देश सेवा का अवसर दे रही है, उस सरकार को दुत्कारा जा रहा है। जिस उम्र में अक्सर युवा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता शुरू करता है, उस उम्र में करीब 23 लाख रुपये, ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट, बैंक लोन की गारंटी, शारीरिक मजबूती, देश सेवा का अनुभव, आत्म सुरक्षा की शक्ति, अन्य सेवाओं में जाने का रास्ता साफ कर रही है, फिर जाने इनको प्रोबलम किस बात की है?
असल में मामला इतना सीधा नहीं है, जितना दिखाई दे रहा है। मामला तभी से चल रहा है, जब से इस सरकार ने अपने शुरुआत में ही ताबडतोड़ फैसले लेने शुरू किये थे। पहले तीन तलाक पर बवाल मचा, फिर धारा 370 पर नौटंकी हुई, इसके बाद नागरिकता संसोधन कानून पर नंगा नाच करने की कोशिश की। इसी तरह से राम मंदिर के फैसले पर भी कुछ लोगों ने परोक्ष रुप से अपना गुस्सा निकाला। इसके बाद जब तीन कृषि कानून बने तब पहली बार जीत हासिल हुई। किसानों के कंधों पर सवार होकर मोदी सरकार को 13 महीनों में झुकाने में कामयाब रहने वाली भारत की विशेष प्रजाति अब इस योजना के जरिये देश को आग के हवाले करने की कोशिश कर रही है। इस बात का पक्का सबूत यह है कि खुद को पत्रकार कहलाने वाली जिहादी मानसिकता वाली आरफा खानम शेरवानी ने पिछले दिनों अल जजीरा को दिये इंटरव्यू में साफ कहा कि यह आठ साल के अनजस्टिस का गुस्सा है। किस बात के अनजस्टिस पर गुस्सा है? कौनसा अन्याय हुआ है? कौन अन्याय कर रहा है, इस बारे में आरफा खानम ने कुछ नहीं बोला। इससे जाहिर है कि इनको विकास होने या नहीं होने से कोई मतलब नहीं है, इनको केवल मोदी सरकार के खिलाफ दंगें करने हैं।
कुछ बातें हैं, जो देश के युवाओं को सोचनी होगी। अपने निजी स्वार्थों से उपर उठकर सोचना होगा। अन्यथा देश के खिलाफ साजिश के आप भी शिकार हो जाओगे। जो लोग तीन तलाक कानून को नहीं रोक पाये, सीएए का विरोध कर उसको वापस नहीं करा पाये, जो विरोधी धारा 370 हटने से कुछ नहीं उखाड़ पाये, फिर राम मंदिर निर्माण भी नहीं रोक पाये। किंतु तुम्हारे कंधों पर बंदूक रखकर पहले तीन कृषि कानूनों को वापस करवा दिया, अब अग्निपथ की आड़ में देश को जलाना चाहते हैं। तुमको तो वास्तव में पता भी नहीं है, कि एजेंडा कहां से चल रहा है? देश विरोधी जब खुद कुछ कर नहीं पाते हैं, तब पर्दे के पीछे से खेल करने लगते हैं। इन्होंने टूलकिट के जरिये तुम लोगों को अपने जाल में फंसाने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का तरीका सीख लिया है। अब यह तुम्हारे उपर है कि अपने निजी हितों से उपर उठकर देश की खातिर एक हो पाते हो, फिर जैसे छोटे—छोटे राजाओं, सामांतों, जागीरदारों की भांति आपस में लड़कर इनके शिकार हो जाते हो? इनका एजेंडा बिलकुल साफ है, एक ही मकसद है, भारत में अराजकता और अशांति...... तीन चार प्रयास में जब खुद कुछ नहीं कर पाये, तब तुम्हारे कंधों पर बंदूक रखकर चलाने का यह रास्ता निकाला है। उसमें सहायक बना मीडिया और सोशल मीडिया, कुछ बेहद स्वार्थी लोग हैं, जो इस देश के होने के कारण संविधान की छाया तले बचे हुये हैं। समय रहते समझ जाओ, नहीं तो जो गलतियां तुम्हारे पुरखों ने की हैं, वही तुम करने जा रहे हो। उनकी गलती का नतीजा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंग्लादेश सामने हैं, और तुम्हारी गलतियों का नतीजा पश्चिम बंगाल, कश्मीर, केरल, आसाम जैसे देश बन सकते हैं। चॉइस तुम्हारी है, तुमको देश से प्रेम है, या अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने हैं।
सरकार तो लगातार अपना काम कर रही है। उसको तो काम करना ही है, लेकिन जिस देश में दंगे और आग जलनी शुरू हो जाती है, वहां पर निवेश के रास्ते बंद हो जाते हैं। इसका बड़ा उदाहरण है पश्चिम बंगाल, जहां पर दो बार से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वहां पर निवेश करने को कोई तैयार नहीं हो रहा है। जब ममता बनर्जी से विपक्ष में थीं, तब उन्होंने सिंगुर में टाटा के नैनो प्रोजेक्ट का विरोध कर भगा दिया था। बाद में टाटा नैनो का प्लांट तो गुजरात के साणद में लग गया। आज साणद में देश की टॉप कंपनियों के प्लांट हैं, लेकिन सिंगुर की भूमि आज भी वैसी ही बंजर पड़ी हुई है। आज ममता बनर्जी निवेशकों को बुलाती हैं, लेकिन कोई आने को तैयार ही नहीं है।
भारत और चीन के बीच पिछले 8 साल से अपने यहां पर उद्योग स्थापित करने की होड चल रही है। चीन में तानाशाही है, इसलिये वहां पर कोई भी सरकार का विरोध नहीं होता है। नतीजा यह हो रहा है कि चीन दुनिया की सभी बड़ी कंपनियों का पसंदीदा स्थान बन चुका है। दुनिया में सबसे अधिक प्रोडेक्शन आज चीन में हो रहा है, जिसके दम पर वह अमेरिका से टकराने को तैयार हो गया है। दूसरी ओर भारत में कभी सीएए के नाम पर, कभी तीन तलाक के विरोध में, कभी कृषि कानूनों के खिलाफ, कभी शुक्रवार की पत्थरबाजी के कारण तो अब अग्निपथ योजना के विरोध के नाम पर दंगे और आगजनी को दुनिया देख रही है। इसके चलते दुनिया की बड़ी इंडस्ट्री यहां पर निवेश करने से कतराती हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि जिन पढ़े—लिखे युवाओं की भीड़ तैयार हो रही है, उनके लिये पर्याप्त मात्रा में रोजगार नहीं है।
चीन लगातार इस प्रयास में रहता है कि भारत में अशांति रहे, ताकि उनके यहां पर जो कंपनियां कोरोना के कारण देश छोड़कर भागना चाहती थीं, वो जाने की नहीं सोचें। चीन को पता है कि सबसे सस्ती लेबर चीन के बाद भारत में ही है। इसलिये ग्लोबल कंपनियां यदि चीन छोड़कर जायेंगी, तो भारत में निवेश करेंगी। पिछले साल भारत ने सबसे अधिक एफडीआई पाया है, यानी वैश्विक कंपनियां भारत में आकर कारोबार करना चाहती हैं। ऐसा लगातार तीन साल से हो रहा है, जिससे चीन चिंतित है। इसलिये चीन हर अवसर पर भारत में अराजता, अशांति, नफरत का माहौल बनाने के लिये यहां के अपने एजेंट्स को तैयार रखता है। देश के युवाओं का समझना चाहिये कि शांति और सौहार्द रहेगा, तो ही विदेशी निवेश आयेगा, जिससे चीन सर्वाधिक चिंतित है। और इसी वजह से वह टूलकिट को काम लेता है, जो समय—समय पर भारत में इस तरह से आग लगाने, अशांति पैदा करने, अराजकता फैलाने और दो समुदायों के बीच हिंसा कराने का काम करती हैं।
मोदी ने 15 दिन में पलट दी पूरी कहानी
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